सामान्य तौर पर धीरे-धीरे लीवर में सूजन की समस्या बढ़ना हमारे जीवन के लिए हानिकारक है! सेहतमंद रहने के लिए लिवर का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। लिवर शरीर का वह महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो खून में टॉक्सिन्स को साफ करता है। भोजन पचाने में मदद करता है, जिसे पाचन तंत्र तुरुस्त रहता है और कई तरह की समस्या दूर होती हैं। लेकिन किसी कारण से अगर लिवर को नुकसान पहुंचे तो व्यक्ति को जान का जोखिम भी हो सकता है। ऐसे में जब इंफेक्शन के कारण लिवर में सूजन आ जाती है, तो इस समस्या को हेपेटाइटिस कहते हैं। हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। हेपेटाइटिस डे मनाने की वजह लोगों को लिवर के प्रति जागरूक करना और वायरल इंफेक्शन से बचाना है ताकि शरीर सुचारू रूप से कार्य कर सके। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हेपेटाइटिस की बीमारी बहुत आम है। देश में सालाना हेपेटाइटिस के करीब 10 लाख मामले सामने आते हैं। हेपेटाइटिस को लेकर बड़ी समस्या ये है कि इस रोग के शुरुआती स्तर पर तीव्र लक्षण ज्यादातर मरीजों को नजर नहीं आते, जिससे इलाज में देरी हो जाती है और बीमारी जानलेवा हो जाती है। कई तरह के हेपेटाइटिस हैं, जो अपने वायरस के आधार पर कम और अधिक घातक होते हैं।
हेपेटाइटिस के प्रकार
वायरस के आधार पर- हेपेटाइटिस लिवर की बीमारी है, जिसमें पांच तरह के वायरस होते हैं। हेपेटाइटिस के ये पांच वायरस लिवर के दुश्मन होते हैं। पांचों वायरस के आधार पर हेपेटाइटिस पांच प्रकार का होता है। इसमें हेपेटाइटिस ए, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी, हेपेटाइटिस डी, हेपेटाइटिस ई शामिल है। वैसे तो हेपेटाइटिस के सभी प्रकार नुकसानदायक हैं। लेकिन सबसे घातक हेपेटाइटिस बी और हेपेटाइटिस सी हैं, जो लिवर सिरोसिस और कैंसर को जन्म देते हैं।
गंभीरता के आधार पर- हेपेटाइटिस दो तरह के होते हैं- एक्यूट हेपेटाइटिस और क्रॉनिक हेपेटाइटिस। एक्यूट हेपेटाइटिस में अचानक लीवर में सूजन आ जाती है। इसमें रोगी में 6 महीने तक लक्षण रह सकते हैं, धीरे धीरे ठीक हो जाते हैं। क्रॉनिक हेपेटाइटिस में रोगी का इम्यून सिस्टम बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। जिसके कारण लीवर कैंसर हो सकता है और रोगी की मौत भी हो सकती है।
हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस बी वायरस से संक्रमित व्यक्ति के रक्त वीर्य या शरीर के अन्य तरल पदार्थों में संक्रमण फैल जाता है, जो लिवर में क्रॉनिक समस्याओं का कारण बनता है। हेपेटाइटिस बी संक्रमित मां से बच्चे में प्रवेश कर सकता है। यूरिन और रक्त के जरिए भी फैलता है।
हेपेटाइटिस बी के लक्षण- अगर हेपेटाइटिस बी से ग्रसित हो जाते हैं तो इसके लक्षण लगभग एक से चार महीने बाद दिखाई देते हैं। पेट में दर्द, यूरिन का रंग बदलना, बुखार, जोड़ों का दर्द, भूख न लगना, उल्टी, कमजोरी और थकान हेपेटाइटिस बी के लक्षण हैं।
हेपेटाइटिस बी से बचाव- हेपेटाइटिस बी की रोकथाम के लिए वैक्सीन हैं। साथ ही इलाज के लिए चिकित्सक एंटीवायरल दवाएं देते हैं। हेपेटाइटिस बी से संक्रमित रोगी की स्थिति गंभीर होने पर लिवर ट्रांसप्लांट भी कराया जा सकता है।
हेपेटाइटिस ए और बी की तुलना में हेपेटाइटिस सी अधिक घातक होता है। ये संक्रमित व्यक्ति के रक्त के जरिए फैलता है। हेपेटाइटिस सी भी क्राॅनिक समस्या है जो आमतौर पर कई सालों तक एक मूक संक्रमण की तरह बना रहता है। हेपेटाइटिस सी के कारण कुछ रोगियों को लिवर कैंसर तक हो सकता है। टैटू गुदवाने, दूषित रक्त, इंफेक्टेड निडिल्स के इस्तेमाल और दूसरों की शेविंग किट के उपयोग से हेपेटाइटिस सी का जोखिम बढ़ता है।
हेपेटाइटिस सी के लक्षण- हेपेटाइटिस सी को साइलेंट किलर भी कह सकते हैं। जब तक लिवर को गंभीर नुकसान नहीं पहुंचा देता, तब तक हेपेटाइटिस सी के लक्षण नजर नहीं आते। हालांकि हेपेटाइटिस सी के रोगियों को बहुत थकान आती है, भूख नहीं लगती, पीलिया की शिकायत हो सकती है, गहरे रंग की पेशाब और त्वचा में खुजली की समस्या हो सकती है।
हेपेटाइटिस सी से बचाव – भले ही हेपेटाइटिस सी के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं है लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में हुए नए शोध और प्रयोगों के कारण हेपेटाइटिस के इलाज में आशाजनक परिणाम सामने आए हैं। हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए एंटीवायरल दवाएं उपलब्ध हैं। हेपेटाइटिस सी की ऐसी कई दवाइयां हैं जो मरीज के शरीर से 90-100 फीसदी तक वायरस को दूर कर सकती है। हालांकि इसके लिए सही समय पर सही इलाज मिलना जरूरी है। हेपेटाइटिस सी की स्थिति गंभीर होने पर लिवर ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है।
हेपेटाइटिस ई के मामले अन्य हेपेटाइटिस वायरस की तुलना में कम होते हैं, लेकिन ये एचईवी भी लिवर के लिए काफी नुकसानदायक माना जाता है। संक्रमित व्यक्ति के मल से, दूषित खानपान के कारण हेपेटाइटिस ई की शिकायत हो सकती है। हेपेटाइटिस ई की स्थिति गंभीर होने पर लिवर फेलियर की समस्या हो सकती है।
हेपेटाइटिस ई के लक्षण- हेपेटाइटिस ई वायरस से संक्रमित रोगी को पीलिया, जोड़ों में दर्द, पेट में दर्द, भूख न लगना, जी मिचलाना और उल्टी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
हेपेटाइटिस ई से बचाव- रोगियों को 21 दिनों के लिए दवा का कोर्स अपनाना होता है। हेपेटाइटिस ई से बचने के लिए टीका लगवा सकते हैं। चिकित्सक हेपेटाइटिस ई से बचाव के लिए स्वच्छता का विशेष ध्यान रखने की सलाह देते हैं। बरसात में गंदे पानी के कारण हेपेटाइटिस ई का खतरा सबसे ज्यादा होता है, इसलिए स्वच्छ पानी पीने की सलाह दी जाती है।