Sunday, September 8, 2024
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अगर अमेरिका के राष्ट्रपति का पद ट्रंप ने जीता तो भारत को फायदा होगा या नुकसान?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि अगर अमेरिका के राष्ट्रपति का पद ट्रंप ने जीता तो भारत को फायदा होगा या नुकसान! अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन के बीच मुकाबला है। डोनाल्ड ट्रंप ने उप राष्ट्रपति पद के लिए 39 वर्षीय सीनेटर जेडी वेंस को चुना है। वहीं, बाइडेन का साथ देने के लिए कमला हैरिस मैदान में हैं। डोनाल्ड ट्रंप पर हमले के बाद से उनके पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है। ऐसे में सवाल है कि यदि ट्रंप और वेंस की जोड़ी चुनाव जीतती है तो भारत के लिए यह कितना फायदेमंद हो सकता है। डेमोक्रेटिक पार्टी के लगभग तीन-चौथाई नेता हैरिस के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, जबकि बाइडन के लिए भी वे ऐसा ही दृष्टिकोण रखते हैं।पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर चीन को एक खतरे के रूप में पहचाना था।अगर जेडी वेंस चुनाव जीतते तो वे गृहयुद्ध के बाद से संयुक्त राज्य अमेरिका के सबसे युवा उपराष्ट्रपति होंगे। उनकी भारतीय मूल की पत्नी के कारण भारत में उनके चुनाव लड़ने ने स्वाभाविक रुचि पैदा की है। उनकी पत्नी का परिवार आंध्र प्रदेश से संबंध रखता है। अब ट्रंप-वेस की नीतियों के संदर्भ में जिक्र करना जरूरी है। इस जोड़ी की नीतियों को लेकरर कुछ चिंताएं हैं। जैसे कि ट्रम्प-वेंस प्रशासन इमिग्रेशन पर बैन लगा सकता है। इसका असर शिक्षा और नौकरी के लिए अमेरिका जाने के इच्छुक भारतीयों पर पड़ सकता है।

इस बात को लेकर टेंशन है कि ट्रंप-वेंस एडमिनिस्ट्रेश इमिग्रेशन पर बैन लगा सकता है। इसका संभावित असर शिक्षा और नौकरी के लिए अमेरिका जाने के सपने देखने वाले भारतीयों पर पड़ सकता है। व्यापार के लिए अधिक लेन-देन वाला दृष्टिकोण, जिसमें ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट नीति के अनुरूप भारतीय वस्तुओं और सेवाओं पर शुल्क और टैरिफ शामिल हैं, कुछ परेशानियां पैदा कर सकता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि वेंस को बातचीत और सुधार के लिए खुला माना जाता है। ट्रंप ने खुद भी अक्सर मुद्दों को सुलझाने के लिए सौदे करने की वकालत की है।

विदेश नीति पर अपने भाषणों में सीनेटर वेंस ने चीन को एक प्राइमरी रणनीतिक प्रतिस्पर्धी के रूप में बताया है। इसके साथ ही बीजिंग के बढ़ते प्रभाव के लिए अमेरिका से अधिक मुखर प्रतिक्रिया का आह्वान किया है। इस साल की शुरुआत में, उन्होंने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में कहा कि अमेरिकी विदेश नीति को अगले 40 वर्षों के लिए पूर्वी एशिया पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इस सप्ताह एक इंटरव्यू में उन्होंने चीन को ‘अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा’ बताया था। वेंस को ट्रम्प की तुलना में एक अधिक प्रखर ट्रेड वॉरियर के रूप में देखा जाता है।

वेंस ने पिछले वर्ष एक ऐसे कानून को सह-प्रायोजित किया था, जिसके तहत चीन की सरकार के लिए अमेरिकी पूंजी बाजारों तक पहुंच को रोकने करने की मांग की गई थी। ऐसा चीन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून का पालन करने में विफल रहने की सूरत में था। भारतीय विदेश नीति प्रतिष्ठान में कई लोगों द्वारा यह सब अच्छी खबर के रूप में माना जाता है। यही नहीं  इन नेताओं का मानना है कि वह सबसे पुराने दल रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप को बाइडन से ज्यादा कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जहां तक हैरिस की बात है तो वह बाइडन का पूरी तरह से समर्थन करती रही हैं। बहस में खराब प्रदर्शन के बाद भी उन्होंने बाइडन का बचाव किया था। 

यह उस तरीके से भी मेल खाता है जिस तरह से ट्रम्प ने चीन को अमेरिका के रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश किया था। मिसूरी के ग्रीनवुड में डेमोक्रेटिक पार्टी के एक नेता ओकली ग्राहम ने कहा कि वह बाइडन के कार्यकाल में हासिल हुईं उपलब्धियों को लेकर ‘काफी खुश’ हैं, लेकिन उन्हें लगता है कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए हैरिस का समर्थन करके उन्हें ज्यादा खुशी होगी। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि एक महिला देश की राष्ट्रपति बने। डेमोक्रेटिक पार्टी के लगभग तीन-चौथाई नेता हैरिस के बारे में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, जबकि बाइडन के लिए भी वे ऐसा ही दृष्टिकोण रखते हैं।इस बात को लेकर टेंशन है कि ट्रंप-वेंस एडमिनिस्ट्रेश इमिग्रेशन पर बैन लगा सकता है। इसका संभावित असर शिक्षा और नौकरी के लिए अमेरिका जाने के सपने देखने वाले भारतीयों पर पड़ सकता है।पहली बार किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर चीन को एक खतरे के रूप में पहचाना था।

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