हिंदू वाले विवाद पर राहुल गांधी से क्या बोले चिराग पासवान?

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हाल ही में चिराग पासवान ने हिंदू वाले मुद्दे पर राहुल गांधी को खरी खोटी सुना दी है! केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास ) प्रमुख चिराग पासवान ने लोकसभा में राहुल गांधी के भाषण पर सवाल उठाए है। सोमवार को राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। चिराग पासवान ने कहा कि राहुल गांधी के कुछ बातें तथ्य पर आधारित नहीं थे। चिराग पासवान ने कहा कि राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के लिए गलत भाषा का इस्तेमाल किया। उन्होंने लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया। राहुल गांधी ने भगवान महादेव की तस्वीर को कागजों के नीचे रख दिया। यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। चिराग पासवान ने कहा कि कांग्रेस की यही सोच है। डीएमके ‘सनातन’ को बीमारी मानती है। कांग्रेस भी इसी सोच से प्रभावित है।दरअसल, राहुल गांधी के लोकसभा में दिए गए भाषण के बाद सियासी हंगामा मच गया था। उनके भाषण के कुछ हिस्सों को संसद के रिकॉर्ड से हटा दिया गया। इन हिस्सों में हिंदुओं और पीएम नरेंद्र मोदी-बीजेपी-आरएसएस पर की गई टिप्पणी शामिल है। चिराग पासवान ने कहा कि जिस तरह से राहुल गांधी ने भगवान शिव की तस्वीर लहराई और उसे कागजों के नीचे मेज पर रखा, वह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जिस गठबंधन का वे नेतृत्व कर रहे हैं, उसमें ऐसी सोच है। डीएमके ‘सनातन’ को बीमारी कहती है और कांग्रेस उसी सोच से प्रभावित है। चिराग के इस बयान के बीच उनके पिता राम विलास पासवान का 25 साल पुराना भाषण सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा है।

चिराग पासवान के दिवंगत पिता और रामविलास पासवान ने 10 दिसंबर 1998 को लोकसभा में एक बयान दिया था। अल्पसंख्यकों पर अत्याचार पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा था कि किसी भी धर्म को विवाद में नहीं घसीटना चाहिए। उन्होंने हिंदू धर्म को लेकर यह भी कहा था कि वेदों में कहीं भी ‘हिंदू’ शब्द का उल्लेख नहीं मिलता। संसद में राम विलास पासवान ने कहा था कि वे लगातार ‘हिंदू धर्म-हिंदू धर्म’ सुन रहे हैं, लेकिन वे इस बहस में नहीं पड़ना चाहते। उन्होंने कहा कि सदन में बहुत से पढ़े-लिखे लोग हैं, खासकर संस्कृत और वेदों के जानकार। बता दें कि हिंदुत्व सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक विश्वास और नजरिये का जटिल मेल है। यह भारतीय उप महाद्वीप में विकसित हुआ। मानवता पर विश्वास करता है। यह एक विचार है जो हर प्रकार के विश्वासों पर विश्वास करता है और धर्म, कर्म, अहिंसा, संस्कार व मोक्ष को मानता है और उनका पालन करता है । यह ज्ञान का रास्ता है, प्रेम का रास्ता है, जो पुनर्जन्म पर विश्वास करता है। यह एक जीवन पद्धति है। अंग्रेजी लेखिका केरीब्राउन ने अपनी चर्चित किताब ‘द इसेन्शियल टीचिंग्स ऑफ हिंदुइज्म’ में कहा है कि आज हम जिस संस्कृति को हिंदू संस्कृति के रूप में जानते हैं और जिसे भारतीय सनातन धर्म या शाश्वत नियम कहते हैं वह उस मजहब से बड़ा सिद्धान्त है जिस मजहब को पश्चिम के लोग समझते हैं।  उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि अगर कोई वेदों, गीता या महाभारत में ‘हिंदू’ शब्द दिखा दे तो वे सजा भुगतने को तैयार हैं।

अपने भाषण के दौरान उन्होंने वाल्मीकि और तुलसीदास द्वारा रचित रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि इन दोनों ही ग्रंथों में ‘हिंदू’ शब्द का उल्लेख नहीं है। उनका कहना था कि यह तो जीने का एक तरीका है, एक दूसरे के साथ कैसे रहना है। सहनशीलता की बात करते हुए उन्होंने कहा कि हर चीज में हिंदू, हिंदुत्व जोड़ा जा रहा है, जबकि हिंदू है ही नहीं तो हिंदुत्व कहां से आया? उन्होंने कहा कि यह सबको पता है कि ‘हिंदू’ शब्द विदेशियों द्वारा दिया गया नाम है, जो सिंधु को हिंदू बोलते थे। यही नहीं धार्मिक दिखावे पर कई लोगों के साथ उनके संघर्ष से पता चलता है कि वे किसी भी तरह के कर्मकांड, धार्मिक अंधविश्वास और जीवन के प्रति अवैज्ञानिक आध्यात्मिक दृष्टिकोण के बिल्कुल खिलाफ थे। उनकी धर्मनिरपेक्ष साख जीवन के प्रति उनके तर्कसंगत मानवतावादी दृष्टिकोण पर आधारित थी और यह जीवन मृत्यु के बाद के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण था। उन्होंने सवाल किया कि आखिर ये झगड़ा किसके लिए हो रहा है? डीएमके ‘सनातन’ को बीमारी कहती है और कांग्रेस उसी सोच से प्रभावित है। चिराग के इस बयान के बीच उनके पिता राम विलास पासवान का 25 साल पुराना भाषण सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा है।मान लीजिए आज हिन्दू राष्ट्र की घोषणा हो जाए, उसके लिए क्या पद रहेगा?