यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या हरियाणा हार के बाद इंडिया गठबंधन टूटने वाला है या नहीं! हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। चुनाव के नतीजों के बाद इंडिया गठबंधन में खटपट शुरू हो गई है। विपक्षी गठबंधन के दलों के बीच अब झारखंड और महाराष्ट्र चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। कांग्रेस के साथ-साथ समाजवादी पार्टी, एनसीपी और शिवसेना महाराष्ट्र में ज्यादा से ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। वहीं झारखंड में कांग्रेस, जेएमएम और आरजेडी के बीच भी बात नहीं बन पा रही। महाराष्ट्र में चुनाव से पहले महाविकास अघाड़ी में शीट शेयरिंग का फॉर्म्युला तय नहीं हो पा रहा। शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार) और कांग्रेस के बीच शीट शेयरिंग को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है। इस बीच समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने 12 सीटों की मांग की है। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने उनसे बात की। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि उद्धव की बातचीत “सकारात्मक” रही और एनवीए में सपा को साथ लिया जाएगा।लोकसभा चुनाव के बाद जहां कांग्रेस पार्टी फिर से फ्रंटफुट पर नजर आने लगी थी, लेकिन हरियाणा में करारी हार के बाद कांग्रेस का कद घटा है। उन्होंने कहा अगर RJD अकेले चुनाव लड़ती है तो पार्टी 60-62 सीटों पर खुलकर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों की मदद करेगी लेकिन 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में जहां-जहां पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी, वहां अपने उम्मीदवार भी उतारेगी।कांग्रेस के सहयोगी दल भी उसके खिलाफ बोलना शुरू हो गए हैं। हरियाणा में नतीजों के बाद महाराष्ट्र में उसकी सहयोगी शिवसेना (उद्धव गुट) ने कहा था कि कांग्रेस जहां अकेले चुनाव लड़ती है वहां अच्छा प्रदर्शन नहीं करती। गौर करने वाली बात ये भी है कि हरियाणा के नतीजों के बाद कांग्रेस सीटों के बंटवारे के मसले पर भी आगे नहीं आ पा रही है। उसकी सहयोगी पार्टियां कांग्रेस से ज्यादा सीटों की मांग करती दिख रही हैं।
झारखंड में भी विपक्षी गठबंधन इंडिया के सहयोगी दलों के बीच शीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पा रही है। राज्य में फिलहाल हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है। वहीं बिहार में मजबूत पकड़ रखने वाली पार्टी आरजेडी झारखंड में अकेले चुनाव लड़ सकती है। कांग्रेस भी जेएमएम के साथ लगातार सीटों के बंटवारे पर चर्चा कर रही है। लेकिन कहा जा रहा है कि जेएमएम और कांग्रेस आरजेडी को मनमुताबिक सीटें देने को तैयार नहीं है। इससे आरजेडी नाराज है और अकेले चुनाव लड़ने पर विचार कर रही है। आरजेडी नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि उनकी पार्टी को गठबंधन में 12-13 से कम सीटें मंजूर नहीं हैं। आरजेडी का झारखंड की 18-20 सीटों पर मजबूत आधार है। हालांकि झा ने यह भी कहा कि आरजेडी किसी भी सूरत में गठबंधन को कमजोर नहीं होने देगी और आखिरी समय तक समझौते की कोशिश करेगी। झा ने कहा, हम नाव को डूबने नहीं देंगे, हम अंत तक प्रयास करेंगे … सीएम हेमंत सोरेन ही होंगे। उन्होंने कहा अगर RJD अकेले चुनाव लड़ती है तो पार्टी 60-62 सीटों पर खुलकर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों की मदद करेगी लेकिन 2014 और 2019 के विधानसभा चुनावों में जहां-जहां पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी, वहां अपने उम्मीदवार भी उतारेगी।
लोकसभा चुनाव के बाद जहां कांग्रेस पार्टी फिर से फ्रंटफुट पर नजर आने लगी थी, लेकिन हरियाणा में करारी हार के बाद कांग्रेस का कद घटा है। कांग्रेस के सहयोगी दल भी उसके खिलाफ बोलना शुरू हो गए हैं। हरियाणा में नतीजों के बाद महाराष्ट्र में उसकी सहयोगी शिवसेना (उद्धव गुट) ने कहा था कि कांग्रेस जहां अकेले चुनाव लड़ती है वहां अच्छा प्रदर्शन नहीं करती। बता दें कि समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव ने 12 सीटों की मांग की है। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने उनसे बात की। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि उद्धव की बातचीत “सकारात्मक” रही और एनवीए में सपा को साथ लिया जाएगा।लोकसभा चुनाव के बाद जहां कांग्रेस पार्टी फिर से फ्रंटफुट पर नजर आने लगी थी, लेकिन हरियाणा में करारी हार के बाद कांग्रेस का कद घटा है। झारखंड में भी विपक्षी गठबंधन इंडिया के सहयोगी दलों के बीच शीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पा रही है।गौर करने वाली बात ये भी है कि हरियाणा के नतीजों के बाद कांग्रेस सीटों के बंटवारे के मसले पर भी आगे नहीं आ पा रही है। उसकी सहयोगी पार्टियां कांग्रेस से ज्यादा सीटों की मांग करती दिख रही हैं।