क्या इंसाफ की समय सीमा हो चुकी है तय?

0
129

वर्तमान में इंसाफ की समय सीमा तय हो चुकी है!राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले कृत्यों के लिए नये कानून ने आतंकवादी कृत्य को ऐसी किसी भी गतिविधि के रूप में परिभाषित किया है, जो लोगों में आतंक फैलाने के इरादे से भारत की एकता, अखंडता, संप्रभुता या आर्थिक सुरक्षा को खतरा पहुंचाती है। पांच या उससे अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जायेगी और जुर्माना भी देना होगा। 1973 की दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) ने प्रक्रियात्मक कानून में महत्वपूर्ण बदलाव किये हैं। एक महत्वपूर्ण प्रावधान विचाराधीन कैदियों के लिए है, जो पहली बार अपराध करने वालों को उनकी अधिकतम सजा का एक तिहाई हिस्सा पूरा करने के बाद जमानत पाने की अनुमति देता है। अब कम से कम सात साल की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक जांच अनिवार्य है, न्यायसंगत और सामंजस्यपूर्ण समाज के लिए प्रयासरत राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप और भारतीय लोकतंत्र के लचीलेपन और लोगों की बदलती जरूरतों और मूल्यों के अनुरूप विकसित होने की क्षमता का प्रतीक साबित होंगे। पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए, भारतीय संसद द्वारा बनाये गये कानूनों से चलेगी और पारदर्शी कानूनी प्रक्रियाओं के एक नये युग की शुरुआत होगी।जिससे यह सुनिश्चित होगा कि फोरेंसिक विशेषज्ञ अपराध स्थलों पर साक्ष्य एकत्र करें और रिकॉर्ड करें। यदि किसी राज्य में फोरेंसिक सुविधा नहीं है, तो उसे दूसरे राज्य में सुविधा का उपयोग करना होगा।

नये कानून में भारत में आपराधिक न्याय प्रक्रिया को सुव्यवस्थित और तेज करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण संशोधन किये गये हैं। विधेयक में विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं के लिए विशिष्ट समयसीमा निर्धारित की गयी है। बलात्कार पीड़ितों की जांच करनेवाले चिकित्सकों को सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। बहस पूरी होने के 30 दिनों के भीतर निर्णय सुनाया जाना चाहिए, जिसे 60 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है। पीड़ितों को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति की जानकारी देनी होगी। सत्र न्यायालयों को ऐसे आरोपों पर पहली सुनवाई से 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना आवश्यक होगा।

साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के संबंध में महत्वपूर्ण अपडेट पेश किये गये हैं। यह कहा जा सकता है कि भारतीय स्वभाव के अनुरूप कानून बनाने की दिशा में, नये आपराधिक कानून और अधिक पीड़ित-केंद्रित बनने की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव के साथ लाये गये हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में पीड़ितों के अधिकारों को कई तरीकों से परिभाषित और संरक्षित किया गया है, जो पीड़ितों को आपराधिक कार्यवाही में सक्रिय भागीदार बनाता है। 30 से अधिक ऐसे प्रावधान हैं, जो पीड़ितों के अधिकारों को प्रभावी ढंग से प्राथमिकता देते हुए उनकी रक्षा करते हैं।

भारत की क्षेत्रीय अखंडता की अनुल्लंघनीयता को सुदृढ़ करना, पुलिस और न्याय व्यवस्था में जनता के विश्वास को मजबूत करना, सार्वजनिक पदाधिकारियों को समयबद्ध कार्रवाई के लिए बाध्य करना और उन्हें अधिक जवाबदेह बनाने के साथ-साथ आपराधिक न्याय प्रणाली को प्रौद्योगिकी के साथ एकीकृत कर कुछ ऐसे आमूलचूल परिवर्तन हैं, जिनका उद्देश्य भारत के आपराधिक न्याय परिदृश्य में क्रमिक परिवर्तन को सुविधाजनक बनाना है।

आईपीसी (1860), सीआरपीसी (1973) और आइईए (1872) ब्रिटेन की संसद, लंदन गजट, कॉमनवेल्थ, हर मेजेस्टी ऑर द प्रिवी काउंसिल, ‘हर मेजेस्टी गवर्नमेंट, कोर्ट ऑफ जस्टिस इन इंग्लैंड, हर मेजेस्टीज़ डोमिनियन आदि जैसी शब्दावली से भरे हुए थे। आजादी के 76 साल बाद भी राष्ट्र के प्राथमिक आपराधिक कानून में इस भाषा का बने रहना एक उपहास था, जिसे बहुत लंबे समय तक नजरअंदाज किया गया।

नये आपराधिक कानूनों को पेश करना और संस्कृत नाम भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिश राज से विरासत में मिली भारत की विरासत का अंत है और भारतीय लोकाचार के पुनरुत्थान की शुरुआत है। इन नये कानूनों को लेकर भविष्य के कई प्रश्न भी उपजेंगे, बावजूद इसके सकारात्मक उम्मीद की जानी चाहिये कि ये कानून एक अधिक न्यायसंगत और सामंजस्यपूर्ण समाज के लिए प्रयासरत राष्ट्र की आकांक्षाओं के अनुरूप और भारतीय लोकतंत्र के लचीलेपन और लोगों की बदलती जरूरतों और मूल्यों के अनुरूप विकसित होने की क्षमता का प्रतीक साबित होंगे। पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए, भारतीय संसद द्वारा बनाये गये कानूनों से चलेगी और पारदर्शी कानूनी प्रक्रियाओं के एक नये युग की शुरुआत होगी।