क्या भारत से डर रहा है पाकिस्तान?

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वर्तमान में पाकिस्तान भारत से डर रहा है! जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की तारीख के ऐलान के साथ जहां भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड पर हैं और किसी भी संभावित खतरे से निपटने की तैयारी कर रही हैं। वहीं पाकिस्तान ने भी एलओसी (लाइन ऑफ कंट्रोल) और आईबी (इंटरनेशनल बॉर्डर) पर हाई अलर्ट जारी किया है। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने हाल ही में मुजफ्फराबाद में क्विक रेस्पॉन्स की एक बड़ी ट्रेनिंग भी की है जिसमें पाक सेना के एसएसजी के लोग भी शामिल रहे। QRT (क्विक रिस्पॉस टीम) की एक्सरसाइज का मतलब है कि यह टेस्ट करना कि अगर कोई अटैक होता है तो कैसे और जल्द से जल्द उसे काउंटर करने के लिए खुद को तैनात किया जाए और कैसे उसका जवाब दिया जाए। पाकिस्तान ने ये ट्रेनिंग मुजफ्फराबाद में की जिसे आतंकियों को गढ़ माना जाता है। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक यहां आतंकवादियों के कई कैंप हैं। इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक इस एक्सरसाइज में सेना की वह सभी आर्म शामिल हुई जो एलओसी के पास तैनात हैं। ये एक्सरसाइज 1 जुलाई से 20 जुलाई को हुई और इसमें पाकिस्तानी सेना के एसएसजी कमांडो भी शामिल थे। एसएसजी यानी स्पेशल सर्विस ग्रुप वही ग्रुप है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये आतंकवादियों को ट्रेनिंग देता है। भारत भी यह जानता है कि उसके पास सीमापार से एक नहीं दो चुनौतियां हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव शांत ढंग से करा पाना भी एक चुनौती होगा।साथ ही एलओसी पास कर भारत में घुसपैठ कर किसी आतंकी वारदात को अंजाम देने में मदद करता है।

पाकिस्तानी की बैट एक्शन टीम यानी BAT में आतंकियों के साथ एसएसजी कमांडो होते रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान को एक बार फिर भारत की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक या इसी तरह की किसी कार्रवाई का डर सता रहा है। जम्मू में यात्रियों से भरी बस में हुए हमले और फिर उसके बाद हुई कई आतंकी वारदातों के बाद पाकिस्तान ने अपनी सेना को एलओसी और आईबी पर हाई अलर्ट किया है।

इंटेलिजेंस एजेंसी सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी सेना के 10-कोर जिसकी जिम्मेदारी पूरे पीओके की है और पाकिस्तान ने इस कोर में सैनिकों की संख्या को बढ़ाया है। बहावलपुर स्थित पाकिस्तानी सेना की 31-कोर भी अलर्ट पर है। बहावलपुर वही जगह है जहां पर आतंकी संगठन जैश का हेडक्वॉर्टर है। पाकिस्तानी सेना ने पिछले महीने ने अपनी आर्टिलरी रेजिमेंट की तैनाती भी नए सिरे से की है। यह तैनाती इस तरह की है कि तनाव की स्थिति में रिस्पॉन्स टाइम को कम किया जा सके।

यही नहीं जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव से पहले सुरक्षा की स्थिति तनावपूर्ण हैं। पाकिस्तान और उसका खास दोस्त चीन बिल्कुल कोशिश करेंगे कि इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया को रोका जाए। हालांकि दोनों देशों के लिए हाल ही में जम्मू-कश्मीर में हुए लोकसभा चुनाव जरूर एक बड़ा संदेश होंगे। पाकिस्तान में आतंकियों की फौज तैयार हो रही है तो उसे चीन से भी खूब मदद मिल रही है। भारत भी यह जानता है कि उसके पास सीमापार से एक नहीं दो चुनौतियां हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव शांत ढंग से करा पाना भी एक चुनौती होगा।

पाकिस्तान के सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) से जुड़े पाकिस्तानी आतंकवादियों की संख्या के मामले में, स्थिति 1990 के दशक और सदी के अंत में हुए विधानसभा चुनावों की तुलना में काफी बेहतर है। तब आतंकवादियों की संख्या 2,000 से 3,000 के बीच आंकी गई थी। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी आरआर स्वेन के ताजा आकलन के अनुसार, स्थानीय आतंकवादियों की संख्या 20 है और पाकिस्तानी आतंकवादियों की संख्या उससे पांच से छह गुना ज्यादा है। भारतीय राज्य के लिए एक बेंचमार्क 1996 का विधानसभा चुनाव है, जब भारतीय सेना के नेतृत्व में सुरक्षा एजेंसियों के एक संयुक्त प्रयास से स्थिति को काबू में किया गया था। बता दें कि सेना की वह सभी आर्म शामिल हुई जो एलओसी के पास तैनात हैं। ये एक्सरसाइज 1 जुलाई से 20 जुलाई को हुई और इसमें पाकिस्तानी सेना के एसएसजी कमांडो भी शामिल थे। एसएसजी यानी स्पेशल सर्विस ग्रुप वही ग्रुप है जिसके बारे में कहा जाता है कि ये आतंकवादियों को ट्रेनिंग देता है। जम्मू डिवीजन, खासकर पीर पंजाल में आतंकवादी हमलों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि आतंकवादी सेना को तब निशाना बनाना पसंद करते हैं जब वह लापरवाह हो और ऐसे इलाकों में जहां अलर्ट लेवल काफी कम हो।