बिहार की राजनीति में फेरबदल तो आपने कई बार देखे होंगे! सावन का महीना पवन करे शोर… आपने यह गाना सुना होगा। बिहार में इस सावन शोर होने वाला है। सियासी शोर। आपको कह सकते हैं कि सियासत में शोर-शराबे का क्या, वो तो होता रहता है। आप सही हैं, लेकिन दावा ऐसा किया जा रहा है कि यह शोर हल्का-फुल्का नहीं, विस्फोट जैसा होगा। कहा जा रहा है कि कुछ ऐसे समीकरण बन रहे हैं कि प्रदेश की सियासी फिजां ही बदल जाएगी। खैर, दावे हैं दावों का क्या? लेकिन सत्ताधारी दल जनता दल (यूनाइटेड) की तरफ से अपने पूर्व अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह से उनकी संपत्ति का हिसाब मांग लेने और जवाब में आरसीपी का पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से ही इस्तीफा दे देने के बाद दावे करने वालों की बाछें खिल गई हैं।
बदलने वाला है नीतीश कुमार का मन?
दरअसल, कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अंतरआत्मा में फिर से चीख-पुकार मच रही है। कहा यह भी जा रही है कि अब नीतीश अंतरआत्मा की आवाज शायद ही दबा पाएं और सावन महीने के बचे आखिरी सप्ताह में ही कभी भी बड़ा ऐलान कर सकते हैं। जल्दबाजी इसलिए क्योंकि सावन का महीना शुभ कार्यों के लिए बड़ा पावन माना जाता है। नीतीश इसी पवित्र महीने में अंतरआत्मा की आवाज से देश-दुनिया को रू-ब-रू करवा देना चाहते हैं। तो क्या नीतीश फिर से तेजस्वी के साथ महागठबंधन की सरकार बनाएंगे? दावेदारों की मानें तो इशारा कुछ यही है। हमने ऐसे दावेदारों से कुछ सवाल किए। हमारा सवाल था कि अभी जब अमित शाह और जेपी नड्डा से लेकर सारे बीजेपी नेता साफ कह चुके हैं कि 2024 में लोकसभा और अगले वर्ष 2025 में बिहार विधानसभा के चुनाव जेडीयू के साथ गठबंधन में ही लड़े जाएंगे तो अचानक ऐसा क्या हो गया कि नीतीश का मन बदलने के दावे किए जा रहे हैं? दावेदारों ने हमसे जिन संकेतों और परिस्थितियों का जिक्र किया, उससे काफी हद तक यही लग रहा है कि अब बिहार की राजनीति में साल 2017 जैसा उलटफेर हो सकता है।
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यह पहला तात्कालिक कारण है जो NDA के बिहार में दरकने का संकेत दे रहा है। हाल ही में चिराग दिल्ली में NDA की बैठक में शामिल हुए, वो भी बतौर NDA के सहयोगी। इस तस्वीर ने काफी चर्चा भी बटोरी। कहा जा रहा है कि नीतीश इससे नाराज हुए। नीतीश और उनके नेता इशारों में कह चुके हैं कि जब चिराग 2020 के विधानसभा चुनाव में JDU की सीटों का समीकरण बिगाड़ रहे थे तब बीजेपी ने न तो उन्हें रोका और न ही इस पर कोई सफाई दी। चिराग पूरे चुनाव तक NDA में बने रहे और जेडीयू को सीटों का भारी नुकसान पहुंचाया। अब फिर से वही बात हो रही है कि चिराग NDA की बैठक में खुल्लमखुल्ला शामिल हो रहे हैं। मतलब साफ है कि बीजेपी ने चिराग को अब भी किनारे नहीं किया है, वो भी तब जब नीतीश को 2020 के नतीजे अब तक टीस मार रहे हैं।
आरसीपी सिंह से जेडीयू ने उनकी संपत्ति का हिसाब मांग दिया और आरसीपी ने पार्टी से इस्तीफा ही दे दिया। ये तो अभी की बात है, लेकिन इसके पहले जेडीयू की केंद्रीय मंत्रिमंडल में कम-से-कम दो मंत्री पदों की मांग से समझौता करने के पीछे JDU को बीजेपी की रणनीति नजर आ रही है। JDU के हमारे विश्वस्त सूत्र के मुताबिक, बीजेपी और आरसीपी सिंह ने नीतीश को अंधेरे में रखा और ऐन वक्त पर दो की जगह एक ही पद लेकर आरसीपी उस पर आसीन भी हो गए।
जेडीयू का यह डर वह तीसरा कारण जिससे बिहार में सत्ता परिवर्तन की भनक मिल रही है। JDU सूत्र के मुताबिक, पार्टी को यह आशंका है कि चिराग की वजह से जो 2020 में हुआ वह 2024 में भी हो सकता है। सूत्र का कहना है जेडीयू अब कोई जोखिम उठाने के मूड में नहीं है। बीजेपी कोई बड़ा फैसला ले, उससे पहले ही पासा फेंकने में जेडीयू अपनी भलाई मान रही है।
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हमने इन पर आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता चितरंजन गगन से बात की। NBT ऑनलाइन के इस सवाल पर चितरंजन गगन ने इतना ही कहा कि ‘फिलहाल तो नीतीश कुमार NDA सरकार के मुखिया हैं। मगर एक बात ये भी है कि राजनीति में भविष्य का कुछ ठीक नहीं होता।’ खैर, यह तो पता चल ही जाएगा कि क्या सच में इस सावन बिहार में कुछ बड़ा होने जा रहा है या यह सब अटकलबाजियों की ही एक कड़ी साबित होकर रह जाएगा।