प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे पर है। पीएम आज वहां अखिल भारतीय शिक्षा समागम के तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे उसके साथ ही कई अन्य परियोजनाओं का भी उद्घाटन करेगें। जहां शिक्षा सम्मेलन में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विभिन्न लोग उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य और स्वरूप पर चर्चा करेंगे। वही भारत की मौजूदा सरकार द्धारा लाई गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के विभिन्न हिस्सों पर भी मंथन होगा। शिक्षा मंत्रालय की और से दिए गए के बयान के अनुसार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के सहयोग से अखिल भारतीय शिक्षा समागम का आयोजन हो रहा है। इसके आलावा भी पीएम मोदी विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण करेंगे। प्रशासनिक सूत्रों की माने तो उनके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सात जुलाई को एलटी कॉलेज वाराणसी में ‘अक्षय पात्र मध्याह्न भोजन रसोई घर” का उद्घाटन भी करेंगे। प्रधानमंत्री शाम को डॉक्टर संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में करोड़ों रुपये की लागत से बनी परियोजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी करेंगे।
इस मौके पर कौन कौन होगा मौजूद?
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसर प्रधानमंत्री मोदी वाराणसी में अखिल भारतीय शिक्षा समागम सम्मेलन का उद्घाटन करते समय मौजूद लोगो में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के साथ-साथ सम्मेलन में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों के 300 से अधिक कुलपति एवं निदेशक सहित शिक्षाविद, नीति निर्माता समेत कई हस्तियां इस पल की शाक्षी रहेगी। एक बयान के अनुसार, सम्मेलन में उच्च शिक्षा के बदलते परिदृश्य एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लागू करने के बारे में चर्चा की जाएगी। जिससे आने वाले दिनों में भारत में बड़े परिवर्तन को देखने की उम्मीद की जा रही है।
वही शिक्षा मंत्रालय के द्वारा दिए गए एक बयान में कहा गया की पीएम मोदी नई शिक्षा नीति को लेकर भारत भर में अलग अलग जगहों से फीड बैक ले रहे है। श्याद यही वजह है की पीएम मोदी के बीते महीने हिमाचल दौरे पर भी सचिवों के एक सम्मेलम को संबोधित करते हुए नई शिक्षा नीति पर चर्चा की थी।इसी कड़ी को जारी रखते हुए पीएम मोदी अब वाराणांसी में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर शिक्षाविदो के साथ चर्चा में भाग लेंगे।
क्या है राष्ट्रीय शिक्षा नीति ?
यह नीति बच्चों को उचित शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बनायीं जाती है। शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाता है। शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था का पैटर्न तैयार किया जाता है। उस शिक्षा व्यवस्था के पैटर्न को पूरे देश में लागू किया जाता है। इसलिए इसे शिक्षा नीति कहा जाता है। भारत में सबसे पहले 1968 में शिक्षा नीति बनायीं गयी थी। उसके बाद उसमें संशोधन करके नई शिक्षा नीति, 1986 लायी गयी. अब तक भारत की शिक्षा नीति में तीन बार संशोधन किया गया है। हाल ही में केंद्र सरकार शिक्षा नीति में संशोधन करके नई शिक्षा नीति, 2020 तैयार की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लाई गई जिसे सभी के परामर्श से तैयार किया गया है। इसे लाने के साथ ही देश में शिक्षा के पर व्यापक चर्चा आरंभ हो गई है। शिक्षा के संबंध में गांधी जी का तात्पर्य बालक और मनुष्य के शरीर, मन तथा आत्मा के सर्वांगीण एवं सर्वोत्कृष्ट विकास से है। इसी प्रकार स्वामी विवेकानंद का कहना था कि मनुष्य की अंर्तनिहित पूर्णता को अभिव्यक्त करना ही शिक्षा है। इन्हीं सब चर्चाओं के मध्य हम देखेंगे कि 1986 की शिक्षा नीति में ऐसी क्या कमियाँ रह गई थीं जिन्हें दूर करने के लिये नई राष्ट्रीय शिक्षा नति को लाने की आवश्यकता पड़ी। साथ ही क्या यह नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति उन उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगी जिसका स्वप्न महात्मा गांधी और स्वामी विवेकानंद ने देखा था?
सबसे पहले ‘शिक्षा’ क्या है इस पर गौर करना आवश्यक है। शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने एवं सिखाने की क्रिया परंतु अगर इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है जिसका कोई उद्देश्य होता है और जिससे मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार को परिष्कृत किया जाता है। शिक्षा द्वारा ज्ञान एवं कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाया जाता है।
गौरतलब है कि नई शिक्षा नीति 2020 की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है। इस नीति द्वारा देश में स्कूल एवं उच्च शिक्षा में परिवर्तनकारी सुधारों की अपेक्षा की गई है। इसके उद्देश्यों के तहत वर्ष 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% GER के साथ-साथ पूर्व-विद्यालय से माध्यमिक स्तर तक शिक्षा के सार्वभौमिकरण का लक्ष्य रखा गया है।जिसका बदलाव आने वाले दशकों में दिखाई देगा।