आज हम आपको उत्तर प्रदेश में फल सब्जी की दुकानों पर नेम प्लेट के मामले के बारे में बताने जा रहे हैं! हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा कावड़ यात्रियों की आस्था और धर्म को सुरक्षित रखने के लिए फल सब्जी की दुकानों पर नेम प्लेट लगाने की बात कही थी! जिसके बाद कावड़ यात्रियों के मार्ग पर आने वाली सभी खाने पीने के दुकानदारों के द्वारा अपना नाम और पहचान अपनी दुकान के सामने लगा लिए गए… इसके बाद विपक्ष के द्वारा सियासत शुरू कर दी गई! आपको हम इस पूरी घटना और विवाद के बारे में जानकारी देंगे! आपको बता दे कि कांवड़ियों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ ही गुरुवार को पुरकाजी से बुढ़ाना मोड़ तक अलग-अलग जगह दुकानदारों ने अपने नाम दुकानों के बाहर प्रदर्शित किए। मिठाई, कोल्ड ड्रिंक्स और खाने-पीने के सामान की दुकानों के बाहर नाम लिखे गए।
फल विक्रेताओं ने भी नाम वाले बैनर लटकाए हैं। वहीं पुलिस के फैसले ने तूल पकड़ा तो भाजपा नेताओं के बयान आने शुरू हो गए। सरधना के पूर्व विधायक संगीत सोम और खतौली के पूर्व विधायक विक्रम सैनी ने पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर पर निशाना साधा। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया, इस पर सियासी बहस शुरू हो गई है। इसे लेकर एआईएमआईएम के अध्यक्ष असद्उद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट कर पलटवार किया। गीतकार जावेद अख्तर ने भी एक्स पर पोस्ट करते हुए टिप्पणी की है। बता दें कि मुख्यमंत्री योगी ने कांवड़ यात्रियों के लिए बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि पूरे यूपी में कांवड़ मार्गों पर खाने-पीने की दुकानों पर संचालकों-मालिकों का नाम पहचान लिखनी होगी।
उन्होंने कहा कि कांवड यात्रियों की आस्था की शुचिता बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। इसके अलावा हलाल सर्टिफिकेशन वाले प्रोडक्ट बेचनेवालों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। उधर, इस फैसले का अखिलेश यादव और मायावती ने कड़ा विरोध किया है। इसी बीच असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस के आदेश के अनुसार अब हर खाने वाली दुकान या ठेले के मालिक को अपना नाम बोर्ड पर लगाना होगा, ताकि कोई कांवड़िया गलती से मुसलमान की दुकान से कुछ न खरीद ले। इसे दक्षिण अफ्रीका में अपारथाइड कहा जाता था और हिटलर की जर्मनी में इसका नाम जुडेनबोयकोट था। बता दें कि यशवीर आश्रम बघरा के संचालक स्वामी यशवीर महाराज ने अधिकारियों से मिलकर कांवड़ मार्ग की दुकानों के दुकानदारों के नाम प्रदर्शित करने की मांग रखी थी। उन्होंने एसएसपी अभिषेक सिंह से भी मुलाकात की थी।
कांवड़ यात्रा रूट पर नेम प्लेट लगाने का विवाद उत्तर प्रदेश से गहराया है। मुजफ्फरनगर प्रशासन की ओर से सबसे पहले कांवड़ रूट पर लगने वाली दुकानों पर नेम प्लेट लगाने का आदेश जारी किया गया। इस नेम प्लेट पर दुकानदार और इसमें काम करने वाले कर्मियों के नाम की जानकारी देने को कहा गया। इस आदेश के बाद मुजफ्फरनगर में विरोध शुरू हो गया। अखिलेश यादव से लेकर मायावती और एआईएमआई प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी तक प्रशासन के खिलाफ बयान देने लगे। हालांकि, मुजफ्फरनगर प्रशासन के आदेश को सहारनपुर और शामली में भी लागू कर दिया गया। विवाद गहराया तो योगी सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा। योगी सरकार ने इस मामले में चौंकाने वाला फैसला लेते हुए प्रदेश के सभी रूटों पर दुकानों के आगे नेम प्लेट का आदेश जारी कर दिया।कौशल विकास राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने भी विकास भवन में हुई बैठक के दौरान यह मुद्दा उठाया था। पुलिस ने इसके बाद कांवड़ मार्ग पर व्यवस्था लागू करानी शुरू कर दी थी। एआईएमआईएम के प्रमुख असदउद्दीन ओवैसी की एक्स पर पोस्ट के बाद अन्य लोगों ने भी बृहस्पतिवार को मोर्चा संभाल लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर नेम प्लेट लगाए जाने से संबंधित याचिका में 22 जुलाई को अंतरिम आदेश जारी किया गया था। कोर्ट ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत के साथ ही रूट पर नेम प्लेट लगाने संबंधी आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया। दरअसल, दुकानदारों की ओर से दायर याचिका में आर्थिक चोट पहुंचाने वाला यह आदेश बताया गया।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कांवड़ यात्रा रूट पर बने होटल, ढाबे और रेस्टोरेंट्स को शाकाहारी या मांसाहारी का बोर्ड लगाने का आदेश दिया। दुकान के मालिक या कर्मियों के नाम लिखने को अनिवार्य किए जाने पर रोक लगा दी गई। अब योगी सरकार की ओर से कोर्ट में पेश किए गए जवाब में कानून व्यवस्था बनाए रखने और आस्था पर चोट न पड़ने देने को लेकर इस प्रकार का आदेश जारी किए जाने की बात कही है। कोर्ट अन्य सरकारों का जवाब आने के बाद 29 जुलाई को मामले में आगे की सुनवाई हुई।यानी सीधी सी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में अब कोई भी गलत तरीके से फल सब्जी और खाने-पीने के समान नहीं बेच पाएगा,
क्योंकि अधिकतर मामलों में यह देखा गया है कि धर्म विरोधी लोगों के द्वारा एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाने के लिए कई आपत्तिजनक कार्य किए जाते हैं… जिसके बाद हिंसा भड़क सकती है…. इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा ऐसी हिंसा से बचने के लिए पहले से ही प्रिकॉशन ले लिए गए हैं!