तमिलनाडु में 12वीं कक्षा की छात्रा के मतांतरण के मुद्दे को लेकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आज सोमवार को प्रदर्शन किया। विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने परेड चौक में तमिलनाडु सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि वहां की 12वीं कक्षा की छात्रा को मतांतरण के लिए मजबूर किया गया जिस से दुखी होकर छात्रा ने आत्महत्या कर ली। कार्यकर्ताओं ने बैनर लहराते हुए घटना की कड़ी निंदा करते हुए मामले की निष्पक्ष जांच करवाए जाने की मांग की। प्रदर्शन के दौरान पुलिस द्वारा छात्रों पर लाठी चार्ज किया गया तथा राष्ट्रीय महामंत्री,प्रांत मंत्री, समेत अभाविप के अन्य कार्यकर्ताओं को जबरन गिरफ्तार भी किया गया। इस में कई कार्यकर्ताओं को चोट भी आयी। प्रदर्शन कर रहे छात्रों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर मंदिर मार्ग पुलिस थाना ले जाया गया। तमिलनाडु के तंजावुर जिले के सेक्रेड हार्ट्स हाई स्कूल की छात्रा लावण्या का स्कूल में ही कार्यरत रैक्लाइन मैरी और सगाया मैरी से मिले जबरन ईसाई धर्म में धर्म परिवर्तन के असहनीय यातना के कारण आत्महत्या का मामला सामने आया था जिसके खिलाफ अभाविप ने पूरे देश भर में जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा था एवं छात्रा के न्याय की मांग प्रदेश के राज्यपाल से की थी
विद्यार्थी परिषद का कहना है कि तमिलनाडु के तंजावुर में 17 वर्षीय छात्रा लावण्या को मिशनरी स्कूल में धर्म परिवर्तन करने के लिए बाध्य किया जाता है। छात्रा के मना करने पर स्कूल प्रशासन द्वारा उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ना दी जाती है, जिससे छात्रा ने मजबूर होकर जहर खाकर आत्महत्या कर ली। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जिला संयोजक गौरव अत्री ने कहा कि विद्यार्थी परिषद इस तरह की घटना की घोर निंदा करती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार तमिलनाडु में हुई इस घटना की जांच की मांग उठाए। विद्यार्थी परिषद की राष्ट्रीय महामंत्री निधि त्रिपाठी जी ने कहा “अभाविप धर्म के नाम पर किये जा रहे ऐसे कुकृत्यों के ख़िलाफ़ सदैव आवाज़ उठाती रहेगी। जिस प्रकार मिशनरी स्कूल द्वारा लावण्या को इतना प्रताड़ित किया गया कि वह आत्महत्या करने पर मजबूर हो गई, हमारी लड़ाई तब तक चलेगी जब तक ऐसे काम करने वाले लोगो का अस्तित्व नहीं मिट जाता। हम नमन करते हैं, लावण्या के उस जज़्बे को जिसने मृत्यु स्वीकार की परंतु अपनी सनातन संस्कृति को लज्जित नहीं होने दिया। अभाविप तब तक संघर्ष करेगी, जब तक अपने धर्म के लिए आवाज़ उठाने वाली कोई भी लावण्या, मिशनरियों के कारण असुरक्षित महसूस करती है l