वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक चालान भरना मुश्किल होता जा रहा है! सड़कों पर ज्यादातर वाहन चालकों को पता है कि ई-चालान से चीजें आसान नहीं हैं। इस डिजिटल प्रक्रिया को समझना शायद शहर की सड़कों से भी ज्यादा मुश्किल है। ई-चालान सिस्टम को देखने पर पता चलता है कि अलग-अलग तरह की गलतियों के लिए अलग-अलग तरह के चालान होते हैं और जुर्माना भरने की अलग-अलग समय सीमा तय होती है। सोशल मीडिया पर लोगों ने ये सवाल पूछे हैं कि जुर्माना कहां भरना है, क्योंकि ऐसा लगता है कि पेमेंट करने के लिए कई पोर्टल हैं। ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट ही जुर्माना भरने की इकलौती जगह नहीं है। देश में लोगों के लिए ई-चालान लाकर सुविधा आसान तो की गई है लेकिन यह उतनी है नहीं। इस तरह का चालान 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के पास रहता है और आप इसे ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट पर जमा कर सकते हैं।इसके कई कारण हैं, देरी से मिलते चालान के एसएमएस सूचनाएं: कई बार हफ्तों बाद चालान का एसएमएस आता है। गलत गाड़ी नंबर पढ़ने की वजह से गलत चालान: गाड़ी नंबर गलत पढ़ने के कारण कभी-कभी गलत चालान जारी कर दिया जाता है। पेमेंट में दिक्कत: वेबसाइट का इंटरफेस उलझन भरा होने और जुर्माना पुलिस को जमा करना है या कोर्ट में, इस बारे में जानकारी ना मिलने के कारण लोग चालान का भुगतान नहीं कर पाते हैं।
ई-चालान आपको तीन तरीकों से मिल सकता है, ट्रैफिक पुलिस वाला सड़क पर ही ई-चालान मशीन का इस्तेमाल करके आपको चालान दे सकता है। नियम तोड़ने पर ट्रैफिक पुलिस अपने मोबाइल फोन के कैमरे से आपकी गाड़ी की फोटो खींचकर अगर आप ट्रैफिक नियम तोड़ रहे हैं VOCA के जरिए ई-चालान जारी कर सकता है। तरह का चालान 60 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के पास रहता है और आप इसे ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट पर जमा कर सकते हैं। अगर 60 दिनों में भुगतान नहीं किया जाता है, तो चालान को वैधानिक कार्रवाई और भुगतान के लिए वर्चुअल कोर्ट में भेज दिया जाता है।रेड लाइट जंप करने या तेज रफ्तार में गाड़ी चलाने पर ऑटोमैटिक कैमरे आपकी गाड़ी की फोटो खींचकर उसे सेंट्रलाइज्ड सर्वर पर भेज देते हैं, जिससे आपको ई-चालान मिल सकता है। पुलिस का दावा है कि उल्लंघनकर्ताओं के फोन नंबर पर एसएमएस के माध्यम से संदेश तुरंत भेजे जाते हैं। फोन नंबर में विवरण को अपडेट करने की जिम्मेदारी उपयोगकर्ता की है। यदि कोई फोन नंबर लिंक नहीं है, तो चालान स्पीड पोस्ट द्वारा पंजीकृत पते पर भेजा जाता है। मालिक को जुर्माना देने या चालान लड़ने के लिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिरी लगानी पड़ती है।
अगर आपको लगता है कि चालान गलत कट गया है, तो आप उसका विरोध कर सकते हैं। आप इसे वर्चुअल कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं और फिर आपको एक ‘डिजिटल कोर्ट’ में भेज दिया जाएगा। वहां एक निर्धारित समय के साथ एक मीटिंग लिंक बनाया जाएगा और मामले की सुनवाई एक मजिस्ट्रेट की ओर से की जाएगी। मजिस्ट्रेट डिजिटल कोर्ट में मामले के तथ्यों के आधार पर आदेश पारित करेगा। बता दें कि देश में लोगों के लिए ई-चालान लाकर सुविधा आसान तो की गई है लेकिन यह उतनी है नहीं। इसके कई कारण हैं, देरी से मिलते चालान के एसएमएस सूचनाएं: कई बार हफ्तों बाद चालान का एसएमएस आता है। गलत गाड़ी नंबर पढ़ने की वजह से गलत चालान: गाड़ी नंबर गलत पढ़ने के कारण कभी-कभी गलत चालान जारी कर दिया जाता है। पेमेंट में दिक्कत: वेबसाइट का इंटरफेस उलझन भरा होने और जुर्माना पुलिस को जमा करना है या कोर्ट में, इस बारे में जानकारी ना मिलने के कारण लोग चालान का भुगतान नहीं कर पाते हैं। ये मामूली गलतियों के लिए होते हैं, जैसे कि ‘नो पार्किंग’ जोन में गाड़ी खड़ी करना। इस तरह का चालान 60 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के पास रहता है और आप इसे ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट पर जमा कर सकते हैं। अगर 60 दिनों में भुगतान नहीं किया जाता है, तो चालान को वैधानिक कार्रवाई और भुगतान के लिए वर्चुअल कोर्ट में भेज दिया जाता है।
ऐसे अपराधों के लिए होते हैं जो ‘समाज के खिलाफ‘ जाते हैं, जैसे कि रेड लाइट जंप करना। इस तरह का चालान 15 दिनों तक ट्रैफिक पुलिस के पास रहता है और आप इसे ट्रैफिक पुलिस की वेबसाइट पर जमा कर सकते हैं। अगर भुगतान नहीं किया जाता है, तो इसे वैधानिक कार्रवाई और भुगतान के लिए वर्चुअल कोर्ट में भेज दिया जाता है।