वर्तमान में पाकिस्तान की सरकार आतंकवादियों से पूरी तरह हार चुकी है! पाकिस्तान की सरकार ने एक बार फिर चरमपंथियों के आगे घुटने टेक दिए हैं। ऑपरेशन-ए-इस्तेहकाम को हरी झंडी दिए जाने के दो दिन बाद ही शहबाज शरीफ सरकार बैकफुट पर आ गई है। सोमवार देर रात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम पर सफाई दी और कहा कि ‘देश में कोई बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान नहीं किया जा रहा है।’ पीएमओ के बयान में कहा गया है कि ‘हाल ही में घोषित अज्म-ए-इस्तेहकाम को गलत तरीके से समझा जा रहा है और इसकी तुलना पहले शुरू किए गए सशस्त्र अभियान जर्ब-ए-अज्ब, राह-ए-नजात आदि से की जा रही है।’ पाकिस्तान एक बार फिर सैन्य अभियान शुरू करने जा रहा है। अभियान का फैसला चीन के वरिष्ठ मंत्री के पाकिस्तान दौरे के एक दिन बाद लिया था। चीनी मंत्री लियु जियानचाओ ने साफ कर दिया था कि सुरक्षा स्थिति बहाल हुए बिना चीन आगे पाकिस्तान में निवेश नहीं करेगा।बयान में आगे कहा गया है कि ‘पिछले अभियानों में प्रभावित क्षेत्रों से आतंकवाद का पूरी तरह से सफाया करने के लिए स्थानीय आबादी को बड़े पैमाने पर विस्थापित करना पड़ा था। वर्तमान में देश में ऐसा कोई निषिद्ध क्षेत्र नहीं है।’ पाकिस्तान ने 15 जून 2014 को अफगानिस्तान सीमा से लगे उत्तरी वजीरिस्तान इलाके में आतंकवाद विरोधी एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया था, इसमें सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पहले से जारी ऑपरेशनों के अलावा राजनीतिक, कूटनीतिक, कानूनी और सूचना संबंधी पहलू शामिल होंगे।’ इसमें यह भी कहा गया है स्पष्टीकरण से सभी गलतफहमियों को दूर होने के साथ ही इस विषय पर अनावश्यक बहस बंद हो जानी चाहिए।जिसे जर्ब-ए-अज्ब नाम दिया गया था। अभियान शुरू होने के एक महीने के भीतर इलाके से 80 हजार परिवारों से जुड़े लगभग 9.5 लाख लोगों को विस्थापित किया गया था।
शहबाज शरीफ सरकार का ये बयान ऐसे समय में आया है जब इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), जमीयत-ए-उलेमा इस्लाम फजल (JUI-F), अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) और अन्य विपक्षी दलों ने नए सैन्य अभियान का विरोध किया है। विपक्षी दलों ने मांग की है कि ऐसा कोई भी निर्णय लेने से पहले संसद को विश्वास में लिया जाना चाहिए। पीएमओ ने कहा, ‘ऐसे किसी बड़े पैमाने के सैन्य अभियान पर विचार नहीं किया जा रहा है, जिसमें आबादी के विस्थापन की आवश्यकता होगी।’ इसमें कहा गया है कि ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम पाकिस्तान में स्थायी स्थिरता के लिए एक बहु-क्षेत्रीय, बहु-एजेंसी, संपूर्ण-प्रणाली राष्ट्रीय दृष्टिकोण है।
बयान में आगे कहा गया है कि नए ऑपरेशन का उद्देश्य पहले से ही मौजूद खुफिया-आधारित गतिशील ऑपरेशनों को सक्रिय करना है, जिससे देश में हिंसक चरमपंथ को जड़ से उखाड़ फेंका जा सके। ताकि देश में आर्थिक विकास और समृद्धि के लिए एक समग्र सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जा सके। बयान में कहा गया है, ‘इसमें सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा पहले से जारी ऑपरेशनों के अलावा राजनीतिक, कूटनीतिक, कानूनी और सूचना संबंधी पहलू शामिल होंगे।’ इसमें यह भी कहा गया है स्पष्टीकरण से सभी गलतफहमियों को दूर होने के साथ ही इस विषय पर अनावश्यक बहस बंद हो जानी चाहिए।
पाकिस्तान सरकार ने शनिवार नेशनल ऐक्शन प्लान की एपेक्स कमेटी की बैठक में ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और पाकिस्तान के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ ही वरिष्ठ प्रशासनिक और सैन्य अधिकारी शामिल हुए थे। इसके बाद कहा जा रहा था कि पाकिस्तान एक बार फिर सैन्य अभियान शुरू करने जा रहा है। अभियान का फैसला चीन के वरिष्ठ मंत्री के पाकिस्तान दौरे के एक दिन बाद लिया था।पाकिस्तान ने 15 जून 2014 को अफगानिस्तान सीमा से लगे उत्तरी वजीरिस्तान इलाके में आतंकवाद विरोधी एक बड़ा सैन्य अभियान शुरू किया था, जिसे जर्ब-ए-अज्ब नाम दिया गया था। पीएमओ ने कहा, ‘ऐसे किसी बड़े पैमाने के सैन्य अभियान पर विचार नहीं किया जा रहा है, जिसमें आबादी के विस्थापन की आवश्यकता होगी।’ इसमें कहा गया है कि ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम पाकिस्तान में स्थायी स्थिरता के लिए एक बहु-क्षेत्रीय, बहु-एजेंसी, संपूर्ण-प्रणाली राष्ट्रीय दृष्टिकोण है।अभियान शुरू होने के एक महीने के भीतर इलाके से 80 हजार परिवारों से जुड़े लगभग 9.5 लाख लोगों को विस्थापित किया गया था। चीनी मंत्री लियु जियानचाओ ने साफ कर दिया था कि सुरक्षा स्थिति बहाल हुए बिना चीन आगे पाकिस्तान में निवेश नहीं करेगा। पाकिस्तान के नए अभियान के पीछे चीन के दबाव को प्रमुख वजह माना जा रहा है।