Thursday, November 21, 2024
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क्या 1951 तक का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है अब की गर्मी ?

अब की गर्मी पिछले 1951 तक का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है! प्रचंड गर्मी से देश का आधा हिस्सा झुलस रहा है। दिन में चिलचिलाती धूप के साथ लू के थपेड़ों ने आम लोगों की मुश्किलें पहले ही बढ़ा रखी हैं। अब तो रातें भी बुरी तरह से तप रही हैं। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, 1951 के बाद इस साल सबसे ज्यादा गर्मी पड़ रही। सबसे ज्यादा प्रभाव उत्तर-पश्चिम भारत के 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सों में दिख रहा। आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल की प्रचंड गर्मी ने देश भर में लाखों लोगों के लिए कष्टकारी परिस्थितियां पैदा कर दी हैं। उत्तर-पश्चिम भारत के कम से कम 50 फीसदी हिस्सों दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में शायद अब तक की सबसे लम्बी गर्मी पड़ रही है। देश के उत्तर, पूर्व और उत्तर-पश्चिम में पड़ रही यह गर्मी इसलिए बेहद कष्टकारी है, क्योंकि रात के समय भी तापमान असामान्य रूप से बढ़ रहा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के वैज्ञानिक इसे ‘गर्म रातें’ कह रहे, जिसके गवाह आम लोग बन रहे हैं। वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का कहना है कि दिन और रात के समय हाई टेम्प्रेचर से ऐसी परिस्थितियां पैदा हो गई हैं, जो शरीर पर अत्यधिक गर्मी का प्रभाव डालती हैं। इससे सबसे ज्यादा वो लोग प्रभावित हो रहे हैं जिनके पास एयर कंडीशनर या कूलर नहीं हैं। ठंडे पानी की उपलब्धता की कमी से यह और भी बढ़ जाता है।

उदाहरण के लिए, दिल्ली के कई इलाकों में भीषण गर्मी लोगों को परेशान कर रही। इस दौरान पानी का संकट उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ा रही। एचटी की रिपोर्ट के मुताबिक, आंकड़ों पर गौर करें तो उत्तर-पश्चिमी भारत के आधे से ज्यादा हिस्से में पिछले 33 दिनों यानी 16 मई से 17 जून के बीच लगभग रोजाना अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे ज्यादा रहा। यह दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के ज्यादादातर हिस्सों में 1951 के बाद से सबसे लंबा 40 डिग्री प्लस तापमान है। गुजरात का लगभग आधा हिस्सा और उत्तर प्रदेश का एक तिहाई से अधिक भाग इस बार 1951 के बाद से सबसे खराब गर्मी का सामना कर रहा। 1951 वो सबसे पहला वर्ष है जिसके गर्मी को लेकर आंकड़े उपलब्ध हैं। इससे पता चलता है कि कितनी भीषण गर्मी का सामना इस बार लोगों को करना पड़ रहा है।

दिन का तापमान अत्यधिक होना समस्या का एक हिस्सा है, लेकिन यह पूरी तरह से यह नहीं बताता कि इस साल की गर्मी इतनी कष्टदायक क्यों है। इसके लिए मौसम वैज्ञानिक रात में भी उच्च तापमान की ओर इशारा कर रहे। यही वह समय है जब लोग राहत की उम्मीद करते हैं। आईएमडी के महानिदेशक एम. महापात्रा ने कहा कि दिन का तापमान बहुत अधिक है। इसलिए स्वाभाविक रूप से रातें उतनी ठंडी नहीं हो पाती हैं। अगर अधिकतम तापमान 45-46 डिग्री सेल्सियस के बीच है, तो आप रात के तापमान के सामान्य रहने की उम्मीद नहीं कर सकते। गर्म रातों की घोषणा तभी की जाती है जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक रहता है। इसे वास्तविक न्यूनतम तापमान में अंतर के आधार पर परिभाषित किया जाता है। गर्म रातें तब होती है जब न्यूनतम तापमान सामान्य से 4.5 डिग्री सेल्सियस से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है।

स्काईमेट वेदर के जलवायु और मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने कहा कि इस समय रातें अधिक गर्म हो रही हैं। 11 जून से मॉनसून मध्य भारत से आगे नहीं बढ़ पाया है, जिससे मुश्किलें और बढ़ गई हैं। पलावत ने कहा कि हमें उम्मीद है कि कुछ दिनों में मानसून जोर पकड़ेगा, जिससे बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। इस बीच, डॉक्टरों का कहना है कि गर्मी से संबंधित बीमारियों और आपात स्थिति में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही। अधिकतम तापमान के विश्लेषण से पता चलता है कि उत्तरी मैदानी इलाकों के ज्यादातर हिस्सों में मौसम गर्म रहा। राजस्थान, हरियाणा, उत्तरी मध्य प्रदेश और दक्षिणी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे गया हो।

इस साल भीषण गर्मी से हिमालय भी अछूता नहीं रहा। सोमवार को जम्मू के कठुआ में 47.6 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया, जो जम्मू-कश्मीर में किसी भी स्थान के लिए सबसे अधिक तापमान था। जम्मू क्षेत्र में 18 मई से लगभग हर दिन तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहा है। हिमाचल प्रदेश के शिमला और धर्मशाला और उत्तराखंड के मसूरी और नैनीताल जैसे पर्वतीय स्थलों पर 23 मई से तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है, जबकि हिमाचल प्रदेश के ऊना और उत्तराखंड के रुड़की जैसे कुछ स्थानों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच गया है। आईएमडी ने अनुमान लगाया है कि कम से कम 20 जून तक लू की स्थिति बनी रहेगी। उत्तर प्रदेश में 20 जून तक अत्यधिक गर्मी के लिए रेड कैटेगरी की चेतावनी जारी की गई है। रेड कैटेगरी की चेतावनी का मतलब है कि स्थानीय अधिकारियों को गर्मी से जुड़ी आपात स्थितियों को रोकने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। वहीं पूरे देश में जून महीने की औसत बारिश इस बार सामान्य से कम रहने की संभावना है।

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