क्वाड के बाद दुसरे कूटनीतिक समीकरण को तैयार भारत।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में क्वाड की कूटनीति से पहले ही चीन इतना परेशान था; कि भारत ने अमेरिका, इजरायल और यूएई के साथ मिलकर एक नया कूटनीतिक समूह तैयार करने पर चर्चा शुरु कर दी। इस समूह से न केवल चीन बल्कि दुनिया भर पर असर पड़ेगा।भारत ने अमेरिका, इजरायल और यूएई नए क्वाड के जरिए पश्चिम एशिया के लिए एक नए तरह का क्वाड बना रहें हैं। इस क्वाड को आई 2यू2 नाम दिया गया है।जहां आई 2 इंडिया और इजरायल को दर्शाता है वहीं यू 2 यूएसए और यूएई को दर्शाता है।
इस समूह के प्रमुखों की पहली बैठक अगले महीने होने वाली हैं।इस बैठक में पीएम मोदी,अमेरिका के राष्ट्रपती जो बाइडेन, इजरायल के पीएम नेफ्तानी बेनेट और यूएई के प्रेसिडेंट मोहम्मद बिन जायेद शामिल होगें।इस बैठक में आर्थिक हितों के सहयोग पर बात हो सकती है। वही जानकरो की माने तो पश्चिमी देशों में इस बैठक से काफी चर्चाएं हो रही है।बैठक की अध्यक्षता पीएम मोदी और जो बाइडेन करेंगे वही ये जानकारी अमेरिकी सरकार की तरह से दी गई है,जिसमे उन्होंने कहा है की जो बाइडेन अगले महीने यूएई और इजरायल की यात्रा पर जाने वाले है और इसी दौरान ही वह आई 2यू2 की बैठक में भी भाग लेंगे।अमेरिकी सरकार के एक मंत्रालय की तरफ से बताया गया की जो बाइडेन इस यात्रा को लेकर काफी उत्सुक है।इस बैठक में जो बाइडेन और अमेरिकी सरकार की माने तो खाद्य सुरक्षा और रक्षा सहयोग को लेकर बात होनी है।
पहले ही बन चुकी है रणनिती।
क्वाड का बदला रूप जरूर ही आई 2यू2 के नाम से सामने आया पर इसका एजेंडा लगभग वही है। इस समूह के के विदेश मंत्रियों की बैठक पहले ही हो चुकी अब सभी देशों के प्रमुखों की बैठक को लेकर इंतजार है।विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद इजराल के विदेश मंत्रालय ने कहा की ये समूह आर्थिक सहयोग को लेकर बात करेंगे।और एक आर्थिक अंतरराष्ट्रीय फॉर्म बनाएंगे, वही अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने बोला के चारो देश आर्थिक और राजनीतिक सहयोग करेंगे।
विदेश मंत्रियों की बैठक में क्या था खास।
चारों देशों ने इस बात पर जोर दिया है कि जो नया समूह बना है उसमे में कोई सैन्य तत्व नहीं होंगे और यह किसी भी देश के खिलाफ निर्देशित नहीं है। इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने हाल ही में कहा था कि चल रहे सहयोग के लिए कोई सैन्य कोण नहीं है और चार राष्ट्र अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर केंद्रित एक रचनात्मक एजेंडे का पीछा कर रहे थे। और हम आशा करते है की ये चारो देशों और दुनिया के लिए अच्छा साबित होगा।
आई 2यू2 के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक संयुक्त कार्य समूह नियुक्त किया है जो सहयोग के विकल्पों के साथ आएगा।
अक्टूबर में हुई बैठक पिछले साल के अब्राहम समझौते द्वारा बनाई गई गति पर बनी थी।
क्या है अब्राहम एकॉर्ड हाल ही में खाड़ी क्षेत्र के दो देशों बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने इज़राइल के साथ ‘अब्राहम एकॉर्ड’ (Abraham Accord) पर हस्ताक्षर किये हैं।
अब्राहम एकॉर्ड:
‘अब्राहम एकॉर्ड (Abraham Accord) इज़राइल और अरब देशों के बीच पिछले 26 वर्षों में पहला शांति समझौता है।गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 1994 में इज़राइल और जॉर्डन के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।अमेरिकी राष्ट्रपति के अनुसार, यह समझौता पूरे अरब क्षेत्र में व्यापक शांति स्थापना के लिये एक नींव का काम करेगा, हालाँकि इस समझौते में इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष के संदर्भ में कोई बात नहीं की गई है।ध्यातव्य है कि 13 अगस्त, 2020 को इज़राइल-यूएई शांति समझौते की घोषणा के बाद 11 सितंबर को बहरीन-इज़राइल समझौते की घोषणा की गई थी।अमेरिकी राष्ट्रपति ने अन्य अरब देशों के भी इस समझौते में शामिल होने के संकेत दिये हैं।
भारत ने किया अब्राहम समझौते का समर्थन।
भारत ने अब्राहम समझौते का समर्थन किया है, जिसके माध्यम से इज़राइल ने संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, सूडान और मोरक्को के साथ संबंधों को सामान्य किया। भारत, इज़राइल और यूएई ने भी त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाया है, विशेष रूप से व्यापार और निवेश में, क्योंकि अमेरिका ने समझौतों में मध्यस्थता की है।
अब्राहम समझौते ने मूल रूप से संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे खाड़ी देशों को खोलने का नेतृत्व किया है। कुवैत और सऊदी अरब जैसे कुछ देश अधिक सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं। वे फास्ट ट्रैक पर नहीं हैं क्योंकि वे पेशेवरों और विपक्षों का मूल्यांकन करने के बाद आगे बढ़ेंगे।