इस साल का बजट पी चिदंबरम का सपना था! जेंडर बजटिंग पर फोकस है या लोकसभा चुनाव 2024 से पहले लोकलुभावन बजट है। निर्मला सीतारमण के बजट 2023 को किन मानकों पर कसा जाए। अगर गौर से देखें तो ये नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के लिए 2024 की पिच तैयार करने वाला बजट है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नरेंद्र मोदी 2.0 के आखिरी पूर्ण बजट को राजनीति की पिच पर तैयार किया है। लेकिन बेहद चालाकी से। पेंडुलम किसी तरफ इतना नहीं झुका कि कोई उंगली उठा दे। हां, कर्नाटक में सिंचाई परियोजना के लिए छह हजार करोड़ रुपए देने का ऐलान जब वो कर रही थीं तब जरूर विपक्ष ने हंगामा किया। वो इसलिए कि इसी साल कर्नाटक में चुनाव है। येदियुरप्पा संन्यास ले चुके हैं। और भाजपा दोबारा सत्ता में आने के लिए छटपटा रही है। लिहाजा छह हजार करोड़ के प्रस्ताव से कुछ राजनीतिक मदद मिल सकती है। इसके अलावा निर्मला के हर ऐलान का मेज ठोक कर इस्तकबाल किया गया। लेकिन सबसे ज्यादा देर तक मोदी-मोदी गूंजा जब इनकम टैक्स की बारी आई और नौ साल से टकटकी लगाए बैठा सैलरी वाला तेज धड़कनों के साथ इंतजार करने लगा। निर्मला भी इस नाजुक वक्त का मूल्य जानती थीं। इसलिए उन्होंने पहले कहा.. अब मैं उस तरफ आती हूं जिसका आप सब इंतजार कर रहे हैं। इतना कहकर वो पानी का ग्लास उठाती हैं। थोड़ी देर का पॉज बनता है। कैमरा राजनाथ सिंह की तरफ जाता है। वो मुस्कुरा रहे होते हैं। हम जैसे सैलरी वालों की धड़कन और बढ़ जाती है। लेकिन अंत अंत तक निर्मला सबको साधने में सफल हो जाती है। राजनाथ सिंह के मंत्रालय यानी डिफेंस बजट में भी जबर्दस्त इजाफा होता है तो सैलरी वालों की सालों से अटकी आस पूरी होती है। लेकिन एक कसक रह गई।
लगभग सात करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों में में 60 परसेंट से ज्यादा सात-आठ लाख रुपए सालाना कमाने वाले होंगे। इसके लिए हम वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के संसद में दिए डेटा का हवाला ले सकते हैं। उन्होंने बताया था कि 2021-22 में 77 लाख लोगों ने अपनी कमाई 10 लाख से एक करोड़ रुपए के बीच बताई थी। दूसरी ओर लगभग 5 करोड़ 83 लाख लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया। एक और आंकड़ा है। 5.8 करोड़ में से एक करोड़ लोगों की इनकम 2.5 लाख रुपए से कम है। यानी टैक्स देने की जरूरत ही नहीं। इस लिहाज से देखें तो निर्मला सीतारमण ने एक बड़े तबके के लिए पिटारा खोल दिया। पहले पांच लाख रुपए तक की कमाई टैक्स के रायते से दूर थी। अब इसे बढ़ाकर सात लाख रुपए कर दिया गया है। बस एक शर्त है। आपको नया टैक्स रीजीम चुनना होगा। मतलब 7 लाख से लेकर 15 लाख तक की आय वालों को नए टैक्स सिस्टम से बल्ले-बल्ले है। हालांकि 15 लाख से 2 करोड़ तक की आय वालों को बहुत ज्यादा फायदा नहीं है। पर, हाई इनकम वालों को राहत है। जो पांच करोड़ रुपए से ज्यादा कमाते हैं। उनको लगभग 42 परसेंट टैक्स देना होता था। सारे सरचार्ज लगाकर। पहले सरचार्ज 37 परसेंट था जिसे घटाकर अब 25 परसेंट कर दिया गया है। यानी हर एक करोड़ रुपए की कमाई पर तीन लाख का फायदा है। इससे टैक्स चोरी घटेगी। पहले ये अपनी कमाई को कॉरपोरेट इनकम में डाल देते थे जहां उन्हें अधिकतम 25 परसेंट टैक्स देना पड़ता था। निर्मला का बजट टैक्स चोरी घटाएगा और इनकम टैक्स फाइलर्स की संख्या बढ़ाएगा। तभी पंकज चौधरी का डेटा सही हो पाएगा।
ये बात साफ है कि बजट में इनकम टैक्स के पुराने रीजीम को हटाकर नए टैक्स रीजीम को तरजीह दी गई है। इससे होने वाले टैक्स फायदे भी सामने हैं। लेकिन एक बड़ी चूक बजट में हुई है। मोदी सरकार ने लगातार घट रही सेविंग्स यानी बचत को बढ़ाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। सरकार का टारगेट लोगों की जेब ढीली करने पर है। हां, ये सही है कि खर्च करने से इकॉनमी में मोबिलिटी आएगी। लेकिन रिस्क असेसमेंट भी तो करना चाहिए। इस लिहाज से ओल्ड टैक्स रीजीम से मदद मिल सकती थी। अगर हमारे आपके जैसे मिडल क्लास वाले 80-सी, 80-डी के तहत निवेश की सीमा बढ़ाकर उसे टैक्स से छूट देने की उम्मीद कर रहे थे तो उसके पीछे छिपा फायदा भी देखना चाहिए। चाहे जीवन बीमा हो या मेडिकल बीमा या सुकन्या समृद्धि योजना या किसान विकास पत्र। ये सब ऐसे इंस्ट्रूमेंट हैं जहां हमारा परिवार पैसा डालकर सुकनू महसूस करता है। हम अपने लिए, अपने बच्चों के लिए बचत करने वाले लोगों में से हैं। हो सकता है ये सभी लोगों पर लागू न हो। लेकिन बचत हमें किसी भी लेहमन ब्रदर्स के दिवालिएपन से उपजी इकॉनमिक सुनामी से बचाता रहा है। इसलिए हमारे घर का गुल्लक भरा रहे तो ये देश के लिए भी अच्छा है। पर निर्मला सीतारमण के पिटारे या नोटबुक में टैक्स छूट देकर बचत बढ़ाने वाली स्कीम नहीं थी। हां, महिला सम्मान बचत पत्र पर 7.5 परसेंट का ब्याज दर काफी आकर्षक है। अगर इसे टैक्स छूट के दायरे में भी रख दिया जाता तो बेहतर होता।
हमारी पारिवारिक बचत लगातार घट रही है। 2012 में पारिवारिक बचत जीडीपी का 23 प्रतिशत थी जो 2019 में 18 प्रतिशत और 2022 में लगभग 11 परसेंट रह गई है। ये चिंता की बात है। नया टैक्स रीजीम उन बैचलर्स के लिए पहले से हिट है जिनकी लायबिलिटी नहीं है। जो कमाने और खाने में भरोसा रखते हैं। लेकिन बच्चों की फीस और हाउसिंग लोन की ईएमआई देने वाला पिसा तो रहता है पर इसी से खुश हो लेता है कि फीस की पर्ची और लोन ब्याज के स्टेटमेंट दे देने से उसे टैक्स में छूट मिल जाएगी। मेरा फोकस बचत पर है। ये दलील हो सकती है कि बिना फीस की रसीद मांगे ही हम इनकम टैक्स घटा देते हैं। लेकिन इससे बचत की वो परंपरा खत्म हो जाएगी।