हाल ही में विपक्ष के अखिलेश यादव ने अग्नि वीर के मुद्दे पर एक बयान दे दिया है! अग्निवीर योजना का मुद्दा एक बार फिर संसद में उठा। समाजवादी पार्टी के मुखिया और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि अग्निवीर वाली जो नौकरी है, कोई भी नौजवान जो फौज के लिए तैयारी करता है वो कभी स्वीकार नहीं कर सकता। जब पहली बार ये स्कीम आई थी उस समय बड़े बड़े उद्योगपतियों से ट्वीट कराया गया था कि इस योजना से अच्छी स्कीम नहीं है। अग्निवीरों को हम अपने यहां नौकरी दे देंगे। सरकार में बैठे लोगों को ये बात याद होगी क्योंकि सरकार खुद स्वीकार करती है कि ये स्कीम ठीक नहीं है। इसीलिए वो अपनी-अपनी सरकारों से कहते हैं कि अग्निवीर वाले जो लौटकर आएंगे उन्हें कोटा दीजिए, आप नौकरी दीजिए। अखिलेश यादव ने जैसे ही अग्निवीर योजना पर सवाल उठाए तो बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर ने रिएक्ट किया। सपा मुखिया ने कहा कि अगर आप ये सब कह रहे तो आप खड़े होकर कह दीजिए कि अग्निवीर अच्छी योजना है। इस पर अनुराग ठाकुर खड़े हो गए और अपनी बात रखी। हमीरपुर सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि मैं इस सभा में खड़े होकर कहता हूं मैं उस राज्य हिमाचल प्रदेश से हूं जिसने पहला परमवीर मेजर सोमनाथ शर्मा दिए। कारगिल के युद्ध में सबसे ज्यादा शहीद होने वाले हिमाचल प्रदेश के वीर नौजवान थे।
अनुराग ठाकुर ने आगे कहा कि चार परमवीर विजेता हुए जिसमें दो कैप्टन विक्रम बत्रा, सूबेदार संजय कुमार हिमाचल प्रदेश से हुए। मैं कहता हूं कि जी हां, जो लंबे समय से मांग थी वन रैंक वन पेंशन, किसी सरकार ने पूरी नहीं की वो मोदी सरकार ने किया। मैं एक बात और कहता हूं अग्निवीर में 100 फीसदी रोजगार की गारंटी है और रहेगी। इस पर अखिलेश यादव ने फिर कहा कि अनुराग ठाकुर बस सदन में इतना कह दें कि अग्निवीर अच्छी योजना है। इस पर फिर अनुराग ठाकुर खड़े हुए। इस तरह दोनों ही नेताओं में जमकर घमासान देखने को मिला।
अखिलेश यादव ने इससे पहले चीन-लद्दाख मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने कहा कि जिस समय लद्दाख और चीन को लेकर सवाल उठा था, उस समय राजनीतिक दलों से सुझाव मांगे गए थे। उस समय सुझाव था कि लिपुलेख से लेकर ग्वालियर तक 6 लेन का हाइवे बनना चाहिए। जब जरूरी होगा तब सेना जल्दी से मूव कर सकती है। जो सरकार मंचों से ये कहती थी हम किसानों की आय दोगुनी कर देंगे। आज तो 11 साल हो गए सरकार को क्या किसान की आय दोगुनी हो गई क्या। आप कहते हैं कि आप एमएसपी दे रहे हैं तो आप कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे रहे हैं। बता दें कि तीनों सेनाओं में अग्निवीरों की भर्ती से जुड़ी अग्निपथ स्कीम को लेकर मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी को झटके के बाद जेडीयू और एलजेपी जैसे उसके सहयोगी भी अग्निपथ स्कीम की समीक्षा की मांग कर रहे हैं। विपक्ष के हमलों और सहयोगी दलों के दबाव से बैकफुट पर आई मोदी सरकार अब इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से काउंटर करने की तैयारी कर चुकी है। यही वजह है कि अब मोदी सरकार सेंट्रल आर्म्ड फोर्सेज की भर्ती में पूर्व अग्निवीरों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण का जोर-शोर से प्रचार कर रही है। पूर्व अग्निवीरों को शारीरिक दक्षता परीक्षा भी नहीं देनी होगी और उन्हें उम्र में भी छूट मिलेगी। वैसे तो सीएपीएफ भर्तियों में अग्निवीरों को तरजीह दिए जाने का ऐलान तो पिछले साल ही हो चुका था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तब ऐलान किया था कि सेंट्रल सिक्यॉरिटी फोर्सेज में पूर्व अग्निवीरों को आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन अब बीएसएफ, सीआईएसएफ के चीफ आगे बढ़कर इसका ऐलान कर रहे हैं। दरअसल, मोदी सरकार अग्निपथ के मुद्दे पर अब और जोखिम नहीं ले सकती। अगले 2-3 महीनों में महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड के विधानसभा चुनाव जो होने हैं।
लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्ष खासकर कांग्रेस ने मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और वादा किया कि सत्ता में आए तो इस स्कीम को खत्म कर देंगे। कांग्रेस सत्ता में तो नहीं आई जो वादे के तहत अग्निपथ स्कीम को खत्म कर सके, लेकिन चुनाव बाद भी वह इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ आक्रामक है। राहुल गांधी ने अभी ड्यूटी के दौरान अग्निवीरों की मौत के बाद मिलने वाले मुआवजे का मुद्दा उठाया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि ड्यूटी के दौरान देश की रक्षा करते हुए जो अग्निवीर अपनी जान न्यौछावर करते हैं, उन्हें सरकार की तरफ से मुआवजा नहीं दिया जा रहा। हालांकि, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और यहां तक कि सेना ने भी राहुल गांधी के आरोपों को पुरजोर तरीके से खारिज किया। बीजेपी ने राहुल गांधी पर अग्निवीर के मुद्दे पर झूठ बोलने और देश को गुमराह करने का भी आरोप लगाया। इसके बाद भी राहुल गांधी और कांग्रेस के तेवरों में नरमी नहीं आई। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद विपक्ष उत्साहित है और बीजेपी सतर्क। लोकसभा चुनाव में पिछली बार के मुकाबले बीजेपी की सीटें घटने के पीछे एक बड़ी वजह अग्निवीर के मुद्दे को भी माना गया। चुनावी झटके के बाद माना जा रहा था कि मोदी सरकार अग्निपथ स्कीम में बदलाव करेगी लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं दिख रहा।