राम मनोहर लोहिया ने कहा था कि सच्चे लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीवनशक्ति सरकारों के उलट-पलट में बसती है, रोटी उलटते-पलटते रहो, ताकि वह ठीक से पक सके. जैसे एक ही तरफ सिक रही रोटी जल जाती है, पकती नहीं. वैसे ही सत्ता परिवर्तन भी अपरिहार्य है, सत्ता बदलती रहनी चाहिए ताकि आम जनमानस और समाज में निचले पायदान पर खड़े व्यक्ति का भला हो सके.
भारत में वर्तमान समय में विपक्ष की भूमिका कांग्रेस निभा रही है. कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता राहुल गांधी पिछले 100 दिनों भारत जोड़ो यात्रा कर रहे है. मैं महसूस कर रहा हूँ कि इस यात्रा को लेकर लोगों में एक अजीब प्रकार का कंफ्यूजन है. कुछ लोग ऐसा मान रहे है कि इस यात्रा से सत्ता परिवर्तन हो जाएगा तो कुछ ऐसा सोच रहे है कि यह यात्रा राहुल गांधी के बाकि कार्यों की तरह असफल हो जाएगा. आइए इस लेख में भारत जोड़ो यात्रा की मदद से हम राहुल गांधी के व्यक्तित्व को समझने की कोशिश करते हैं. राहुल गांधी पर देश में दो विचार बड़े जोर-शोर से चलते है. पहला यह कि वह विदेशी है, वह हिन्दू धर्म और भारत से नफरत करते हैं. दूसरा यह कि राहुल गांधी पप्पू हैं जिसका अर्थ है कि राहुल कैपेबल नही है. पहले विदेशी वाले आरोप पर बात करते हैं.
राहुल गांधी; विदेशी
राहुल गांधी; राजीव गांधी और सोनिया गांधी के एकलौते पुत्र है. राहुल का जन्म 19 जून 1970 को भारत के दिल्ली में हुआ. राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक और ट्रिनिटी विश्वविद्यालय से एमफिल की ड्रीग्री प्राप्त की है.
राहुल गांधी जब 10 साल के थे तब उनके चाचा संजय गांधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हो गई थी. राहुल गांधी जब 14 साल के थे तब उनकी दादी इन्दिरा गांधी की हत्या उनके ही अंगरक्षकों ने कर दी थी. और जब राहुल गांधी 21 साल के थे तब उनके पिता राजीव गांधी को तमिलनाडु में ह्यूमन बम के द्वारा मार दिया गया था. राहुल गांधी एक-एक करके अपने परिवार के लोगों को खो रहे थे.
इंदिरा गांधी और राजीव गांधी दोनो को देश में फैली सांप्रदायिकता ने खत्म कर दिया. यह सब देखते हुए भी राहुल गांधी राजनीति में आते है लेकिन फिर भी उन पर विदेशी होने का आरोप लगाया जाता है.
यह विदेशी होने का आरोप बहुत ही दिलचस्प है; अभी एक प्रोग्राम के दौरान बाॅलीवुड के गीतकार मनोज मुन्तजिर ने राहुल गांधी के बारे में कह दिया था कि विदेशी माता से पैदा पुत्र कभी देशभक्त नही हो सकता. इसके लिए मनोज ने चाणक्य का हवाला दिया जोकि बाद में फेक न्यूज से अधिक कुछ नही निकला. लेकिन यह समझना दिलचस्प है कि इसकी शुरुआत कहा से हुई.
स्नातक के बाद विदेश में राहुल गांधी ने प्रबंधन गुरु माइकल पोर्टर की कंपनी मॉनीटर ग्रुप के साथ 3 साल तक काम किया. इस दौरान राहुल गांधी का नाम राॅल विंसी हुआ करता था. विरोधी बताते है राहुल गांधी को भारत और भारतीय लोगों से प्यार नही है इसलिए उन्होंने अपना नाम बदल लिया जबकि कांग्रेस यह कहती है कि राहुल ने अपना नाम सुरक्षा कारणों से बदला था. सोनिया गांधी इटली की हैं राजीव गांधी भारतीय थे दोनो में प्रेम हुआ और शादी हुई तो सोनिया गांधी भारतीय नागरिक बनी. और जहाँ तक सवाल विदेशी माता का है तो ऐसे में देश के विदेश मंत्री एस जयशंकर का विवाह भी एक विदेशी महिला से हुआ है तो क्या ऐसे में जयशंकर के पुत्र देशभक्त नही हो सकते.
राहुल गांधी; पप्पू
राहुल गांधी के बारे में लंबे समय तक यह बात कही गई कि वह राजनीति में नही आना चाहते लेकिन साल 2004 के लोक सभा चुनाव में राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े और जीते. आप सबको पता है कि अमेठी राहुल गांधी की विरासत वाली सीट है जहाँ कभी उनके चाचा और दादी की सांसदी सीट हुआ करती थी. अगर राहुल कोई और सीट चुनते वहाँ मेहनत करते और जीतते तो हो सकता है कि जनता में कोई और संदेश जाता. राहुल गांधी को विरासत में सांसदी मिली कांग्रेस का अध्यक्षीय पद मिल गया. इसलिए बाराक ओबामा जैसे लोग राहुल गांधी को एक इनकैपेबल राजनेता मानते हैं. राहुल गांधी ने आज तक एक भी चुनाव में कुछ को साबित करते हुए अपने पार्टी को जीत नही दिलाई है. यह बात बहुत हद तक सच है कि राहुल गांधी ने ज़मीनी राजनीति में अभी तक खूद को साबित नही कर पाए है. और शायद इसीलिए राहुल गांधी ने अब भारत जोड़ो यात्रा शुरू की है. भारत जोड़ो से यात्रा से मुझे नही पता कि कांग्रेस कितना ऊभर पाएगी, कितनी सीट जीत पाएगी. लेकिन इतना जरूर है कि एक नेता के रूप में राहुल गांधी का कद बहुत अधिक बढ़ जाएगा.
राहुल गांधी इस यात्रा से एक बात बोल रहे है कि विपक्ष चाहे हमसे कितना ही नफरत कर ले हम सबसे प्रेम करते है. यह बात बोलकर राहुल गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी सरीखे नेताओं की श्रेणी में आ जाते है जो राजधर्म की बात किया करते थे. आप देखिए कि राहुल गांधी के खिलाफ सोशल मीडिया पर कितनी नफ़रत देखी जाती है. उन्हें पप्पू, कम्पलान बाॅय और ना जाने क्या-कुछ कहा गया. लेकिन हर एक लांक्षन को हर एक दंश को राहुल गांधी ने बड़ी ही सहजता से झेला है शायद यही राहुल गांधी को बाकि नेताओं से अगल बनाता है.