Friday, September 20, 2024
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क्या बॉलीवुड था भारत-मिस्त्र की दोस्ती की वज़ह?

एक समय ऐसा था जब भारत-मिस्त्र की दोस्ती की वजह बॉलीवुड बना था! साल 2021 की बात है। अशोका विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले अश्विनी देशपांडे को किसी काम से मिस्त्र के ट्रेवल एजेंट को पैसे भेजने थे। उन्होंने ट्वीट किया कि मुझे मिस्त्र में ट्रैवल एजेंट को पैसे भेजने हैं लेकिन किसी कारण से नहीं भेज पा रहा हूं। तभी मिस्त्र से जवाब आया। उसने कहा कि आप शाहरूख खान के देश से हैं, मैं आप पर विश्वास करता हूं। मैं बुकिंग कर देता हूं, आप मुझे बाद में पैसे दे देना। उसने कहा कि अगर यह मामला कहीं और का होता तो मैं नहीं करता लेकिन शाहरुख के लिए कुछ भी। किंग खान को जब यह पता चला तो उन्होंने उस ट्रैवल एजेंट को अपनी ऑटोग्राफ की हुई तस्वीरें के साथ एक लिखा हुआ नोट भेजा। आप सोच रहे होंगे कि यह कहानी सुनाने के पीछे का मतलब तो बताओ। असल में भारत और मिस्त्र के बीच दोस्ताना रिश्ते के पीछे बॉलीवुड फिल्मों का बहुत योगदान है। ठीक वैसे ही जैसे रूस में लोग फिल्मी सितारों के पीछे पागल रहते हैं। मिस्त्र में भी लोग भारतीय फिल्मों को बड़े चाव से देखते हैं। सांस्कृतिक लिहाज से भारत और मिस्त्र के बीच के संबंध काफी गहरे हैं। मोहम्मद सालेह की इस धरती में लोगों का बॉलीवुड फिल्म से एक पर्सनल बॉन्ड जुड़ा हुआ है।

मिस्त्र के लोग तो भारतीय फिल्मों के दिवाने तो हैं ही लेकिन वहां के कई राष्ट्रपति भी हिंदी फिल्मों के दीवाने थे। आप में से शायद कम ही लोगों को मालूम होगा कि साल 1980 में उस समय मिस्त्र के राष्ट्रपति रहे गमल अब्दल नासेर ने मुंबई में आयोजित 7वें फिल्मफेयर अवार्ड में शामिल हुए थे। ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार की आन, बिग बी की मर्द फिल्म की VHP टेप खरीदने के लिए मिस्त्र के लोगों को लंबी लाइनें लगती थीं। वहीं जब शाहरुख खान की माइ नेम इज खान के लिए Ciaro में सिनेमाघरों के बाहर भी लंबी कतार लगी थी।

ये साल 1980 था। वीडियो कैसेट मार्केट में आना शुरु हुआ था। पहली बार लोगों ने अपने घर में सिनेमाई दृश्य का अनुभव किया था। पाइरेटड VHP कैसेट की बाजार में बहार थी। इसने काफी हद तक उस दौर में बॉलीवुड सितारों और फिल्मों को वैश्विक रूप से पहचान दिलाने में मदद की थी। यह वही दौर था और उसके बाद से महानायक अमिताभ बच्चन मिस्त्र में मेगास्टार बन गए थे। उनरी साल 1985 में आई गिरफ्तार और मर्द ने उन्हें पराए देश में आसमान की बुलंदियों में पहुंचा दिया था। बिग बी की फिल्मों को लोग सिनेमाघर ही नहीं बल्कि घरों में वीडियो कैसेट की मदद से खूब देखते थे। वहीं भारत में स्थिति इससे उलट थी। 1980 के अंत तक अमिताभ बच्चन की फिल्में भारतीय दर्शकों को उतना प्रभावित नहीं कर पा रही थीं जैसा पहले करती थीं जब वह अपने स्टारडाम के पीक पर थे और उन्हें एंग्री यंग मैन का तमगा दिया गया था। लेकिन मिस्त्र में बिग बी की फिल्मों को बड़े चाव से देखा जा रहा था। फिल्म जॉर्नल जंप कट में टेक्सास के रहने वाले एकेडमिक क्लैयर कूले ने लिखा था।

