यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अब दुनिया भर में नई महामारी आने वाली है या नहीं! 2009 की जुलाई की बात है, ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में सुअर फॉर्म हाउसों में एक अजीबोगरीब बीमारी फैली, जिसने पूरे ऑस्ट्रेलिया में सुअरों की अपनी चपेट में ले लिया। जांच में पता चला ये सुअर H1N1 यानी इन्फ्लुएंजा से संक्रमित हुए थे। दरअसल, संक्रमण की शुरुआत इंसानों से सुअरों में हुई। तब इसे H1N1/09 नाम दिया गया। सुअरों को जमकर खासी आती और उनकी भूख ही मर गई। कुछ मादा सुअर ऐसी थीं, जिनमें अपने बच्चों के लिए दूध ही नहीं उतरता था। आज यही वायरस पहली बार किसी इंसान से इंसान में फैलता दिख रहा है। यह किस खतरे का संकेत है, इसे समझते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन्फ्लुएंजा A वायरस 20वीं सदी में तीन महामारियों की वजह बना था। इसमें से एक महामारी 1918 में फैली, जिसके पीछे H1N1 जिम्मेदार था। यह इतना घातक था कि इसकी वजह से तब दुनिया भर में 5 करोड़ लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। इसके बाद 1957 में इन्फ्लुएंजा A (H2N2) से 20 लाख लोगों, 1968 में इन्फ्लुएंजा A (H3N2) 10 लाख लोगों की मौत हो गई। इसके बाद इन्फ्लुएंजा महामारी नहीं बन सका। फिर अरसे बाद 2009 में इन्फ्लुएंजा A (H1N1) लौटा। इसे तब विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने पूरी दुनिया के लिए महामारी घोषित कर दिया था। उस वक्त दुनिया भर में इसके 2.5 लाख केस सामने आए थे, इसमें से 2,832 लोगों की मौत हो गई। अब 21वीं सदी में सबसे बड़ा खतरा H5N1 के रूप में दस्तक दे रहा है, क्योंकि यह इंसान से इंसान में फैलने वाला संक्रमण है। 1997 में पहली बार एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस इंसानों में फैला, जिससे 6 लोगों की मौत हो गई।
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में इंसान में ‘बर्ड फ्लू’ संक्रमण के पहले मामले का पता चला। एक बच्चा कुछ सप्ताह पहले भारत में रहते हुए इस संक्रमण की चपेट में आया था। बच्चा अब स्वस्थ है। दरअसल, विक्टोरिया में एक बच्चे में संक्रमण की पुष्टि हुई, जो ऑस्ट्रेलिया में बर्ड फ्लू का पहला मामला है। बच्चा भारत में रहते हुए H5N1 फ्लू का शिकार हुआ था और इस साल मार्च के महीने में बीमार था। एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस को बर्ड फ्लू भी कहते हैं। ये वायरस पक्षियों से पक्षियों में फैलता है और ज्यादातर पक्षियों के लिए जानलेवा भी साबित होता है। यदि कोई व्यक्ति बर्ड फ्लू से संक्रमित जानवर या पक्षी के थूक (लार), सांस लेने के दौरान पानी की बूंदें या पूप (मल) के संपर्क में आते हैं तो उन्हें बर्ड फ्लू हो सकता है। यह वायरस जानवरों के आवास में छोटे धूल कणों से सांस के माध्यम से अंदर जा सकता है या संक्रमित जानवर के शरीर के तरल पदार्थों को छूने के बाद अगर इंसान अपनी आंखों, नाक या मुंह को छुए तो भी संक्रमित हो सकता है।
इन्फ्लुएंजा के जितने भी रूप हैं, वो सभी पानी के सोर्स से ही पनपे हैं। खासकर तालाबों और नदियों से। हालांकि, पानी में तैरने वाले पक्षी इस वायरस से बीमार नहीं पड़ते हैं। इसमें बदलाव की इतनी जबरदस्त क्षमता होती है कि ये कहीं भी कभी फैल सकता है। यह इंसानों, सुअरों, घोड़ों और कुत्तों में फैल सकता है। इसे ह्मून, स्वाइन, इक्वाइन और कैनाइन इन्फ्लुएंजा वायरस भी कहा जाता है। चीन में 1996 में पहली बार H5N1 तेजी से संक्रमित करना शुरू गए। यह वायरस जंगली पक्षियों से घरेलू पक्षियों के बीच फैलने लगा और यहीं से यह इंसानों के बीच 1997 में संक्रमित करने लगा। हांगकांग में पहला केस मिला था।
कोरोना महामारी के बाद H5N1 को आने वाले समय में बड़ी महामारी माना जा रहा है। यह बीमारी कोरोना से 100 गुना अधिक घातक साबित हो सकती है। बताया जा रहा है कि यह कोविड-19 संकट से कहीं अधिक विनाशकारी हो सकती है। अब 21वीं सदी में सबसे बड़ा खतरा H5N1 के रूप में दस्तक दे रहा है, क्योंकि यह इंसान से इंसान में फैलने वाला संक्रमण है। 1997 में पहली बार एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस इंसानों में फैला, जिससे 6 लोगों की मौत हो गई।इस महामारी में H5N1 स्ट्रेन विशेष रूप से गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण शुरुआत के 4 दिनों में दिख जाते हैं। इसके लक्षण सात दिनों में खत्म भी हो जाते हैं। इसके लिए खूब पानी पीना चाहिए। अच्छा खानपान होना चाहिए। अपने हाथों को साफ-सुथरा रखें और धुलते रहें। बीच में एक बार स्टीमी शॉवर लें। विटामिन-डी युक्त भोजन जरूर करें।