आज हम आपको चौधरी चरण सिंह के जीवन का मजेदार किस्सा बताने जा रहे हैं! पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण को किसानों का मसीहा कहा जाता है। वह जीवन भर किसानों के हितों के लिए संघर्ष करते रहे। उनकी इसी भूमिका के लिए नरेंद्र मोदी सरकार ने उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने का ऐलान किया है। चौधरी चरण सिंह अपने अक्खड़ रवैये और सिद्धांतों से समझौता न करने के लिए मशहूर थे। खुद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू उनकी इस आदत के कायल थे। जब देश और विदेश में पंडित जवाहरलाल नेहरू छाए थे उस समय उन्होंने कांग्रेस में रहते हुए उनकी योजनाओं और संकल्पनाओं को गलत कहने का साहस दिखाया है। खेती और किसानी से जुड़े विचारों पर वह खुलकर बोलने में हिचकते नहीं थे। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू रूस के समाजवाद से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने भारत में सहकारी खेती लागू करने का मन बनाया। इस पर उन्होंने 1959 में हुए नागपुर के कांग्रेस अधिवेशन में चर्चा की।
जिस समय देश ही नहीं विदेश में पंडित जवाहरलाल नेहरू की तूती बोल रही थी उस समय कांग्रेस में ही रहते हुए उन्होंने नेहरू के विचारों, योजनाओं और उनकी संकल्पनाओं को गलत कहने का साहस दिखाया। चौधरी चरण सिंह ने खुले अधिवेशन में बिना किसी हिचक के इस पूरे प्रस्ताव की न केवल कमियां गिनाईं बल्कि अपने तर्कों से जवाहरलाल नेहरू को भी लाजवाब कर दिया। अंत में चूंकि प्रस्ताव नेहरू जी ने ही पेश किया था इसलिए वापस तो नहीं लिया गया लेकिन उसे लागू कभी नहीं किया गया।
चौधरी चरण सिंह व्यक्तिगत जीवन में भी ईमानदारी पर बहुत जोर देते थे। उनके जीवन के ऐसे अनेकों उदाहरण हैं। एक बार उन्होंने एक शराब के व्यापारी का न केवल टिकट काट दिया बल्कि उसका दिया हुआ चंदा भी वापस कर दिया। साल 1980 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने थे। फैजाबाद जिले की टांडा तहसील के युवा नेता गोपीनाथ वर्मा जनता पार्टी सेक्युलर का टिकट मांगने चौधरी साहब के पास पहुंचे थे। चौधरी साहब ने उनसे कह दिया कि क्षेत्र में जाकर जनता की सेवा करें। जब टिकटों का ऐलान होगा तब बताया जाएगा। इस पर वर्मा ने उन्हें बताया कि प्रदेश अध्यक्ष ने उनका नाम काटकर पहले से ही एक शराब कारोबारी का नाम सबसे ऊपर रखा है। चौधरी साहब गुस्से से भर गए। उन्होंने तुरंत प्रदेश अध्यक्ष से गोपीनाथ वर्मा का नाम काटने की वजह पूछी। रामवचन यादव ने अपनी मजबूरी बताते हुए कहा कि शराब कारोबारी ने टिकट के बदले नौ लाख रुपये का चंदा दिया है। अब तो चौधरी साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर था, गरजते हुए बोले- मजबूरी आपकी होगी, पार्टी की नहीं। हम किसी शराब कारोबारी को उम्मीदवार नहीं बनाएंगे। उसके नौ लाख रुपये तुरंत लौटा दो।
चौधरी चरण सिंह के इसी तेवर को देखते हुए जवाहर लाल नेहरू ने उसे उनका ‘जाटपन’ कहा था। बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी ने चौधरी चरण सिंह को भरत रत्न दिए जोन को लेकर बधाई दी है। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि हमारी सरकार का यह सौभाग्य है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जा रहा है। यह सम्मान देश के लिए उनके अतुलनीय योगदान को समर्पित है। उन्होंने किसानों के अधिकार और उनके कल्याण के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया था। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हों या देश के गृहमंत्री और यहां तक कि एक विधायक के रूप में भी उन्होंने हमेशा राष्ट्र निर्माण को गति प्रदान की। वे आपातकाल के विरोध में भी डटकर खड़े रहे। हमारे किसान भाई- बहनों के लिए उनका समर्पण भाव और इमरजेंसी के दौरान लोकतंत्र के लिए उनकी प्रतिबद्धता पूरे देश को प्रेरित करने वाली है।टिकट के बदले नौ लाख रुपये का चंदा दिया है। अब तो चौधरी साहब का गुस्सा सातवें आसमान पर था, गरजते हुए बोले- मजबूरी आपकी होगी, पार्टी की नहीं। हिचक के इस पूरे प्रस्ताव की न केवल कमियां गिनाईं बल्कि अपने तर्कों से जवाहरलाल नेहरू को भी लाजवाब कर दिया। अंत में चूंकि प्रस्ताव नेहरू जी ने ही पेश किया था इसलिए वापस तो नहीं लिया गया लेकिन उसे लागू कभी नहीं किया गया।हम किसी शराब कारोबारी को उम्मीदवार नहीं बनाएंगे। उसके नौ लाख रुपये तुरंत लौटा दो। पीएम नरेंद्र मोदी के इस पोस्ट को कोट करते हुए जयंत चौधरी ने लिखा, दिल जीत लिया। बात चौधरी साहब को इतनी चुभी कि उन्होंने नेहरू जी को पत्र लिख डाला और नेहरू जी को भी जवाब में लेटर लिखना पड़ा।