एक ऐसा गैंगस्टर जिसकी पत्नी जेल में हो गई थी गर्भवती! तारीख 26 दिसंबर 2015, जगह दरभंगा जिले का शिवराम चौक… एसएच 88 के निर्माण कार्य में लगे दो इंजीनियरों की सरेआम एके-56 से गोली मारकर हत्या। हत्या तब हुई जब 2015 में पहली बार नीतीश और तेजस्वी की सरकार बनी थी। सरकार के बने एक महीने ही बीते थे और बिहार में इतनी बड़ी वारदात को अंजाम दी गई थी। घटना के बाद विपक्ष ने ‘जंगलराज की वापसी’ की तमगा दिया था। इस वारदात को अंजाम संतोष झा और मुकेश पाठक के गैंग ने दिया था। घटना के बाद सरकार की फजीहत हो रही थी, इसके बाद गिरफ्तारी की जिम्मेदारी एसटीएफ को सौंपी गई थी। कुछ दिनों बाद ही दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। इस घटना से पहले बिहार के लोग बहुत ज्यादा संतोष झा और मुकेश पाठक के बारे में नहीं जानते थे। गिरफ्तारी के बाद दोनों के बारे में एक से बढ़कर एक किस्से सामने आए।इस हत्याकांड में 2018 में संतोष झा और मुकेश पाठक समेत 10 लोग दोषी करार दिए गए। संतोष झा की हत्या कोर्ट में पेशी के दौरान कर दी गई थी। आरोप मुकेश पाठक पर ही लगा। मुकेश पाठक इन दिनों जेल में बंद है। यह बिहार की पुलिस के लिए हमेशा से चुनौती बना रहा है। एक समय में इसके सामने जेलर तक पानी भरते थे। उत्तर बिहार के इलाके में गैंगस्टर संतोष झा की तूती बोलती थी। उस इलाके में वह अपहरण, लेवी वसूलने और हत्या तक की वारदातों को अंजाम देता था। इसके फोन कॉल से लोग थर्रा जाते थे। गैंगस्टर मुकेश पाठक ने अपराध की दुनिया में अपने चचेरे भाई प्रेमनाथ पाठक की 2003 में हत्या कर कदम रखा था।
इस हत्याकांड में मुकेश पाठक को सीतामढ़ी से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। कुछ दिनों बाद वह जेल से बाहर आ गया। इस दौरान सीतामढ़ी में नक्सलियों के साथ काम करने वाले संतोष झा से उसकी पहचान हुई, जिसका उस इलाके में एक अलग खौफ था। संतोष के संपर्क में आने के बाद क्राइम की दुनिया का मुकेश पाठक बेताज बादशाह बन गया। संतोष झा का राइट हैंड बनकर मुकेश पाठक काम करने लगा। उत्तर बिहार में ताबड़तोड़ वारदात को अंजाम देकर उसने क्राइम की दुनिया में अपनी अलग पहचान बना ली।
जेल से आने के बाद छोटे-मोटे वारदातों को मुकेश पाठक लगातार अंजाम दे रहा था। 10 दिसंबर 2010 को उसने अपने साथियों के साथ मिलकर हरपुरनाग पंचायत की मुखिया के पति चुन्नू ठाकुर की हत्या कर दी। इसके बाद गुस्साए लोगों ने मेहसी मडुआबाद स्थित मुकेश के घर में लोगों ने आग लगा दी। मुकेश पाठक इसके बाद फिर से फरार हो गया। पुलिस ने 17 जनवरी 2013 को मुकेश पाठक को रांची से गिरफ्तार किया। इसके बाद उसे मोतिहारी लेकर आई। यहां लाने के बाद इसे शिवहर के जेल में बंद कर दिया गया।
मुकेश पाठक शिवहर मंडल कारा में बंद था। इस दौरान अपहरण के मामले में दोषी करार दी गई, पूजा पाठक नाम की महिला अपराधी को यहां शिफ्ट किया गया। इसे बिहार में किडनैपिंग क्वीन के नाम से जाना जाता है। जेल में रहने के दौरान पूजा और मुकेश की पहचान हुई। यह मुलाकात धीरे-धीरे प्यार में बदल गया। 14 अक्टूबर 2013 को दोनों ने जेल में शादी कर ली। जेल प्रशासन की भूमिका दोनों की शादी में अहम रही। दोनों की शादी की खबरें मीडिया में सुर्खियां बनीं।
शादी के बाद गैंगस्टर मुकेश पाठक और पूजा शिवहर जेल में ही थे। इस मामले में तूफान जब आ गया, जब गैंगस्टर मुकेश पाठक 20 जुलाई 2015 को जेल से फरार हो गया। बताया गया कि उसने जेलकर्मियों को नशीला पदार्थ खिला दिया था क्योंकि जेल में उसका राज चलता था। इसलिए मुकेश सरेआम घूमता रहता था। जेलकर्मियों से उसकी पहचान भी थी। मुकेश पाठक के फरार होने की खबर से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है। आनन-फानन में अधिकरी शिवहर जेल पहुंचे। इसके बाद जेलर को निलंबित कर दिया गया। इस दौरान पूजा पाठक से भी जेल में पूछताछ हुई।
संतोष झा, मुकेश पाठक का गुरु था। कोर्ट में पेशी के दौरान अगस्त 2018 में उसकी हत्या कर दी गई। संतोष पर नाबालिग शूटरों ने गोलियां बरसाई थी। आरोप मुकेश पाठक के ऊपर ही लगा है। बताया जाता है कि मुकेश और संतोष झा में पैसों को लेकर अदावत हो गई थी। दोनों ने लेवी वसूलकर अकूत दौलत कमाई थी। इसी के लेनदेन को लेकर दोनों में विवाद था।
मुकेश पाठक गिरोह के पास एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक हथियार थे। गिरोह का नाम सुनते ही लोग कांप उठते थे। इंजीनियरों की हत्या के लिए भी मुकेश पाठक ने एके-56 का इस्तेमाल किया था। बताया जाता है कि इसके गिरोह में शूटरों की फौज थी। अत्याधुनिक हथियार चलाने वाले शूटरों को यह सैलरी देता था। शूटरों से मुकेश कॉरपोरेट स्टाइल में काम लेता था। अभी वह जेल में बंद है।