रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा ऐलान किया है . समाचार एजेंसी इंटरफैक्स के मुताबिक ,रूसी रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया है कि यूक्रेन की सीमा पर तैनात कुछ सैन्य बलों अभ्यास में हिस्सा लेने के बाद वापस आ रही है .लेकिन इसके साथ यह भी बताया गया की अभ्यास अभी भी बड़े स्तर पर जारी रहेगें |
पिछले कुछ दिनों से रूस -यूक्रेन विवाद पुरा दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है .अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश आरोप लगा रहे हैं कि रूस यूक्रेन पर हमले करने की तैयारी कर रहा है .इसके साथ साथ की देश रूस की कड़ी निंदा करते हुए प्रतिबंध के लिये चेताया भी है |
यह सैन्य अभ्यास – जिसे एलाइड रिज़ॉल्यूशन 2022 (Allied Resolve 2022) नाम दिया गया – यूक्रेन के साथ बेलारूसी सीमा के करीब आ रहा है, जो 1,000 किमी (620 मील) से थोड़ा अधिक लंबी है.इस अभ्यास ने रूसी सैनिकों को यूक्रेन की राजधानी कीव (Kyiv) के करीब रखा है, ऐसी आशंका है कि अगर रूस यूक्रेन पर
आक्रमण करने की कोशिश करता है, तो शहर पर हमला आसान हो जाएगा.बेलारूस के नेता अलेक्जेंडर लुकाशेंको (Alexander Lukashenko) रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के दृढ़ सहयोगी हैं और दोनों देशों ने एक तथाकथित “संघ राज्य” बनाया है जिसमें आर्थिक और सैन्य एकीकरण शामिल है. क्रेमलिन (Kremlin) ने 2020 में एक विवादित चुनाव के बाद लुकाशेंको का समर्थन किया, जिसके कारण बेलारूस में विरोध हुआ.अमेरिका का कहना है कि बेलारूस के साथ अभ्यास में करीब 30,000 रूसी सैनिकों के भाग लेने की उम्मीद है, हालांकि मॉस्को और मिन्स्क (Minsk) ने प्रतिभागियों की सही संख्या का खुलासा नहीं किया है |
यूक्रेन से रूस का विवाद क्या है?
यूक्रेन का पूर्वी भाग रूस के बॉर्डर से लगा हुआ है सोवियत संघ के विघटन के साथ लोग अधिकांश रूसी मूल के लोग यूक्रेन में बस गए.इस वजह से दोनों देशों के बीच आपसी तालमेल बेहतर था, लेकिन 2014 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के करीबी विक्टर यानुकोविच की सत्ता चली गई. यानुकोविच के हटने के बाद से रूस और यूक्रेन में सियासी तनाव शुरू हो गया.रूस ने इसके बाद यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप पर हमला कर कब्जा लिया। यूक्रेन को 1954 में सोवियत संघ के सर्वोच्च नेता निकिता ख्रुश्चेव ने क्रीमिया गिफ्ट में दिया था. क्रीमिया पर रूसी कब्जे के बाद यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से मित्रता बढ़ानी शुरू कर दी. ताजा विवाद यूक्रेन के नॉर्थ अटलांटिक ट्रिटी ऑर्गेनाइजेशन (NATO) में शामिल होने की खबर से शुरू हुई.यूक्रेन के NATO में शामिल होने की अटकलों से नाराज रूस ने सीमा पर लाखों सैनिकों की तैनाती किया .
रूस ने कहा अभ्यास के बाद लौट जाएंगे सैनिक
रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इसका उद्देश्य, “रक्षात्मक अभियान के साथ बाहरी आक्रमण को दूर रखने” का अभ्यास करना है. सैनिक सीमा की सुरक्षा के लिए अभ्यास भी करेंगे और हथियारों और गोला-बारूद के वितरण चैनलों को ब्लॉक करेंगे.रूस इस बात पर जोर दे रहा है कि उसे समझौते के मुताबिक अपने सैनिकों को अपने और सहयोगियों के क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से स्थानांतरित करने का अधिकार है. रूस ने कहा गया है कि अभ्यास के बाद बेलारूस में सैनिक अपने ठिकानों पर लौट आएंगे.दूसरी तरफ यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने सैन्य अभ्यास पर चिंता व्यक्त की है. यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) ने कहा, “सीमा पर बलों का जमा होना हमारे पड़ोसियों की तरफ से मनोवैज्ञानिक दबाव है.”
विशेषज्ञों का कहना है कि रूस इस ताक में है कि अगर नाटो, अमेरिका या यूक्रेन कोई रूस विरोधी कदम उठाता है तो मॉस्को इस बहाने यूक्रेन पर हमला कर सकता है, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने मॉस्को को धमकी दी है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो क्रेमलिन पर ऐसे-ऐसे प्रतिबंध लगाए जाएंगे जो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देखे नहीं होंगे |