यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या अग्निवीर का मुद्दा बीजेपी के लिए नुकसानदायक है या नहीं! पिछले लोकसभा चुनाव की तरह इस चुनाव में भी सेना एक मुद्दा है। जहां 2019 में एयर स्ट्राइक को लेकर खूब चर्चा हुई और चुनाव का बड़ा मुद्दा बना, वहीं इस लोकसभा चुनाव में सेना में भर्ती की स्कीम अग्निपथ मुद्दा है। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में वादा किया है कि सरकार बनने पर वह सेना में भर्ती की अग्निपथ स्कीम को स्क्रैप करेंगे और अग्निवीर की जगह पुरानी भर्ती प्रक्रिया के हिसाब से ही सेना में भर्ती होगी। हालांकि बीजेपी अग्निवीर और अग्निपथ स्कीम के फायदे गिना रही है। अग्निवीर स्कीम को लेकर युवाओं की नाराजगी स्कीम लागू करते वक्त भी दिखी थी। इसे लेकर बार-बार सवाल भी पूछे जाते रहे। चुनाव से ठीक पहले भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ स्कीम की तारीफ की साथ ही कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो बदलाव किया जा सकता है। हालांकि ये बयान बार-बार दिया गया है। आर्टिकल 370 हटने के बाद जब सेना की भर्ती के लिए लाखों कश्मीरी युवा आए तब भी कांग्रेस पार्टी को दर्द हुआ। इसी तरह से अग्निवीर योजना का शुरू से विरोध करना, यह दर्शाता है कि कांग्रेस की मनोस्थिति थोड़ी खराब चल रही है और उनके इलाज की आवश्यकता है।जब अग्निपथ स्कीम लागू की गई थी उस वक्त भी यह साफ कहा गया था कि आगे जैसी जरूरत होगी उस हिसाब से इसमें सुधार करने के रास्ते खुले हैं। सेना भी अग्निवीर पर इंटरनल फीडबैक ले रही है।
बीजेपी से पूछा कि कांग्रेस ने अग्निपथ स्कीम स्क्रैप करने का वादा किया है और युवाओं के बीच यह एक मुद्दा है, अब इस मसले पर बीजेपी की क्या सोच है? बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि सेना के बारे में बात करने का और सेना से जुड़ा कोई भी मुद्दा उठाने का कांग्रेस को नैतिक अधिकार नहीं है। उनके समय में जवानों के पास बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं थे और मां-बेटा वीवीआईपी चॉपर खरीद रहे थे। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री और गृह मंत्री ने अग्निवीर को लेकर पार्टी की सोच साफ बताई है। भाटिया ने कहा कि अग्निवीर स्कीम देश के हित में है। हमारे युवाओं के हित में है। रेगुलर रिक्रूटमेंट हो रहा है ये हम सब जानते हैं। 25 पर्सेंट अग्निवीर को आर्म्ड फोर्स में परमानेंट किया जाएगा। जहां पर बीजेपी शासित सरकारे हैं वहां पुलिस में उनके लिए अलग से स्थान है और इसी तरह से पैरामिलिट्री फोर्स में भी उनके लिए विशेष आरक्षण हैं।
गौरव भाटिया ने कहा कि अगर युवाओं और भारतीय सेना का सबसे ज्यादा ध्यान किसी ने रखा है तो वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा है। लेकिन बार-बार सेना का मनोबल तोड़ना, आर्टिकल 370 हटने के बाद जब सेना की भर्ती के लिए लाखों कश्मीरी युवा आए तब भी कांग्रेस पार्टी को दर्द हुआ। इसी तरह से अग्निवीर योजना का शुरू से विरोध करना, यह दर्शाता है कि कांग्रेस की मनोस्थिति थोड़ी खराब चल रही है और उनके इलाज की आवश्यकता है।
दरअसल जब अग्निपथ स्कीम लागू की गई उससे पहले दो साल तक कोविड की वजह से सेना में भर्ती बंद थी। जिन युवाओं ने तब आर्मी और एयरफोर्स के लिए अप्लाई किया था, ऐसे हजारों युवाओं ने मेडिकल और फिजिकल टेस्ट पास भी कर लिया था। वे लिखित परीक्षा का इंतजार कर रहे थे। लिखित परीक्षा की तारीख कई बार तय हुई और फिर बदल दी गई। लेकिन फिर परीक्षा हुई ही नहीं। इसी तरह एयरफोर्स में भी हजारों युवाओं ने एयरमैन के लिए अप्लाई किया। मेडिकल, फिजिकल और लिखित परीक्षा भी पास कर ली और उनकी एनरोलमेंट लिस्ट आनी थी और उसके आधार पर उन्हें एयरफोर्स जॉइन करनी थी। बता दें कि बीजेपी अग्निवीर और अग्निपथ स्कीम के फायदे गिना रही है। अग्निवीर स्कीम को लेकर युवाओं की नाराजगी स्कीम लागू करते वक्त भी दिखी थी। इसे लेकर बार-बार सवाल भी पूछे जाते रहे। चुनाव से ठीक पहले भी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ स्कीम की तारीफ की साथ ही कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो बदलाव किया जा सकता है। लेकिन एनरोलमेंट लिस्ट आई नहीं और बार-बार कहा गया कि इसमें देरी हो रही है। फिर अग्निपथ स्कीम के साथ ही यह ऐलान कर दिया गया कि सभी भर्ती इसी स्कीम के तहत होंगी और पुरानी भर्ती प्रक्रिया अब आगे नहीं बढ़ेंगी। ऐसे में युवाओं का सबसे बड़ा विरोध यह था कि पुरानी भर्ती प्रक्रिया पूरी क्यों नहीं की गई।