
वर्तमान में भारत का रिश्ता बांग्लादेश के साथ बढ़ता जा रहा है! पीएम मोदी के शपथ समारोह में हिस्सा लेने के लिए हाल ही में दिल्ली आई बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना 21 जून को भारत आ रही है। ये 15 दिनों में दूसरी बार है जब शेख हसीना नई दिल्ली के दौरे पर होंगी। दरअसल भारत दौरे के बाद बांग्लादेशी पीएम का चीन जाने का भी कार्यक्रम है। ऐसे में इस दौरे को बांग्लादेश सरकार की ओर से इसे भारत और चीन के बीच बैलेंसिंग एक्ट की दिशा में की जाने वाली एक कोशिश की तरह देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इस दौरान दोनों के प्रधानमंत्री द्विपक्षीय संबंधों के व्यापक दायरे पर चर्चा और समीक्षा करेंगे। वहीं इसके अलावा रेल,एनर्जी कनेक्टिविटी और दूसरे कई अहम मुद्दों पर भी बात हो सकती है। हालांकि जानकार कह रहे हैं कि इस दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच तीस्ता मास्टर प्लान को लेकर भी बात हो सकती है। दरअसल फिर से बांग्लादेश में फिर से सत्ता आने के बाद शेख हसीना ने हाल ही में अपनी देश की संसद में तीस्ता मास्टर प्लान को लागू करने के मद्देनजर चीन से कर्ज हासिल करने को लेकर बयान दिया है। पहले से लंबित इस प्रोजेक्ट को लेकर चीन ने फिर से रूचि दिखाई है। हालांकि बीते मई महीने में विदेश सचिव विनय क्वात्रा भी बांग्लादेश दौरे पर थे, उनके साथ मुलाकात के बाद बांग्लादेश के विदेश मंत्री हसन महमूद ने ये कहा बी था कि तीस्ता पर बांध बनाने को लेकर भारत भी वित्तीय मदद देना चाहता है।
चीन मामलों के जानकार हर्ष पंत कहते हैं कि ये स्वाभाविक है कि इस मसले पर चीन के प्रस्ताव को लेकर कोई कदम उठाने से पहले शेख हसीना भारत से किसी तरह की स्पष्टता की उम्मीद कर रही होंगी, और ये मुद्दा उनके भारत दौरे में शीर्ष नेतृत्व के साथ उठ सकता है। वो कहते हैं कि ‘जहां पर भी भारत और पड़ोसी देशों के बीच अलग दृष्टिकोण होने की गुंजाइश होती है, वहां चीन घुसने की कोशिश करता है। खासकर भारत की वजह से तीस्ता का मामला काफी लटका हुआ है, जिसे लेकर बांग्लादेश में इस मसले पर भारत को लेकर एक नकारात्मक अप्रोच है, लोगों को ऐसा लगता है कि भारत इसे सुलझा नहीं रहा है। हालांकि 2014 के दौरान भारत -बांग्लादेश इसे सुलझाने के बेहद करीब पहुंच गए थे, लेकिन ममता बनर्जी के विचार इसे लेकर अलग थे। इसलिए आगे नहीं बढ़ पाया। दरअसल हमारे यहां मसला राज्य और केंद्र सरकार के बीच के क्षेत्राधिकार से जुड़ा है।
वो आगे कहते हैं कि चीन अपने नए ऑफर के जरिए संकेत देना चाहता है कि वो बांग्लादेश के साथ है। हालांकि हसीना ये जानती हैं कि अगर वो चीन के साथ जाती हैं तो भारत के लिहाज से ये असहज करने वाली स्थिति होगी। यही वजह है कि उन्होंने इस मसले पर थोड़ा दबाव बनाने के लिए ही संसद में बयान दिया होगा। यही वजह है कि चीन जाने से पहले वो भारत आकर ये स्पष्टता चाह रही होंगी कि आखिर भारत इसमें क्या चाह रहा है ? आखिर वो नहीं चाहेंगी कि इस मसले पर भारत के साथ संबंधों में खटास आए क्योंकि अगर तीस्ता के मसले को छोड़ दिया जाए तो दोनों देशों के रिश्ते बहुत अच्छे चल रहे हैं। लेकिन ये भी साफ है कि शेख हसीना के ऊपर अंदरूनी तौर पर बहुत प्रेशर है। ऐसे में भारत को चीन को यहां से दरकिनार करने के लिए प्रो एक्टिव अप्रोच अपनानी होगी।
ऐसा ही कुछ अंतर्राष्ट्रीय मामलों के जानकार राजीव डोगरा भी कहते हैं, वो कहते हैं कि बांग्लादेश पिछले साल के मुकाबले एक बदली हुई स्थिति में है। पहले आर्थिक तौर वो एक उभरती हुई इकोनमी की भूमिका में था, लेकिन बदले आर्थिक हालातों ने लोगों में सरकार के खिलाफ गुस्से को बढ़ाया है वहीं इस्लामिक पार्टियां भी सर उठा रही हैं। ऐसे में कोई भी सरकार ऐसी कोशिश करती है, कि आर्थिक हालातों को बेहतर किया जाए। वहीं ऐसी स्थिति के लिए चीन अपना बैंक खुला ही रखता है। वो इस कोशिश में रहता है कि कैसे आर्थिक मदद के की एवज में किस तरह देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाया जाए। वहीं बांग्लादेश भी अपने विकल्प खुले ही रखता है। एक बड़ी बात ये भी है कि म्यांमार बॉर्डर पर जो हो रहा है, उसमें भी चीन का हाथ माना जा रहा है, कुल मिलाकर बांग्लादेश चीन को नाराज नहीं करना चाहता।
वो आगे कहते हैं कि बांग्लादेश के पीएम के हालिया बयान को डिप्लोमेसी की उस क्लासिक राजनियक कदम की तरह देखा जाना चाहिए, जिसके मुताबिक ये दबाव बनाया जाता है कि एक डील में दो पक्ष रूचि ले रहे हैं। वो ये भी कहते हैं कि भारत के लिए ये जानना अहम है कि चीन इस प्रोजेक्ट में इतनी रूचि क्यों दिखा रहा है ? हालांकि रणनीतिक लिहाज से ये कितना अहम है, इसे लेकर हर्ष पंत कहते हैं कि तीस्ता का मास्टर प्लान जो सामने रखा गया है उसके डेवलपमेंटल पैरामिटर पर अगर ये बनकर तैयार होता है तो रणनीतिक तौर पर भारत के लिए एक चुनौती हैं। क्योंकि चिकन नेक कॉरिडोर वैसे भी भारत के लिए रणनीतिक लिहाज से संवेदनशील मामला तो है ही। अगर चीन इस मास्टर प्लान में इन्वेस्ट करता है, तो भारत के लिए कई समस्याएं भविष्य में कई समस्याएं खड़ी हो सकती है। भारत के लिए चीन और ढाका दोनों तरफ से समारिक चिंता का विषय बन सकता है।

