रूस और भारत की मित्रता पर क्या बोला अमेरिका?

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हाल ही में अमेरिका ने रूस और भारत की मित्रता पर एक बयान दिया है! रूस के साथ भारत के संबंधों को लेकर चिंताओं के बीच, अमेरिका के एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को नई दिल्ली को आगाह किया कि एक दीर्घकालिक, भरोसेमंद साझेदार के रूप में रूस पर दांव लगाना ठीक नहीं है। उन्होंने दावा किया कि भारत और चीन के बीच संघर्ष की स्थिति में रूस, नयी दिल्ली के बजाय बीजिंग का पक्ष लेगा। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की मास्को यात्रा के बारे में टीवी चैनल ‘एमएसएनबीसी’ पर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए यह टिप्पणी की। मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ व्यापक वार्ता की थी।सुलिवन ने कहा, ”हमने भारत समेत दुनिया के हर देश को यह स्पष्ट कर दिया है कि दीर्घकालिक, भरोसेमंद साझेदार के रूप में रूस पर भरोसा करना अच्छा दांव नहीं है।” सुलिवन पिछले महीने भारत के अपने समकक्ष अजीत डोभाल के साथ बैठक के लिए भारत आए थे। शीर्ष अमेरिकी अधिकारी ने अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात की थी। सुलिवन ने कहा, ”रूस चीन के करीब होता जा रहा है। वास्तव में, यह चीन का साझेदार बनता जा रहा है। इस तरह, वे हमेशा भारत के बजाय चीन का पक्ष लेंगे।’’

उन्होंने हालांकि माना कि भारत जैसे देशों के रूस के साथ ऐतिहासिक संबंध हैं और यह स्थिति नाटकीय रूप से रातों-रात बदलने वाली नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए दो दिन के लिए रूस में थे और यूक्रेन में जारी संघर्ष के बीच उनकी इस यात्रा पर पश्चिमी देशों की भी करीबी नजर रही है। इस समय राष्ट्रपति बाइडन बहुत कमजोर दिख रहे हैं। राष्ट्रपति बदलने के लिए उठाए जा रहे कदम के बीच अमेरिकी बहुत चिंतित हैं।’पुतिन के साथ मंगलवार को वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और शांति प्रयास बम तथा गोलियों के बीच सफल नहीं होते।

बता दे कि अमेरिका में एक पाकिस्तानी -अमेरिकी व्यवसायी ने बुधवार को कहा कि देश कठिन समय से गुजर रहा है और दुनिया अमेरिकी लोकतंत्र पर करीब से नजर रख रही है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका में पांच नवंबर को होने वाले चुनाव में मात्र चार माह से भी कम समय बचा है और सत्ताधारी डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर वर्तमान राष्ट्रपति जो बाइडन को हटाने का आह्वान किया गया है। प्रमुख पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यवसायी साजिद तरार ने पीटीआई भाषा को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘मेरे विचार से इस समय पूरी दुनिया अमेरिका की लोकतांत्रिक प्रणाली पर नजर रख रही है। अमेरिका विशेषकर लोकतंत्र के नजरिए से कठिन दौर से गुजर रहा है।’

मैरीलैंड के ‘मुस्लिम अमेरिकन्स फॉर ट्रम्प’ संगठन के संस्थापक और प्रमुख तरार अगले सप्ताह रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन (आरएनसी) के लिए विस्कॉन्सिन के मिल्वौकी जा रहे हैं, जहां ट्रम्प को पांच नवंबर के आम चुनाव के लिए औपचारिक रूप से पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित किया जाएगा। बाइडन डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार हैं। 2016 में ट्रंप के पहली बार राष्ट्रपति चुने जाने से लगातार उनका समर्थन कर रहे कुछ मुस्लिम अमेरिकियों में से एक तरार ने कहा, ‘इस समय राष्ट्रपति बाइडन बहुत कमजोर दिख रहे हैं। राष्ट्रपति बदलने के लिए उठाए जा रहे कदम के बीच अमेरिकी बहुत चिंतित हैं।’

उन्होंने कहा कि अमेरिकियों को बाइडेन और ट्रंप प्रशासन के चार सालों की समीक्षा करने का मौका मिलेगा। उन्होंने दावा किया कि मौजूदा प्रशासन की कमजोर विदेश नीति की वजह से दुनिया तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर है। इससे पहले उन्होंने पाकिस्तानी पत्रकार कमर चीमा से बातचीत में कहा था कि अमेरिका बीमार है। बता दें कि जारी संघर्ष के बीच उनकी इस यात्रा पर पश्चिमी देशों की भी करीबी नजर रही है। पुतिन के साथ मंगलवार को वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति से कहा कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और शांति प्रयास बम तथा गोलियों के बीच सफल नहीं होते। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका में भ्रष्टाचार फैला हुआ है। जो पैसा यूक्रेन जा रहा है, उसका 70 फीसदी यूएई की प्रॉपर्टी में लग जाता है। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि नाटो समिट से रूस नहीं डरता। जिस दिन समिट शुरू हुई उसी दिन उसने यूक्रेन पर हमला किया।