जानिए क्या होता है राष्ट्रीय शोक?

0
144

आज हम आपको राष्ट्रीय शोक के बारे में जानकारी देने वाले हैं! ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन पर भारत में एक दिन का राष्ट्रीय शोक रखा गया है। इसी के मद्देनजर राष्ट्रपति भवन पर लगे राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुकाया गया है। पूरे भारत में मंगलवार यानी एक दिन के लिए राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। राष्ट्रीय शोक के दौरान मनोरंजन वाला कोई आधिकारिक कार्यक्रम नहीं होगा। हेलीकॉप्टर दुर्घटना में ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान का निधन हो गया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ईरान के राष्ट्रपति सैय्यद इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री होसैन अमीरबदोल्लाहियान के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने भारत-ईरान संबंधों को मजबूत करने में दोनों नेताओं की ओर से निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति का सम्मान करने और अचानक निधन पर शोक जताने के लिए भारत सरकार ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया। इसका प्रावधान खत्म कर दिया गया। हालांकि, पद पर रहते हुए अगर किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन हो जाए, तो अवकाश होता है। वहीं राज्य सरकारों के पास भी किसी गणमान्य व्यक्ति के निधन पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का अधिकार है।भारत में ‘राष्ट्रीय शोक’ पूरे देश के दुःख को व्यक्त करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है। ‘राष्ट्रीय शोक’ किसी ‘व्यक्ति’ विशेष के निधन या पुण्य तिथि पर मनाया जाता है। फ्लैग कोड ऑफ इंडिया के अनुसार, राष्ट्रीय शोक के दौरान, पूरे भारत में और विदेश स्थित भारतीय संस्थानों जैसे एंबेसी आदि पर लगे राष्ट्रीय ध्वज आधे झुके रहते हैं। कोई औपचारिक और सरकारी कार्यक्रम नहीं किया जाता। इस अवधि के दौरान कोई आधिकारिक कार्य भी नहीं होता। भारत में पहला राष्ट्रीय शोक महात्मा गांधी की हत्या के बाद घोषित किया गया था।

राष्ट्रीय शोक की अवधि के दौरान सरकारी समारोहों और आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम पर भी प्रतिबंध रहता है। शुरुआत में ‘राष्ट्रीय शोक’ सिर्फ वर्तमान और पूर्व राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के लिए आरक्षित था, हालांकि, कुछ समय बाद इसमें कई बदलाव किए गए। अब अन्य गणमान्य व्यक्तियों के मामले में केंद्र सरकार के विशेष निर्देश पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जा सकता है। अगर देश में किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा आए तो ऐसे वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है। इसके साथ ही दूसरे देशों के राष्ट्राध्यक्ष के अचानक निधन पर भी केंद्र सरकार राष्ट्रीय शोक घोषित कर सकती है।

राष्ट्रीय शोक पर पहले सरकारी कार्यालयों में अवकाश होता था। हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से 1997 में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था, इसके अनुसार, सार्वजनिक छुट्टी अब अनिवार्य नहीं रही। इसका प्रावधान खत्म कर दिया गया। हालांकि, पद पर रहते हुए अगर किसी राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री का निधन हो जाए, तो अवकाश होता है। वहीं राज्य सरकारों के पास भी किसी गणमान्य व्यक्ति के निधन पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा का अधिकार है।

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की मौत पर भारत सरकार ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी।  बता दें कि भारत-ईरान संबंधों को मजबूत करने में दोनों नेताओं की ओर से निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया। ईरान के दिवंगत राष्ट्रपति का सम्मान करने और अचानक निधन पर शोक जताने के लिए भारत सरकार ने एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया। भारत में ‘राष्ट्रीय शोक’ पूरे देश के दुःख को व्यक्त करने का एक प्रतीकात्मक तरीका है। ‘राष्ट्रीय शोक’ किसी ‘व्यक्ति’ विशेष के निधन या पुण्य तिथि पर मनाया जाता है। शिंजो आबे की मौत 8 जुलाई 2022 को उस समय हुई थी जब चुनाव प्रचार के दौरान उन्हें एक हमलावर ने गोली मार दी थी। पीएम मोदी ने उनके निधन पर दुख जताया और 9 जुलाई 2022 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया था। इससे पहले 14 मई 2022 को संयुक्त अरब अमीरात के शेख खलीफा बिन जायद के निधन पर एक दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। इससे पहले मॉरिशस के प्रधानमंत्री भारतीय मूल के अनिरूद्ध जगन्नाथ के निधन पर 5 जून 2021 को राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया था। पहले इतना नहीं था लेकिन अब अन्य गणमान्य व्यक्तियों के मामले में केंद्र सरकार के विशेष निर्देश पर राष्ट्रीय शोक घोषित किया जा सकता है। अगर देश में किसी बड़ी प्राकृतिक आपदा आए तो ऐसे वक्त भी ‘राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया जा सकता है। तो ये राष्ट्रीय शोक की पूरी कहानी!