यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कोलकाता मर्डर केस ममता बनर्जी के लिए कठिन साबित हो रहा है या नहीं! कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के बाद आक्रोश बढ़ता जा रहा है। साथ ही इस मामले में पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी टीएमसी की मुखिया ममता बनर्जी के लिए चुनौती बढ़ती जा रही है। ममता को एक साथ कई मोर्चें पर विरोध का सामना करना पड़ रहा है। टीएमसी के भीतर ही घटना को लेकर अलग-अलग सुर देखने को मिल रहे हैं। क्रिकेट से राजनीति में आए पार्टी के सांसद हरभजन सिंह का भी गुस्सा इस मामले में फूट पड़ा है। वहीं, बंगाल में इस मुद्दे पर फुटबॉल की दो प्रमुख प्रतिद्वंद्वी टीमों के समर्थक भी एकजुट हो कर विरोध कर रहे हैं। ममता बनर्जी के लिए चुनौती सिर्फ इतनी भर नहीं है। राजनीतिक मोर्चे पर इंडिया गठबंधन की प्रमुख सहयोगी कांग्रेस ने भी ममता को आईना दिखाया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मामले में टीएमसी को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। पीड़ित परिवार की तरफ से भी सरकार पर आरोप लगाए जा रहे हैं। खास बात है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए सुनवाई की तारीख तय कर दी है। ऐसा बहुत कम होता जब सुप्रीम कोर्ट इस तरह का कदम उठाता है। ऐसे में इतना तो तय है कि ममता सरकार को शीर्ष अदालत की तरफ से कड़ी टिप्पणी का सामना करना पड़ सकता है।
पश्चिम बंगाल में रेप की यह कोई पहली घटना नहीं है। राज्य में हंसखाली, कमुदनी, काकद्वीप, रानाघाट, सिउरी में रेप कांड को लेकर काफी हंगामा मचा था। कोलकाता की घटना से पहले संदेशखाली को लेकर राष्ट्रव्यापी रूप से ममता बनर्जी सरकार पर सवाल उठे थे। पश्चिम बंगाल में हुए पहले के रेप कांड को ममता ने अलग-अलग तरीके से खारिज करते हुए खुद को उससे अलग कर लिया था। हंसखाली की घटना को उन्होंने प्रेम प्रसंग का मामला बताया था। 2013 की कमुदनी गैंगरेप घटना में प्रदर्शनकारियों को उन्होंने सीपीएम समर्थक बताया था। खास बात है कि पहले के रेप मामले में पीड़ित निचले तबके से थीं। इस बार कोलकाता में रेप और हत्या का मामला कथित रूप से भद्रलोक से जुड़ा है। भद्रलोक अब सड़कों पर उतर आया है। ऐसे में ममता के सामने चुनौती से पार पाना इस बार आसान नहीं होगा।
इस मामले में आईएमए की तरफ से पहले पीएम मोदी से हस्तक्षेप की मांग की जा चुकी है। अब पद्म अवॉर्ड विजेता डॉक्टरों ने भी पीएम मोदी को पत्र लिखा है। 70 से अधिक पद्म अवॉर्ड विजेता डॉक्टरों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर हेल्थ वर्कर्स के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक विशेष कानून शीघ्र लागू किए जाने की मांग की है। उन्होंने अस्पतालों में बेहतर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल लागू करने की भी मांग की है। डॉक्टरों ने मौजूदा कानूनों को सख्ती से लागू करने और हॉस्पिटलों और मेडिकल संस्थानों में सुरक्षा उपाय बढ़ाने का भी आग्रह किया है।
क्रिकेटर से राजनेता बने हरभजन सिंह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को दो पन्नों का पत्र लिखकर कोलकाता दुष्कर्म और हत्या पीड़िता को न्याय मिलने में हो रही देरी पर अपना दुख व्यक्त किया। साथ ही इस मामले पर तेजी से और निर्णायक तरीके से काम करवाने की अपील की। हरभजन ने लिखा कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान से समझौता नहीं किया जा सकता। इस जघन्य अपराध के अपराधियों को कानून की पूरी सजा का सामना करना होगा और सजा उदाहरण बनाने वाली होनी चाहिए। सिर्फ इसी तरह हम अपने सिस्टम में विश्वास बहाल करना शुरू कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि ऐसी घटना दोबारा न हो। उन्होंने लिखा कि हम एक ऐसा समाज बनाएं जहां हर महिला सुरक्षित और संरक्षित महसूस करे। हरभजन सिंह ने कहा कि हमें खुद से पूछना चाहिए- अगर अभी नहीं तो कब? मुझे लगता है, अब एक्शन का समय आ गया है।
इस मामले में आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष को लेकर भी कई सवाल उठ रहे हैं। संदीप घोष के बारे में अस्पताल के पूर्व प्रोफेसर और पूर्व डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ अख्तर अली का कहना है कि वह एक भ्रष्ट आदमी है। वह छात्रों को जानबूझकर फेल करता था। साथ ही वह 20% कमीशन भी लेता था। डॉ. अख्तर ने संदीप घोष को माफिया और पावरफुल आदमी बताया। उन्होंने कहा कि वह मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के हर काम में पैसे वसूलता था। इसके साथ ही गेस्ट हाउस में स्टूडेंट्स को शराब की सप्लाई में भी उसकी भूमिका थी। संदीप घोष के खिलाफ दो बार शिकायत भी हो चुकी थी। उसका दो बार ट्रांसफर किया गया लेकिन वह रुक गया। दोनों बार आदेश को वापस लेना पड़ा। आरजी कर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल रहने के दौरान घोष पर वित्तीय भ्रष्टाचार, अवैध कमीशन और टेंडर में गड़बड़ी करने का भी कई बार आरोप लगा। सीबीआई की तरफ से संदीप घोष से 13 घंटे तक पूछताछ की जा चुकी है।
कोलकाता रेप को लेकर विदेश तक आवाज उठ रही है। बांग्लादेश के ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक महिला ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के विरोध में जारी प्रदर्शनों में शामिल होकर एकजुटता दिखाई। ‘ढाका ट्रिब्यून’ ने भौतिकी विभाग की छात्रा रहनुमा अहमद निरेट के हवाले से अपनी खबर में कहा कि हम बंगाल में बलात्कार के मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन के असहयोगपूर्ण रवैये से अवगत हैं। महिला होने के नाते, हम मांग करते हैं कि प्रशासन अधिक से अधिक कानूनी सहायता प्रदान करे, कानून को सख्ती से लागू करे और फैसला जल्द सुनाए।