भले ही अभी आपको दिल्ली में सांस लेने के लिए साफ हवा नसीब बड़ी मुश्किल से हो रही हो। पर आने वाले दिनों में राजधानी दिल्ली की फिजां को बदलने वाली है इन फिजाओं में चंदन से महकाने की कोशिश की जारी है।इसके लिए दिल्ली के राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने एक पहल की है। जिसमे उन्होंने दिल्ली के उद्यान विभाग और निगम को इस मानसून में यहां के खाली पड़ी जमीनों, पार्कों व उद्यान में सफेद चंदन के पेड़ लगाने का सुझाव दिया। इन पेड़ों की संख्या अभी कुछ भी हो सकती है वैसे अभी इसका कोई सीमित निर्धारण नही हुआ है। बता दे की राज्यपाल ने इनकी संख्या दस हजार होने के लिए कहा है। यह निर्देश उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने सुंदर नर्सरी के दौरान अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली के सभी भूस्वामित्व वाले विभाग अपनी खाली पड़ी जगहों की पहचान कर वहां पर चंदन का पेड़ लगाएं। एलजी ने कहा कि चंदन के पेड़ लगाने से जहां हरियाली आएगी, वहीं विभाग अपने भूमि संसाधनों से अच्छी आमदनी भी कर सकेंगे।
इस योजना को लेकर एलजी ने सम्बन्धित विभागो को आदेश भी दिए । जिसमे एमसीडी दिल्ली पार्क्स एंड गार्डन सोसाइटी, डीडीए, दिल्ली बायोडायवर्सिटी सोसाइटी और अन्य विभाग शामिल है। एलजी ने कहा की वे इस मानसून सीजन में अपनी जमीनों पर चंदन का पेड़ लगाएं ताकि दिल्ली के पर्यावरण को तो इसे फयेदा होगा ही साथ ही दिल्ली के राजस्व में भी अच्छा खासा मुनाफा देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि सभी मिलकर इस योजना पर काम करेंगे तो जल्द ही इसका असर जमीन पर भी दिखने लगेगा। एलजी ने अपनी बात को दौहारते हुए इस सीजन में ही कम से कम 10 हजार चंदन के पेड़ दिल्ली के अंदर लगाने को कहा। इस योजना को अगले सीजन में और आगे ले जाएं। एलजी ने ना केवल दिल्ली के विभागो से चंदन के पेड़ लगाने को कहा बल्कि उन्होंने दिल्ली के आम लोगों से भी अपील की कि वे अपने यहां चार-चार चंदन के पेड़ अवश्य लगाएं। एलजी ने कहा कि जो किसान संसाधन की कमी से जूझ रहे हैं, वे चंदन के एक पेड़ से ही अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दे सकते हैं। अन्य बचे पेड़ों से वे अपना भविष्य व बुढ़ापा सवांर सकते हैं।
चंदन को लगाने से ज्यादा उसे सुरक्षित रखना है बड़ा काम।
चंदन के पेड़ की सुरक्षा को लेकर भी राज्यपाल ने मौके पर ही उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा की आज दिल्ली में एक चंदन का पौधा 10 फीट का हो गया है। जो किसी समय में राजघाट पर लगाया गया था। सुंदर नर्सरी के दौरे के दौरान उन्होंने खादी ग्रामोद्योग आयोग के अध्यक्ष के रूप में अपने पिछले कार्यकाल में नासिक, वाराणसी, गांधी नगर और दिल्ली में विभिन्न स्थानों पर सफलतापूर्वक 2000 चंदन के पेड़ लगाने के अपने अनुभव के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के राजघाट में लगाया गया पेड़ ना सिर्फ बचा है, बल्कि अब नौ से दस फीट का हो गया है।
आइए जानते है क्या है चंदन ?
ये वेबसाईट से मिली जानकारी के अनुसार चंदन एक जड़ी-बूटी है। सुगन्धित, तथा शीतल होने से यह लोगों को आनन्द प्रदान करता है, इसलिए इसे चन्दन कहते हैं। चंदन के वृक्ष हरे रंग के और 6 से 9 मीटर ऊंचे होते हैं। इसकी शाखाएं झुकी होती हैं। चंदन के पेड़ की छाल लाल, या भूरे, या फिर भूरे-काले रंग की होती है। चंदन के पत्ते अण्डाकार, मुलायम होते हैं, और पत्ते के आगे वाला भाग नुकीला होता है। चंदन के फूल भूरे-बैंगनी, या जामुनी रंग होते हैं, जो गंधहीन होते हैं। इसके फल गोलाकार, मांसल होते हैं, जो पकने पर शयामले, या बैंगनी रंग के हो जाते हैं। इसके बीज कठोर, अण्डाकार अथवा गोलाकार होते हैं।
चंदन के वृक्ष प्रायः 20 वर्ष के बाद ही बड़े होते हैं। पेड़ के भीतर का हिस्सा हल्का पीला रंग का, और सुगंधित होता है। पुराने वृक्षों की छाल दरार युक्त होती है। चंदन का वृक्ष 40-60 वर्ष की आयु के बाद उत्तम सुगन्ध वाला हो जाता है। चंदन के वृक्ष में फूल जून से सितम्बर के बीच होते हैं, और फल नवम्बर से फरवरी तक होते हैं। ऐसी अवस्था में चंदन पूरी तरह से उपयोग करने लायक हो जाता है।
चंदन के पेड़ की कुछ विशेषताएं ये हैंः-
- उड़ीसा में पैदा होने वाला चंदन सबसे उत्तम होता है।
- भारत-यूनान (यवन देश) क्षेत्र में में पैदा होने वाला चंदन गुणवत्ता में थोड़ा कम होता है।
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश आदि स्थानों में होने वाला चंदन सबसे कम गुणवत्ता वाला बताया गया है।
- गंध के हिसाब से उड़ीसा का चंदन सर्वोत्तम होता है।
आयुर्वेद के अनुसार, चंदन के पेड़ केवल एक तरह के नहीं होते। देश-विदेश में चंदन के पेड़ भिन्न-भिन्न तरह के पाये जाते हैं।