थोड़ा आगे चलते हैं। वह साल 1990 था। उस समय का एक किस्सा काफी मशहूर था जिसे देखकर पता चलता है कि मिस्त्र में अमिताभ बच्चन कितने मशहूर थे। एक व्यक्ति ने इस किस्से को याद करते हुए बताया कि एक शहर में रहने वाले मशहूर व्यक्ति ने यह खबर फैला दी कि बिग बी यानी अमिताभ बच्चन का विमान रिफ्यूलिंग के लिए Ciaro एयरपोर्ट पर थोड़ी देर के लिए रुका है। यह खबर आग की तरह फैल गई। देखते ही देखते हजारों की संख्या में लोग अपने इस स्टार की एक झलक पाने के लिए एयरपोर्ट पर जमा हो गए। वहीं डाउनटाउन के पास लगी मार्केट में उन दिनों अमिताभ बच्चन की प्रिंट की हुईं तस्वीरों वाली टी-शर्ट खूब बिका करती थी।

अगर आपसे कोई आकर कहे अरे तो आप तो मेगास्टार, बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की तरह दिखते हैं। आप तो फूले न समाओ, हो सकता है इस खुशी में रातभर नींद भी न आए। पूरे सोशल मीडिया पर इस बात का जिक्र करें, हो सकता है दूसरे दिन से वैसा दिखने के लिए अपने जीने-पहनने का अंदाज ही बदल दें। यह बताने के पीछे का कनेक्शन भा मिस्त्र है। मिस्त्र की अल-अजहर विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग के प्रोफेसर मोहम्मद अहमद अब्दल रहमान ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में एक मजेदार किस्सा सुनाया। उन्होंने बताया कि अगर कोई भी भारतीय मिस्त्र की गलियों में दिखता है तो वहां के लोग उसका स्वागत ‘हेलो अमिताभ बच्चन’ संबोधित करते हुए करते हैं। इससे पता चलता है कि कोई ऐसा व्यक्ति कैसे किसी देश का पर्यायवाची हो सकता है।

भारत में महात्मा और राष्ट्रपति की उपाधि पाने वाले महात्मा गांधी को आज भी दुनिया पूजती है। देश की आजादी में उनका विशेष योगदान था। लेकिन क्या आपको पता है सात समुंदर पार मिस्त्र देश में भी एक ऐसा राजनेता था जो अपने देश की आजादी को लेकर गांधी जेसा समान विचार रखता था। वह थे Saad Zaghloul। इसका जिक्र भारत के विदेश मंत्रालय ने साल 2014 में किया। इसके बाद राष्ट्रपति नासेर और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के बीच भी रिश्ते मधुर थे। दोनों के बीच यह रिश्ता 1955 के मैत्री संधि के रूप में सामने आया। आपको जानकर खुशी होगी कि एक समय प्रधानमंत्री नेहरू, योगोसालाविया के जोसेफ ब्रूज और मिस्त्र के राष्ट्रपति नासेर को वैश्विक असहयोग आंदोलन के तीन स्तंभ कहा जाता था।

समय जरूर बीता है लेकिन मिस्त्र के लोगों के बीच बॉलीवुड फिल्मों का क्रेज अब भी बरकरार है। पेशे से पत्रकार अति मेतवाली ने 2015 की एक कहानी सुनाई। उन्होंने बताया कि उस साल नाइल फेस्टिवल का आयोजन हो रहा था। बॉलीवुड डांस वर्कशॉप में मिस्त्र के लोग भी आए थे। पत्रकार ने लिखा कि वहां के लोगों को बॉलीवुड फिल्मों के गानों को गुनगुनाते हुए दिख रहे थे क्योंकि उन्हें उसके शब्द नहीं समझ आ रहे थे।

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