वर्तमान में सीएम योगी की फैसले से दूसरे राज्य बिहार में हलचल मच गई है! बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का वह वक्तव्य अतिश्योक्ति से भले भरपूर हो, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार को लेकर बड़ी भविष्यवाणी करते कहा कि केंद्र सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी। पर जिस तरह से भाजपा की नीतियों के विरुद्ध मित्र दल होते जा रहे हैं वैसे में वर्तमान सरकार पर कठिनाइयों का एक दौर शुरू तो हो ही गया है। विशेष राज्य का दर्जा, जातीय जनगणना, बढ़ा हुआ आरक्षण प्रतिशत को 9वीं अनुसूची में शामिल करने के पेंच तो पहले से थे अब सीएम योगी आदित्यनाथ का कांवड़ यात्रा के रास्ते पर दुकानदारों को अपना नाम और धर्म लिखने की अनिवार्यता ने एक नया बबाल उठा दिया है। इंडिया गठबंधन के मित्र दलों का तो विरोध सर चढ़कर बोल रहा है, पर मुश्किल यहां यह है कि एनडीए के मित्र दल भी उसी सुर में आवाज उठाने लगे हैं। लेकिन एनडीए में शामिल दलों के विरोध का मतलब विरोध के लिए विरोध करने से ज्यादा कुछ नहीं है। 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा अपने इष्ट देव को जल अर्पित करने को लेकर शुरू होने वाली है। कांवड़ यात्रियों के लिए बड़ा कदम उठाते हुए सीएम आदित्यनाथ ने पूरे उत्तर प्रदेश में कांवड़ मार्गों पर खाने पीने की दुकानों पर ‘नेमप्लेट’ लगाने का आदेश दिया है। आदेश में साफ कहा गया है कि हर हाल में दुकानों पर संचालक मालिक का नाम लिखा होना चाहिए, इसके साथ ही उसे अपने धर्म के बारे में भी लिखना होगा। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से ये फैसला कांवड़ यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए लिया गया है। इसके साथ ही हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि शुरुआत में ये फ़ैसला सिर्फ मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले तक सीमित था, लेकिन अब राज्य सरकार के आदेश पर पूरे राज्य में लागू कर दिया है।
बिहार के संदर्भ में योगी आदित्यनाथ के इस फैसले के बाद आरजेडी की तरफ से हमला काफी तेज हो गया है। राज्य में अभी चार विधान सभा पर चुनाव होने हैं और यदि वर्ष 2025 के पहले चुनाव हुए तो एनडीए के कई मित्र दलों में परेशानी बढ़ जाएगी। जनता दल यू (JDU) की राजनीति की तो धुरी ही थ्री सी यानी क्राइम, करप्शन एंड कम्युनलिज्म रहा है। लोजपा तो इस बात की वकालत करते रही है कि उप मुख्यमंत्री मुस्लिम से हो। हालांकि विधान सभा चुनाव में देरी हैं, मगर लोजपा और जदयू की तरफ से योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उनकी टिप्पणी आ चुकी है।
जनता दल यू (जेडीयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने योगी सरकार के निर्देश को धार्मिक विभेद पैदा करने वाले बताते साफ कहा कि मुजफ्फरनगर पुलिस का वह आदेश वापस लिया जाना चाहिए। इसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया है, क्योंकि इससे सांप्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है और धर्म या जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने भी फैसले पर एक बार फिर से समीक्षा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई भी आदेश जारी नहीं किया जाना चाहिए, जिससे समाज में सांप्रदायिक विभाजन पैदा हो। एनडीए की केंद्र सरकार में शामिल केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भी सीएम योगी आदित्यनाथ के फैसले पर सवाल उठाते कहा कि मेरी लड़ाई जातिवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ है। इसलिए जहां कहीं भी जाति और धर्म के विभाजन की बात होगी। मैं उसका कभी भी समर्थन नहीं करूंगा।
योगी आदित्यनाथ सरकार के जिस निर्देश के विरुद्ध जेडीयू या लोजपा का बयान आया है। वह अपने अपने वोट बैंक की चिंता से ज्यादा कुछ नहीं है। वैसे भी जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का विरोध अपने दल की नीतियों के समर्थन भर है।इसके साथ ही हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचने वालों पर भी कार्रवाई के निर्देश जारी किए गए हैं। हालांकि शुरुआत में ये फ़ैसला सिर्फ मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले तक सीमित था, लेकिन अब राज्य सरकार के आदेश पर पूरे राज्य में लागू कर दिया है। हां, नीतीश कुमार का कुछ बयान आता तो मामला ज्यादा पेंचीदा हो सकता था। अब रहा चिराग पासवान का विरोध तो वह भी विरोध के लिए विरोध है। एनडीए में बने रहने के लिए जितना संघर्ष चिराग ने किया वह इस छोटे से मसले पर सरकार गिराने की बात सोच नहीं सकते।