Friday, October 18, 2024
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क्या प्रधानमंत्री बनकर भी गुजरात मॉडल पर काम कर रहे हैं मोदी?

यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या प्रधानमंत्री बनकर भी प्रधानमंत्री मोदी गुजरात मॉडल पर काम कर रहे हैं या नहीं! नरेंद्र मोदी के सरकार प्रमुख के तौर पर 23 साल हो गए हैं। उन्होंने पहली बार 7 अक्टूबर, 2001 को गुजरात के मुख्यमंत्री का पद संभाला था। 12 साल, 7 महीने और 23 दिन बाद मोदी देश के प्रधानमंत्री बन गए और तब से वो इस पद पर कायम हैं। पिछले दशक में मोदी सरकार ने जो कल्याणकारी कार्यक्रमों को लागू किए हैं, उनमें ज्यादातर मुख्यमंत्री के तौर पर गुजरात लागू की गईं मोदी सरकार की ही योजनाओं से ही प्रेरित हैं। गुजरात सीएम के रूप में नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के दौरान शुरू हुईं योजनाओं की सफलता ने पूरे देश में इन कार्यक्रमों को लागू करने का आधार तैयार कर दिया। अक्सर ‘गुजरात मॉडल’ कहे जाने वाले ये कार्यक्रम जल संरक्षण, वृक्षारोपण अभियान, संविधान का जश्न मनाने, जातीय उत्पादों और खादी को बढ़ावा देने, खेल संस्कृति को प्रोत्साहित करने आदि से संबंधित हैं।

मोदी ने जनभागीदारी यानी शासन में आम लोगों की भागीदारी पर जोर दिया है। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में ‘पी2जी2’ मॉडल दिया, जिसका मतलब है प्रो पीपल, गुड गवर्नेंस यानी जन हितैषी, सुशासन। इसी ने मोदी के प्रधानमंत्रीत्व काल में सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास का रूप ले लिया। इसी तरह, केंद्र की मोदी सरकार ने जो बहुचर्चित जल जीवन मिशन शुरू किया, वह 2004 में उत्तर गुजरात के जल की कमी वाले क्षेत्रों के लिए शुरू किए गए सुजलाम सुफलाम जल अभियान के अनुभव से प्रेरित है। इसमें गुजरात के लोगों की जल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नर्मदा नदी के पानी को गुजरात में लाने, नदियों को आपस में जोड़ने और वर्षा जल संचयन पर ध्यान केंद्रित किया गया था। इस योजना की स्थानीय सफलता ने जल जीवन मिशन (जेजेएम) को जन्म दिया, जिसके तहत अगस्त 2024 तक 11.82 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल का पानी उपलब्ध कराया गया है। यह देश के सभी ग्रामीण घरों में से लगभग 78% को कवर करता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि जल जीवन मिशन के तहत किए गए प्रयासों से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे की बचत होती है। इसमें अधिकांश बचत महिलाओं के लिए है। स्वच्छ जल मुहैया होने से दस्त से होने वाली बीमारियों से 4 लाख मौतों को रोका जा सकता है, जिससे 1.4 करोड़ विकलांगता समायोजित जीवन वर्ष (DALY) की बचत होती है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे स्वच्छ भारत मिशन ने सालाना 60 हजार से 70 हजार शिशुओं की जान बचाने में मदद की है।

इसी तरह, ज्योतिग्राम योजना के तहत गुजरात के सभी गांवों को चौबीसों घंटे बिजली उपलब्ध कराने की महत्वाकांक्षी योजना से एनडीए सरकार की सौभाग्य योजना का जन्म हुआ। इस योजना ने लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण बदलाव लाया क्योंकि निरंतर बिजली आपूर्ति ने कृषि के साथ-साथ कृषि प्रसंस्करण और हस्तशिल्प जैसे ग्रामीण उद्योगों को भी बदल दिया। बिजली आपूर्ति ने डीजल पंपों के उपयोग को रोका जिससे पर्यावरण को मदद मिली। इसने बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और सूचना तक पहुंच को सक्षम करके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार किया। इस प्रयोग पर 2017 में शुरू की गई सौभाग्य योजना ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 2.86 करोड़ घरों को बिजली उपलब्ध कराने में मदद की है।

पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई), जिसने कोविड महामारी के दौरान लाखों लोगों की मदद की और उन्हें सेवा देना जारी रखा, गुजरात में गरीब कल्याण मेले से प्रेरित थी जिसके तहत 50 ऐसे मेलों में 25 लाख लाभार्थियों को शामिल किया गया और कुल ₹1,500 करोड़ खर्च किए गए। पीएमजीकेएवाई 80 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करता है।

खुले में शौच को समाप्त करने के उद्देश्य से निर्मल गुजरात स्वच्छता अभियान ने स्वच्छ भारत मिशन को जन्म दिया, जिसे 2 अक्टूबर 2014 को लॉन्च किया गया था और यह एक दशक पूरा कर चुका है। इसी तरह, नमो ड्रोन दीदी परियोजना के माध्यम से महिलाओं और किसानों का सशक्तिकरण और पीएम सम्मान निधि की शुरुआत मोदी के मुख्यमंत्रित्व काल में गुजरात कृषि महोत्सव से हुई थी।

उन्होंने कृषि में आधुनिक तरीकों और प्रौद्योगिकी के उपयोग पर चर्चा करने के लिए एक करोड़ किसानों से संपर्क किया था। स्टैंड-अप इंडिया से बहुत पहले गुजरात में मिशन मंगलम था, जो महिला उद्यमियों और स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म वित्त (माइक्रो फाइनैंस) प्रदान करता था। 2009 में शुरू की गई इस परियोजना ने ₹1,000 करोड़ के व्यय से दो लाख सखी मंडलों को लोन दिया।

 

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