हाल ही में मंकी पॉक्स का एक वायरस पाकिस्तान में मिला, जिसके बाद भारत में भी खतरा बढ़ गया है! मंकीपॉक्स को लेकर WHO ने दुनिया भर में अलर्ट जारी किया है। इसी बीच पाकिस्तान में मंकीपॉक्स का पहला मामला देखा गया है। इससे एक दिन पहले अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के माध्यम से बीमारियों के संभावित प्रसार को रोकने के लिए पाकिस्तान ने अलर्ट जारी किया था। गुरुवार को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KP) के एक नागरिक में मंकीपॉक्स का इस साल का पहला मामला दर्ज किया गया है। हाल ही में यह शख्स सऊदी अरब से वापस लौटा है। पाकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि युवक दीर का है और वर्तमान में मर्दन में रह रहा है। उन्होंने बताया कि संक्रमित व्यक्ति के 3 अगस्त को सऊदी अरब से लौटने के बाद एमपॉक्स से पीड़ित होने का पता चला था। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने आगे कहा कि उन्होंने संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों के सैंपल लिए हैं। इसके बाद स्वास्थ्य सेवाओं ने सभी आने-जाने वाले रास्ते पर सख्त निगरानी का आदेश दिया है। मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए और कदम उठाते हुए पाकिस्तानी स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक सत्र आयोजित कर एमपॉक्स के संबंध में सलाह और दिशानिर्देश जारी किए।
भारत में अभी इस वायरस का कोई मामला नहीं आया है। हालांकि WHO के मुताबिक भारत में जनवरी 2022 और जून 2024 के बीच एमपॉक्स के 27 मामले सामने आए हैं। बड़ी संख्या में भारतीय खाड़ी देश में रहते हैं। ऐसे में पाकिस्तान में इसका मामला मिलना भारत के लिए भी चिंता बढ़ाने वाला है। पिछले साल पाकिस्तान एमपॉक्स के 9 मामलों की पुष्टि हुई थी। सभी मामले मिडिल ईस्ट और अन्य देशों से लौटने वाले यात्रियों में थे। एक मरीज जो एचआईवी और एमपॉक्स से संक्रमित था, बाद में इस्लामाबाद में मौत हो गई।
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में एमपॉक्स के मामले ने सबसे ज्यादा कहर बरपाया है। इस साल की शुरुआत से अब तक 548 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं देश के सभी प्रांत इससे प्रभावित हैं। WHO ने बुधवार को एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर वैश्विक सार्वजनिक स्वाथ्य आपातकाल घोषित कर दिया। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक स्वास्थ्य मंत्री सैमुअल-रोजर कम्बा ने गुरुवार को कहा कि हमारे देश में इस साल की शुरुआत से 15,664 संभावित मामले और 548 मौतें दर्ज की गई हैं। बता दें कि जनवरी 2023 से शुरू हुए इस मौजूदा प्रकोप में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (DRC) में 27,000 से ज्यादा मामले सामने आए हैं और 1,100 से ज्यादा मौतें हुई हैं, जिनमें ज्यादातर बच्चों की मौतें शामिल हैं। इनमें से आधे से ज्यादा मामले और काफी संख्या में मौतें (548) इस साल की शुरुआत से DRC में ही हुई हैं। मामलों और मौतों में बढ़ोतरी के साथ ही यह बीमारी बुरुंडी, केन्या, रवांडा और युगांडा तक फैल गई है।
मंकीपॉक्स बीमारी संक्रमित लोगों के करीबी संपर्क से फैलती है। संक्रमित व्यक्ति के सामने चेहरे के पास बातचीत या सांस लेने के दौरान बूंदों के माध्यम से या त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से, जिसमें यौन संबंध और मुंह से मुंह या मुंह से त्वचा का संपर्क शामिल है, से संक्रमण हो सकता है।कि ऐसी दवाएं आमतौर पर दुर्लभ मामलों में ही दी जाती हैं। मंकीपॉक्स के लिए तीन वैक्सीन भी हैं – एमवीए-बीएन, एलसी16 और ऑर्थोपॉक्सवैक – जिन्हें पहले चेचक से लड़ने के लिए विकसित किया गया था। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सिर्फ जोखिम वाले लोगों को ही, जैसे संक्रमित लोगों के करीबी संपर्क में आए लोगों को ही टीका लगवाना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बड़े पैमाने पर टीकाकरण का आह्वान नहीं किया है।
यह बीमारी कुछ तरह के बंदरों और चूहों जैसे संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंच से भी लोगों में फैल सकती है। ऐसे जानवरों की खाल उतारने या उनके मांस को अच्छी तरह न पकाकर खाने से भी बीमारी हो सकती है।चेचक के इलाज के लिए बनाई गई एक एंटीवायरल दवा, टेकोविरिमाट को साल 2022 में मंकीपॉक्स के इलाज के लिए यूरोपीय मेडिसिन एजेंसी ने मंजूरी दी थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि ऐसी दवाएं आमतौर पर दुर्लभ मामलों में ही दी जाती हैं। कमजोर या कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में गंभीर मंकीपॉक्स होने या मरने का खतरा अधिक होता है। जबकि कोरोना सांस लेने, बात करने, छींकने या खांसने से हवा में मौजूद छोटी-छोटी बूंदों के माध्यम से फैलता है और यह बहुत तेजी से फैलता है।