कैसे थे राजू श्रीवास्तव, जाते-जाते भी हंसा गए दुनिया को!

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कॉमेडी किंग कहे जाने वाले राजू श्रीवास्तव अब इस दुनिया में नहीं रहे! कहानी खत्म हुई और ऐसे खत्म हुई कि लोग रोने लगे, तालियां बजाते हुए… रहमान फारिस की लिखी ये लाइन आज बरबस जेहन में आ जाती है। पूरे 42 दिन तक जिंदगी की जंग लड़ने के बाद कॉमिडी के बादशाह कहे जाने वाले राजू श्रीवास्तव की विदाई से हर कोई सकते में है। उनकी कॉमिडी पर जो लोग हंस-हंस के लोटपोट हुआ करते थे, आज उन सभी की आंखें नम हैं। वाकई यकीन नहीं आ रहा कि राजू हमारे बीच नहीं रहे। अपनी हंसोड़ हरकतों, मिमिक्री और रोजमर्रा की घटनाओं से लोगों को हंसाने वाले उस आम से लड़के के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि आगे चलकर एक दिन वो मनोरंजन जगत में कॉमिडी का किंग बनेगा। बचपन में राजू क्लास में वो टीचर्स की नकल करते थे, पूरी क्लास हंसती थी। कई बार इस कारण सजा भी मिली, लेकिन राजू ने हंसाना नहीं छोड़ा। स्कूल में होने वाले क्रिकेट मैच में उनकी बड़ी पूछ हुआ करती थी, क्योंकि उन जैसी कॉमेंट्री कोई कर ही नहीं पाता था। अपने एक इंटरव्यू में राजू ने हमें बताया था कि पहले परिवार और फिर परिचित और उसके बाद कानपुर में जब भी किसी के घर बर्थडे या कोई और फंक्शन होता, उन्‍हें को मिमिक्री के लिए बुलाया जाता। मिमिक्री करते-करते वह जमीन पर लेट जाया करते थे और तब मां कसकर डांट लगाया करती थी।

Raju Srivastav जिंदगी जीने की कला में माहिर थे। यही कारण है कि जीवन की विसंगतियों और विडंबनाओं को हास्य में पिरोकर जब वे परफॉर्म करते, तो लोगों के चेहरे पर हंसी होती, मगर बात दिल तक उतर जाती। हरदिल अजीज कॉमेडी किंग राजू भले आज हमारे बीच नहीं रहे, मगर उन्हें कभी भुलाया न जा सकेगा। गुरुवार, 22 सितंबर को राजू पंचतत्‍व में विलीन हो गए। उन्‍हें हंसाने की कला आती थी और यकीन है कि वह अब दूसरी दुनिया में भी मंच सजाकर सबको लोटपोट करेंगे। महज 58 साल में दुनिया छोड़कर गए राजू श्रीवास्तव की पहचान सिर्फ एक कॉमेडियन की नहीं है। वह एक बेहद जहीन शख्‍स‍ियत के मालिक थे। वो जो अपनों के लिए हर पल मौजूद रहता था।

कानुपर में 25 दिसंबर 1963 को पैदा हुए राजू श्रीवास्‍तव के पिता रमेश चंद्र श्रीवास्तव अपने इलाके में बलई काका के नाम से लोकप्रिय कवि थे। राजू की मां चाहती थीं कि उनका बेटा आईपीएस या आईएएस अधिकारी बनें, मगर राजू को तो कॉमिडी की धुन सवार थी। फिल्म ‘शोले’ ने राजू की जिंदगी बदल दी। उन्होंने ‘शोले’ के अमिताभ बच्चन के डायलॉग्स की मिमिक्री करनी शुरू कर दी और उसी के साथ हुआ उनके आस-पास के इलाकों में स्टेज शोज का सिलसिला शुरू। मगर राजू तो कॉमिडी की दुनिया में छा जाने का सपना देख रहे थे और इसीलिए वे मुंबई आ गए।

मुंबई में रोजमर्रा के खर्चों के लिए उन्हें थोड़े पैसे भेजे जाते थे, मगर जब वे कम पड़ने लगे, तो राजू ने ऑटो चलाना शुरू किया। उन्होंने बताया था, ‘ऑटो चलाते हुए अक्‍सर मैं अपने पैसेंजर को मिमिक्री कर के हंसाया करता था। ऐसे ही एक पैसेंजर के जरिए मुझे एक शो मिला। उस शो के मुझे बच्चन साहब (अमिताभ बच्चन) की मिमिक्री करने के 50 रुपये मिले थे। उस जमाने में पचास रुपये बहुत हुआ करते थे।’ इसे किस्मत की विंडबना ही कहना होगा कि जूनियर अमिताभ बच्चन के नाम से जाने जाने वाले राजू को हाल ही में जब हॉस्पिटलाइज किया गया, तो बिग बी ने अपनी आवाज में शुभकामनाओं वाला एक वॉइस नोट भेजा था।

