Wednesday, May 14, 2025
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क्या अब अखिलेश यादव भी बनवाएंगे हिंदू मंदिर ?

अब अखिलेश यादव भी हिंदू मंदिर बनवाने जा रहे हैं! अयोध्या में राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ उत्तर प्रदेश में राजनीति की बिसात ‘मंदिर की पिच’ पर बिछती दिख रही है। भाजपा पहले से ही इस पिच पर खेलने की धुरंधर है। वह योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राम मंदिर से लेकर प्रदेश भर में हिंदुत्व की राजनीति का जमीन तक प्रसार करने में जुटी हुई है। गांव-गांव से लोगों को मंदिर के दर्शन के लिए लाया जा रहा है। दूसरी तरफ राम को लेकर जनमानस में आस्था का ऐसा असर है कि भाजपा ही नहीं दूसरी पार्टियों के नेता भी मंदिर दर्शन को पहुंच रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में अखिलेश यादव का रुख को लेकर है। एक तरफ वह मंदिर कार्यक्रम को ‘भाजपाई’ बताकर दूरी बनाए रहे। सपा सदस्यों ने विधानसभा में राम मंदिर प्रस्ताव का विरोध किया। स्वामी प्रसाद मौर्य तो प्राण प्रतिष्ठा पर ही सवाल उठाते रहे। वहीं दूसरी तरफ पहली बार समाजवादी पार्टी के दफ्तर में लोगों ने शालीग्राम शिला का स्वागत देखा। खुद अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल के साथ पूजा अर्चना करते नजर आए। पता चला वह इटावा में केदारेश्वर मंदिर बना रहे हैं तो क्या है ये पूरी कवायद? दरअसल राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से ही अखिलेश यादव का रुख लगातार चर्चा का विषय बना हुआ है। विश्व हिंदू परिषद की तरफ से अखिलेश यादव को न्योता दिया गया लेकिन अखिलेश यादव ने साफ कहा कि उन्हें न्योता नहीं मिला है। उन्होंने कूरियर नंबर तक मांग लिया। फौरन बाद विश्व हिंदू परिष्ज्ञद की तरफ से अखिलेश को भेजे गए निमंत्रण पत्र का कूरियर नंबर सार्वजनिक कर दिया गया। तो अखिलेश यादव की तरफ से श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय को पत्र भेजा गया, जिसमें उन्होंने न्योता देने के लिए ट्रस्ट को शुक्रिया कहा। साथ ही कहा कि वह समारोह में शामिल नहीं होंगे लेकिन बाद में परिवार के साथ रामलला के दर्शन पूजन के लिए आएंगे। अखिलेश यादव के इस रुख पर भाजपा उन्हें घेरती नजर आई। उधर काग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी रामलला के निमंत्रण पर अयोध्या आने से मना कर दिया। कांग्रेस हाईकमान की तरफ से बयान आया कि ये कार्यक्रम पूरी तरह से भाजपा और विश्व हिंदू परिषद का है, इसलिए इसमें वो शामिल नहीं होंगे।

लेकिन राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से ऐन पहले अयोध्या में अलग ही नजारा देखने को मिला। मकर संक्रांति के मौके पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, दीपेंद्र हुड्डा, अविनाश पांडेय, अखिलेश प्रताप सिंह आदि नेता अयोध्या पहुंचे और सरयू में स्नान किया। इस दौरान दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि हमारा मानना है कि राम सबके हैं। यह पहली बार नहीं है जब मैं अयोध्या आया हूं, एक साल पहले मैं रामलला की पूजा करने आया था। वहीं अजय राय ने कहा कि आज हम भगवान राम के दर्शन करेंगे, मकर संक्रांति के शुभदिन हमने सरयू में पवित्र स्नान किया।

दूसरी तरफ दिलचस्प ये रहा कि अखिलेश यादव ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से ऐन पहले एक्स पर एक वीडियो शेयर कर लिखा- उस पावन हृदय में बसते हैं सियाराम, जो करता रीति-नीति-मर्यादा का मान। जनता अखिलेश को अभी समझने का प्रयास ही कर रही थी कि यूपी विधानसभा में राम मंदिर प्रस्ताव पर सपा विधायकों के रुख ने कन्फ्यूजन और बढ़ा दिया। दरअसल प्रस्ताव पर सपा के 14 विधायकों ने विरोध में हाथ उठाया। इसके बाद भाजपा विधायक इन विधायकों का नाम सार्वजनिक करने की मांग करने लगे। मामले ने तूल पकड़ा तो अगले ही दिन विधानसभा में सपा विधायक स्वामी ओमवेश खड़े हुए और उन्होंने सफाई दी कि उन्होंने विरोध में हाथ नहीं उठाए थे। मैंने समर्थन में हाथ उठाया था। मेरे साथ ज्यादती हुई। गलत तरीके से मेरा नाम छापा गया है। मैं रोजाना श्रीराम के हवन करने के बाद प्रभु का नारा लगाता हूं। कार्यवाही से मेरा नाम हटाया जाए। एक तरफ स्वामी ओमवेश खुद को राम भक्त साबित करते नजर आए तो दूसरी तरफ सपा के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्या प्राण प्रतिष्ठा पर ही सवाल खड़े करते नजर आए।

