Wednesday, May 14, 2025
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क्या गुजरात में अहमद पटेल की सीट पर दाव खेल रहे हैं केजरीवाल?

सीएम केजरीवाल अब गुजरात में अहमद पटेल की सीट पर दाव खेल रहे हैं! कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के मिलकर लड़ने से राज्य की भरूच लोकसभा सीट को लेकर राजनीति गरमा गई है। आम आदमी पार्टी ने इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाली डेडियापाडा से विधायक चैतर वसावा को उम्मीदवार घोषित किया है। I.N.D.I.A अलायंस में यह सीट आप को खाते में जाते देखकर दिग्गज कांग्रेसी नेता रहे दिवंगत अहमद पटेल के बेटे फैजल पटेल ने समर्थन नहीं करने का ऐलान किया है। इस सीट से अहमद पटेल की बेटी मुमताज लड़ने की तैयारी कर रही थीं। अहमद पटेल के बेटे ने भले ही नाराजगी जताई है लेकिन गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष शक्ति सिंह गोहिल का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व जो भी फैसला करेगा। प्रदेश कांग्रेस समिति उसे स्वीकार करेगी। गुजरात में आम आदमी पार्टी 2 से 3 सीटों पर लड़ सकती है। पार्टी ने अभी भरूच और भावनगर की सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं। समझते हैं कि भरूच में आप बीजेपी को टक्कर दे सकती है। भरूच लोकसभा सीट से कांग्रेस आखिरी बार 1984 में जीत हासिल की थी। पार्टी के नेता अहमद पटेल तब यहां से तीसरी बार सांसद चुने गए थे, लेकिन इसके बाद से पार्टी यहां पर 10 लोकसभा चुनाव हार चुकी है। 18 वीं लोकसभा चुनावों में आप यहां से बीजेपी को टक्कर देना चाहती है। आप को भरोसा है कि वह बीजेपी को रोक सकती है। कांग्रेस 10 बार कोशिश कर चुकी है, इसलिए उसे यह सीट मिलनी चाहिए। अहमद पटेल को इस सीट पर चंदूभाई देशमुख ने हराया था। वे लगातार चार बार जीते। इसके बाद से इस लोकसभा सीट पर बीजेपी नेता मनसुख वसावा का एकछत्र राज है। वे छह बार जीत चुके हैं और सातवीं बार के लिए मैदान उतरने के तैयार हैं, तो वहीं आप आदमी पार्टी को लगता है कि इस सीट पर आप जीत मिलती है तो बीजेपी के अजेय होने के मिथक को तोड़ा जा सकेगा। इससे पूरे राज्य के कार्यकर्ताओं में अलग जोश आएगा। यही वजह है कि आप इस सीट पर अपनी दावेदारी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। केजरीवाल ने पिछले महीने की 7 जनवरी को खुद भरुच पहुंचकर पार्टी की तरफ चैतर वसावा को उम्मीदवार घोषित किया था।

भरूच में अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर लड़ते हैं तो इस सीट पर पहली बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने की संभावना है। दो साल पहले हुए विधानसभा चुनावों में लोकसभा के 6 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को कुल 6,16,461 वोट मिले, जबकि कांग्रेस को 3,19,131 और आप के खाते में 154,954 वोट आए थे। अगर आप और कांग्रेस वोटों को मिला दें तो बीजेपी से मतों का अंतर 1,42,376 रह जाता है। अगर इसमें झगड़िया से लड़े निर्दलीय उम्मीवार और दिग्गज आदिवासी नेता छोटू वसावा को मिले वोटों को आप और कांग्रेस पक्ष के साथ जोड़ दें तो बीजेपी और I.N.D.I.A अलायंस के बीच मतों का फासला एक लाख वोट से नीचे आकर 75, 943 मतों का रह जाता है। आप ने जिन चैतर वसावा को भरूच से लोकसभा का कैंडिडेट घोषित किया है। उन्होंनें राजनीति की एबीसीडी… छोटू भाई वसावा की शार्गिदी में रहकर ही सीखी है। एक तरह से छोटू वसावा उनके राजनीतिक गुरू हैं। वे अपने चेले का समर्थन करेंगे या फिर नहीं। यह एक बड़ा फैक्टर होगा।

भरूच की सीट पर कांग्रेस और आप के संयुक्त प्रत्याशी उतारने की स्थिति में बीजेपी का वह सपना टूट सकता है। जिसमें पार्टी ने राज्य की सभी लोकसभा सीटों को पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतने की रणनीति बनाई है। यह संकल्प गुजरात बीजेपी के सफलतम् अध्यक्ष सी आर पाटिल ने लिया है। अब देखना यह है कि बीजेपी यहां अपने बुजुर्ग सांसद को बरकरार रखती है, या फिर चैतर वसावा के मुकाबले में किसी युवा चेहरे को उतारती है। पिछले दिनों यहां से पूर्व सांसद रहे चंदूभाई देशमुख की बेटी और वर्तमान में विधायक दर्शना देशमुख के लड़ने की चर्चा भी सामने आ चुकी है। इसके अलावा संगठन के एक व्यक्ति को मनसुख वसावा का रिप्लेसमेंट माना जा रहा है।

पिछले लोकसभा चुनावों में मनसुख वसावा ने भरूच लोकसभा सीट से 3,34,214 वोटों से कांग्रेस के उम्मीदवार शेरखान अब्दुलशकूर पठान को हराया था। तब उस चुनाव में झगड़िया के विधायक रहे छोटू वसावा को 1,44,083 वोट मिले थे। 2024 में अगर यहां से कांग्रेस और आप का संयुक्त प्रत्याशी लड़ता है तो ऐसे में छोटू वसावा बड़े फैक्टर होंगे। साथ ही साथ अगर बीजेपी विरोधी मतों का धुव्रीकरण हुआ तो बीजेपी का पांच लाख वोटों से जीतने का टारगेट खटाई में पड़ सकता है। बीजेपी के लिए भरुच लोकसभा सीट उन सीटों में शामिल हैं जहां पर पार्टी 90 के दशक से पहले कड़ी मेहनत करके इस सीट पर कमल खिलाया था। इसके बाद गुजरात में बीजेपी का वर्चस्व बढ़ा था। तब इस सीट पर कांग्रेस अहमद पटेल को शिकस्त देने के लिए मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस वक्त पार्टी के नेता रहे नलिन भट्‌ट के साथ मिलकर एक मजबूत रणनीति बनाई थी। जिसका अहमद पटेल अपने पूरे जीवन में नहीं तोड़ पाए।

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