आखिर भारत का नया टोल सिस्टम कैसे करेगा काम जानिए?

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आज हम आपको भारत के नए टोल सिस्टम के बारे में जानकारी देने वाले हैं! भारत में अगले साल से एनएचएआई की टोल रोड पर शुरू हो रहे ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) के तहत टोल टैक्स की चोरी करने वालों दोगुना खर्च करना पड़ सकता है। इसके लिए केंद्रीय सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय कई स्तर पर तैयारियां कर रहा है। इसमें टोल की चोरी करने वाली गाड़ियों के पॉल्यूशन और फिटनेस सर्टिफिकेट तो रोक ही लिए जाएंगे, बल्कि उनसे डबल टोल भी वसूला जाएगा। इसके साथ ही एक्सप्रेस-वे के बीच में ऐसी स्पेशल मोबाइल वैन तैनात की जाएंगी, जो उन गाड़ियों के नंबर नोट करेगी। नियम तोड़ने वाले वाहनों के ऑन बोर्ड यूनिट यानी ऑटोमैटिक टोल टैक्स कटने वाला सिस्टम भी बंद किया जा सकता है। अधिकारियों ने बताया कि असल में दुबई, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत अन्य विभिन्न देशों में चल रहे जीएनएसएस के तहत टोल लेने वाली प्रक्रिया से इतर भारत का सिस्टम थोड़ा अलग है। यहां फास्टैग से भी टोल चोरी करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में कुछ गाड़ी वाले जीएनएसएस के तहत टोल लेने वाले सिस्टम में भी टोल की चोरी करने का प्रयास करेंगे। इनके लिए भारत मॉडल तैयार किया जा रहा है। 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई टोल नहीं देना होगा। सैटेलाइट से टोल लेने वाले इस जीएनएसएस सिस्टम का ट्रायल कुछ हाईवे पर हो चुका है। इसमें पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कर्नाटक में एनएच-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में एनएच-709 के पानीपत-हिसार खंड पर ट्रायल किया गया था।जिसमें जो भी कार, बस, ट्रक या टोल देने वाली अन्य कोई भी गाड़ी वाला किसी भी रूप में टोल की चोरी करते पाया जाएगा। उसके खिलाफ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाएगा।

कोई गाड़ी वाला अगर अपने अकाउंट में बिना पैसे रखे गाड़ी को टोल रोड पर ले आएगा तो उसकी गाड़ी को बीच में कहीं रोका तो नहीं जाएगा। मगर जब भी वह अपनी गाड़ी का पॉल्यूशन या फिटनेस कराएगा तब पहले उसे टोल भरना होगा। ऐसी गाड़ी बिना टोल भरे बेची भी नहीं जा सकेंगी। टोल चोरी करने वाली ऐसी तमाम गाड़ी वालों से हर्जाने के रूप में डबल टोल वसूला जाएगा। बार-बार टोल चोरी करने वाली गाड़ी वालों के खिलाफ बड़ी पेनल्टी भी लगाने का प्रावधान किया जा रहा है।

इसके अलावा उन गाड़ियों को पकड़ना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। जो गाड़ी वाले अपनी गाड़ियों में लगे ओबीयू को ही बंद कर देंगे या हटाकर हाईवे पर चलेंगे। ऐसी गाड़ियों को पकड़ने के लिए खास सॉफ्टवेयर से लैस मोबाइल वैन हाईवे के बीच-बीच में लगाई जाएंगी। जो ऐसी गाड़ियों के नंबर नोट कर उनके रजिस्ट्रेशन नंबर पर डबल टोल के साथ चालान उनके घर भेजेंगी। शुरूआत में मोबाइल वैन लगाई जाएंगी, बाद में इस खास सॉफ्टवेयर से लैस कैमरे एक्सप्रेस-वे पर लगाने शुरू कर दिए जाएंगे। इसलिए सैटेलाइट सिस्टम में टोल चोरी करना गाड़ी वालों के लिए खासा महंगा पड़ेगा।

बता दे कि फिलहाल सैटेलाइट से टोल लेने वाला सिस्टम केवल कमर्शियल गाड़ियों पर लागू होगा। नॉटिफिकेशन के मुताबिक, नेशनल परमिट वाले वाहनों को छोड़कर कोई अन्य वाहन चालक अगर नेशनल हाईवे, बाईपास, टनल या ब्रिज का इस्तेमाल करता है, जो जीपीएस आधारित टोल सिस्टम से लैस है, तो इसे प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई टोल नहीं देना होगा। सैटेलाइट से टोल लेने वाले इस जीएनएसएस सिस्टम का ट्रायल कुछ हाईवे पर हो चुका है। इसमें पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कर्नाटक में एनएच-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में एनएच-709 के पानीपत-हिसार खंड पर ट्रायल किया गया था।

इस तकनीक में टोल के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके लिए गाड़ियों में ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBU) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) लगा होगा। बता दें कि फास्टैग से भी टोल चोरी करने की कोशिश करते हैं। ऐसे में कुछ गाड़ी वाले जीएनएसएस के तहत टोल लेने वाले सिस्टम में भी टोल की चोरी करने का प्रयास करेंगे। इनके लिए भारत मॉडल तैयार किया जा रहा है। जिसमें जो भी कार, बस, ट्रक या टोल देने वाली अन्य कोई भी गाड़ी वाला किसी भी रूप में टोल की चोरी करते पाया जाएगा। ये सिस्टम मौजूदा फास्टटैग से अलग होगा। जब एक बार देशभर में ये सिस्टम शुरू हो जाएगा तो कहीं भी टोल नाके की जरूरत नहीं होगी। जब वाहन हाईवे पर एंट्री लेगा और जहां एग्जिट करेगा, उसके हिसाब से टोल कट जाएगा।