इसी बीच यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सीएम योगी आदित्यनाथ के आग्रह पर सभी विधायकों का अयोध्या भ्रमण कराया गया और वहां सभी ने रामलला के दर्शन किए। खास बात ये थी कि विधायकों को लग्जरी बसों से लखनऊ से अयोध्या ले जाया गया। इस दौरान राष्ट्रीय लोकदल, बसपा और कांग्रेस के विधायक भी भाजपा विधायकों के साथ दर्शन करने गए। लेकिन सिर्फ समाजवादी पार्टी के विधायक ही नदारद रहे।

एक तरफ राम मंदिर मुद्दे पर सपा का ये रुख देने को मिला, वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव अपने गृह जनपद इटावा में केदारेश्वर मंदिर का निर्माण करा रहे हैं। इसे लेकर बाकायदा शालीग्राम शिला लखनऊ में सपा मुख्यालय पहुंची। उसका धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ स्वागत किया गया। ये वीडियो खुद अखिलेश यादव ने शेयर किया और लिखा कि श्री शालिग्राम भगवान का आगमन देश-प्रदेश के लिए मंगलकारी एवं जन-जन के लिए कल्याणकारी हो, इस पावन कामना के साथ हृदय से स्वागत। अगले दिन अखिलेश यादव अपनी पत्नी डिंपल यादव के साथ सपा दफ्तर में शालीग्राम की पूजा अर्चना करते नजर आए। यही नहीं उनके साथ जया बच्चन और शिवपाल यादव सहित तमाम सपा नेता भी इस दौरान मौजूद रहे। सपा नेता मनोज पांडेय ने बताया कि अखिलेश यादव इटावा लायन सफारी के पास केदारनाथ की तर्ज पर केदारेश्वर मंदिर बनवा रहे हैं। करीब 10 एकड़ में बन रहे इस मंदिर में शिवलिंग के लिए नेपाल से शाालीग्राम शिला मंगाई गई है। नेपाल से ये शिला पहले लखनऊ पहुंची। यहां से वह इटावा ले जाई जा रही है।

इस बीच राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का मुद्दा सामने आया तो अखिलेश पहले तो उसे नकराते नजर आए लेकिन चूंकि मंदिर को लेकर आस्था ओबीसी समाज में सबसे ज्यादा है लिहाजा उन्होंने अब संतुलन बनाने की कोशिश शुरू की है। अब वे पूरा ख्याल रख रहे हैं कि खुद को आस्थावान दिखा दें लेकिन एक सेक्युलर हिंदू के तौर पर ही, ताकि अल्पसंख्यक वोट उनसे दूर न जाए। यही कारण है कि वह एक तरफ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को भाजपा और संघ का कार्यक्रम कहकर नकार रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अपने जिले में केदारेश्वर मंदिर की स्थापना कर रहे हैं। राम मंदिर के लिए नेपाल से शिला आई थी, उसी तरह केदारेश्वर मंदिर के लिए नेपाल से शालिग्राम की शिला लाई गई है।

दूसरी तरफ कांग्रेस भी कहीं न कहीं इसी पशोपेश में घिरी नजर आ रही है। यूपी में कांग्रेस अपना जनाधार पूरी तरह खोज चुकी है। अजय राय की अगुवाई में अब वापस खड़ी होने का प्रयास कर रही है। पार्टी हाईकमान ने भले ही राम मंदिर समारोह में आने से मना किया लेकिन कांग्रेसी नेता अपने ढंग से राम का पूजन करते नजर जरूर आए। कांग्रेस विधायक भी विधानसभा स्पीकर के न्यौते पर रामलला का दर्शन किए। साफ पता चल रहा है कि यूपी में ‘हिंदुत्व राजनीति’ की तपिश सभी राजनीतिक दल महसूस कर रहे हैं। इसी कारण वह ‘मैं भी हिंदू’ की तर्ज पर संतुलन बिठाते नजर आ रहे हैं।

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