छोटे पर्दे पर 2005 में आए ‘द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज’ में गजोधर भैया के नाम से मशहूर हुए राजू इससे पहले 1998 में दूरदर्शन पर दोपहर साढ़े तीन बजे टी टाइम मनोरंजन में दर्शकों का खूब मनोरंजन कर चुके थे। राजू ने बताया था, ‘जब मैं मुंबई आया, तो हम जैसे स्टैंडअप कमीडियन के लिए जॉनी भाई (जॉनी लीवर) कॉमिडी के बेताज बादशाह हुआ करते थे। मैं जब मुंबई में उनसे मिला, तो मुझे लगा मेरा सपना पूरा हुआ। जॉनी भाई ने मुझे काफी गाइड और सपोर्ट किया।’ राजू को काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। हालांकि लाफ्टर चैलेंज में आने से पहले उनके हंसो और हंसाओ और राजू आला जैसे कैसेट्स काफी लोकप्रिय हो चुके थे। कई मंचों पर उन्होंने स्टैंड अप कॉमिडी भी की, मगर फिल्मों में मौका पाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। जब काम नहीं मिलता, तो राजू छोटी-मोटी बर्थ डे पार्टी में 100-50 रुपये की मिमिक्री कर गुजारा किया करते थे। मगर फिर लाफ्टर चैलेंज उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। इस स्टैंड अप कॉमिडी शो में भले राजू उपविजेता रहे, मगर उनकी कॉमिडी ने सभी को हंसाया-गुदगुदाया। उसके बाद उन्हें पलट कर देखने की जरूरत न पड़ी।

करियर की शुरुआत में राजू सलमान खान की फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में ट्रक क्लीनर की छोटी-सी भूमिका में नजर आए। उसके बाद उन्होंने ‘तेजाब’, ‘बाजीगर’, ‘अभय’, ‘मिस्टर आजाद’, ‘आमदनी अठन्नी खर्चा रुपइया’, ‘मैं प्रेम की दीवानी हूं’, ‘टॉयलेट- एक प्रेम कथा’ और ‘फिरंगी’ जैसी कई फिल्मों में काम किया। छोटे पर्दे पर उन्होंने ‘शक्तिमान’, ‘राजू हाजिर हो’, ‘कॉमिडी का हंसीपुर’, ‘कॉमिडी का महा मुकाबला’, ‘बिग बॉस’, ‘कॉमिडी सर्कस’, और ‘कॉमिडी नाईटस विद कपिल’ में दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। राजू के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। उनकी बेटी अंतरा असिस्टेंट डायरेक्टर हैं, जबकि बेटा आयुष्मान अभी कॉलेज में पढ़ रहा है।

शेखर सुमन कहते हैं, ‘राजू को मैं पिछले 20-25 सालों से जानता हूं। अनगिनत यादें जुड़ी हैं। उससे मुझे अधिकारी ब्रदर्स के मार्कंड अधिकारी ने मिलवाया था। मार्कंड राजू को बहुत पसंद करते थे। अक्सर वे राजू को अपने ऑफिस बुला लेते थे और उसके बाद राजू की मिमिक्री का सिलसिला शुरू होता और हम लोग खूब हंसते थे। मुझे याद है। 1994 की बात है। मैं निर्देशक विनोद पांडे के सीरियल रिपोर्टर की शूटिंग कर रहा था और नाईट शिफ्ट थी। विनोद ने मुझे दस पन्ने का सीन पकड़ाते हुए कहा, सुबह पांच बजे तक की शिफ्ट है और ये सीन तुमको एक टेक में ओके करना है। बहुत कम समय बचा था। मैंने उनसे पूछा साथ में को-स्टार कौन है? तो वे बोले राजू श्रीवास्तव। हमने सीन शुरू किया और मैं आपको बता नहीं सकता कि पांच बजने में पांच मिनट बाकी थे और हमने वो सीन वन टेक में ओके कर दिया, तो ये था अभिनय के मामले में राजू की स्पॉनटेनिटी का कमाल। वो मुझे भैया कह कर पुकारा करता था। जब मैं द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज का जज बना, तो राजू मेरे पास आया। वो बहुत दुविधा में था। उसने कहा, भैया मैं इस शो में भाग लूं या नहीं? क्योंकि इसमें आने वाले सभी प्रतिभागी नए हैं और मेरी अपनी एक पहचान है। फिर अगर मैं विनर साबित नहीं हुआ, तो कहीं मेरे करियर को नुकसान न पहुंचे। मैंने उसे सलाह दी कि उसे इस शो में जरूर भाग लेना चाहिए, क्योंकि इससे वो नैशनल लेवल की ख्याति पा सकेगा।’

कॉमेडियन सुनील पाल कहते हैं, ‘मैं जब सन 1995 में राजू भाई से मिला, तो मेरे लिए वो स्टार थे। उनकी स्टैंड अप कॉमिडी और कैसेट्स हमारी हास्य कलाकारों की जमात में काफी लोकप्रिय थी। मुझे उनसे उनके छोटे भाई दीपू श्रीवास्तव ने मिलाया था। उनसे मिलते ही मैं तो उनका मुरीद हो गया। राजू भाई की खासियत है कि हमारी जमात से जो भी उनसे मिलने जाता, वे उसे कन्वेंस और खाना जरूर देते हैं। वे जरूरतमंद लोगों की बहुत मदद करते हैं, मगर कभी ढिंढोरा नहीं पीटते। उनके साथ जब लाफ्टर चैलेंज करने का मौका मिला, मुझे तब भी लगा था कि वे उस शो के जज बनने योग्य थे। वे तो प्रतिभा का भंडार हैं। मैं उनसे नियमित रूप से मिलता हूं। अभी दो हफ्ते पहले मेरा उनसे मिलना हुआ। मैं गोविंदा की मिमिक्री करने वाले एक आर्टिस्ट को उनसे मिलाने ले गया। वे उस आर्टिस्ट की मिमिक्री सुनकर इतना ज्यादा खुश हुए कि उन्होंने झट से 2000 रुपये निकाल कर उसे दिए। हमारी जमात के लिए तो वे बहुत बड़े आधार स्तंभ हैं। मैं उन्हें अपना फ्रेंड, फिलोसफर,गाइड सभी कुछ मानता हूं।’