वर्तमान में आतंकी संगठन के मामले में गृहमंत्री ने कमाल कर दिया है! आखिर गृह मंत्री अमित शाह का प्लान काम करने लगा। दक्षिण कश्मीर के कोकेरनाग में बीते शनिवार को आतंकवादियों के खिलाफ अभियान में भारतीय सेना ने भले ही दो वीर सपूतों को खो दिया हो, लेकिन इससे कई सकारात्मक संदेश मिले हैं। यह मुठभेड़ इस बात का संकेत है कि खुफिया जानकारी और सुरक्षा बलों की सशस्त्र प्रतिक्रिया के बीच की खाई कम हो रही है। हालांकि जंगली इलाकों और पहाड़ों के कारण खुफिया जानकारी और सशस्त्र प्रतिक्रिया के बीच अभी भी अंतर है, लेकिन भारतीय सेना अब जम्मू क्षेत्र में पूरी ताकत से तैनात है। ऊंचाई वाले इलाकों में काम करने के आदि थे। कोकेरनाग अभियान से पता चलता है कि भारतीय सुरक्षा बलों को आखिरकार आतंकवादियों के खिलाफ खुफिया जानकारी मिल रही है और अब बस कुछ ही समय की बात है जब इन जिहादियों का सफाया कर दिया जाएगा।वहां अर्धसैनिक बलों को शामिल किया जा रहा है, जिसमें असम राइफल्स की दो बटालियन भी शामिल हैं। असम राइफल्स के जवान जंगल-पहाड़ी युद्ध में प्रशिक्षित हैं और पिछले पांच दशकों से पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं। खुफिया जानकारी के मुताबिक, जैश-ए-मोहम्मद ग्रुप से जुड़े कम से कम 35 पाकिस्तानी नागरिक सांबा-कठुआ इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करके भारतीय सीमा में घुसे हैं। इनमें से करीब 10 दक्षिण कश्मीर की ओर कश्मीर घाटी में जा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर नामित पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जेईएम आतंकवादी समूह का संचालन आतंकी सरगना रऊफ असगर कर रहा है, जो मसूद अजहर का छोटा भाई है। जेईएम का आतंकवादी काशिफ जान इन आतंकवादियों को पंजाब-जम्मू और कश्मीर सीमा पर उड़झ नाले के रास्ते जम्मू-कश्मीर में भेज रहा है।
हालांकि राज्य पुलिस, आईबी, रॉ और सेना को जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सामंजस्य बिठाने की दरकार अब भी बनी हुई है। वहीं, सुरक्षा बलों को इस क्षेत्र में अपनी रणनीति और अपनी क्षमता को फिर से आंकने होंगे। तभी पाकिस्तान से घुसपैठ को रोककर आतंकवादियों का खात्मा किया जा सकेगा। जम्मू क्षेत्र में आतंकवाद के पीछे मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की गई घुसपैठ के कारण बलों की संख्या में कमी आना है।
मोदी सरकार ने जहां कश्मीर में सेना की संख्या बनाए रखने का फैसला किया, वहीं जम्मू से सेना को लद्दाख भेजा गया क्योंकि वे ऊंचाई वाले इलाकों में काम करने के आदि थे। कोकेरनाग अभियान से पता चलता है कि भारतीय सुरक्षा बलों को आखिरकार आतंकवादियों के खिलाफ खुफिया जानकारी मिल रही है और अब बस कुछ ही समय की बात है जब इन जिहादियों का सफाया कर दिया जाएगा।
सच्चाई यह है कि भारतीय सेना ने जम्मू में सेना की संख्या बढ़ा दी है। साथ ही आतंकवाद विरोधी अभियानों की दूसरी पंक्ति में अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी भी बढ़ी है। नए भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, उत्तरी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुचिंद्र कुमार और 16वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा सभी राजौरी-पुंछ सेक्टर के इलाके से अच्छी तरह वाकिफ हैं और हर कीमत पर पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों से लोहा लेने को तैयार हैं। बता दें कि भारतीय सेना अब जम्मू क्षेत्र में पूरी ताकत से तैनात है। वहां अर्धसैनिक बलों को शामिल किया जा रहा है, जिसमें असम राइफल्स की दो बटालियन भी शामिल हैं।
बता दें कि आतंकवाद पर काफी हद तक लगाम लगाने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने इसके पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त करने की जरूरत बताई है। एनआईए द्वारा आयोजित दो दिवसीय आतंकवाद निरोधी सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए शाह ने कहा कि भविष्य में कोई आतंकी संगठन खड़ा ही न हो पाए, इसके लिए सभी आतंकरोधी एजेंसियों को सख्त रुख अपनाना होगा। असम राइफल्स के जवान जंगल-पहाड़ी युद्ध में प्रशिक्षित हैं और पिछले पांच दशकों से पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी अभियानों में शामिल रहे हैं। आने वाले दिनों में सकारात्मक नतीजों की उम्मीद है क्योंकि गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर पुलिस और खुफिया एजेंसियों को स्पष्ट रूप से कह दिया है कि वे अपना काम करें।
उन्होंने एनआईए, एटीएस और एसटीएफ जैसी एजेंसियों को आतंकी घटनाओं की जांच के दायरे से बाहर निकलकर आतंकवाद पर जड़मूल से खत्म करने की दिशा में काम करने की सलाह दी।अमित शाह ने बताया कि मोदी सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति के कारण आतंकी घटनाओं में भारी कमी आई है। उन्होंने जून 2004 से मई 2014 की संप्रग सरकार और मोदी सरकार के जून 2014 से अगस्त 2023 के बीच हुई आतंकी घटनाओं के तुलनात्मक आंकड़े पेश किये।