हाल ही में पीएम मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में रूस यूक्रेन युद्ध के बारे में एक बयान दे दिया है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 16वें BRICS समिट में हिस्सा लेने के लिए रूस के कजान शहर पहुंचे हैं। इस दौरान उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की और उनके साथ द्विपक्षीय वार्ता की। प्रधानमंत्री मोदी ने समिट में भारत और रूस के बीच गहरी दोस्ती का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन महीनों में रूस की ये उनकी दूसरी यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी ने BRICS के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारत इसे बहुत महत्व देता है। वैश्विक विकास के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। उन्होंने आगे कहा कि रूस-यूक्रेन में जारी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान को लेकर भारत हरसंभव मदद करने को तैयार है। वहीं, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि भारत और रूस के बीच सहयोग लगातार बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता में कई मुद्दों पर चर्चा हुई। इनमें द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करना, व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना, रक्षा और सुरक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘पिछले तीन महीनों में रूस की मेरी दो यात्राएं हमारे घनिष्ठ समन्वय और गहरी दोस्ती को दर्शाती हैं। 15 वर्षों में, BRICS ने अपनी विशेष पहचान बनाई है और अब दुनिया के कई देश इसमें शामिल होना चाहते हैं।
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘मैं आपकी दोस्ती, गर्मजोशी से स्वागत और आतिथ्य के लिए तहे दिल से आभार व्यक्त करता हूं। BRICS शिखर सम्मेलन के लिए कजान जैसे खूबसूरत शहर की यात्रा करने का अवसर मिलना मेरे लिए बहुत खुशी की बात है। भारत के इस शहर के साथ गहरे और ऐतिहासिक संबंध हैं। कजान में भारत के नए वाणिज्य दूतावास के खुलने से ये संबंध और मजबूत होंगे।’ रूस-यूक्रेन संघर्ष पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘मैं रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्ष के विषय पर आपके साथ लगातार संपर्क में हूं। जैसा कि मैंने पहले कहा है, हमारा मानना है कि समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिए। हम शांति और स्थिरता की जल्द बहाली का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। हमारे सभी प्रयास मानवता को प्राथमिकता देते हैं। आने वाले समय में भारत हर संभव सहयोग देने को तैयार है।’
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कजान में भारतीय समुदाय के लोगों से भी मुलाकात की और उनका अभिवादन स्वीकार किया। इस दौरान भारतीय मूल के छात्रों ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में गीत प्रस्तुत किए। प्रधानमंत्री मोदी ने कजान में भारत के नए वाणिज्य दूतावास का भी उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे। BRICS सम्मेलन इस बार कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह समूह के विस्तार के बाद पहला शिखर सम्मेलन है। इस साल की शुरुआत में BRICS ने मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात को अपने नए सदस्य के रूप में शामिल किया था। सम्मेलन में वैश्विक नेतृत्व, अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और BRICS देशों के बीच सहयोग पर चर्चा होगी।
बता दे कि ब्रिक्स समूह के देशों की वैश्विक अर्थव्यवस्था में 35% और आबादी में 45% हिस्सेदारी है। अनुमान है कि इस दशक के अंत तक ब्रिक्स की इकॉनमी बढ़कर 37% हो जाएगी जबकि पश्चिमी देशों के समूह जी-7 की इकॉनमी इस दौरान 30% से घटकर 28% रह जाएगी। ब्रिक्स के संस्थापक सदस्यों में भारत और चीन की ताकत से दुनिया अच्छी तरह वाकिफ है और पश्चिम इसका निहितार्थ बहुत अच्छे से समझता है। चीन कई क्षेत्रों में अमेरिका को पीछे छोड़ चुका है तो भारत तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। पिछले 10 वर्षों में भारत ने 11वीं से 5वीं अर्थव्यवस्था बनने का कीर्तिमान बनाया है और साल-दो साल में ही दो पायदान की छलांग लगाकर तीसरी अर्थव्यस्था होने का गौरव भी हासिल करेंगे। दूसरे पायदान पर चीन है। दूसरी और तीसरी अर्थव्यस्थाएं अगर संघर्ष का रास्ता छोड़कर सहयोग की नीति अपना लें तो पहले पायदान पर बैठे अमेरिका का सिंहासन जरूर डोलने लगेगा।
अमेरिका वर्ल्ड लीडर के अपने ताज को बचाने के लिए ही साम दाम दंड भेद, हर नीति का धड़ल्ले से इस्तेमाल करता है। वह भारत के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ता है तो पीछे से वार भी कर देता है। अमेरिका की भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी है, फिर भी वह कभी मानवाधिकार तो कभी प्रेस की स्वतंत्रता तो कभी अल्पसंख्यकों के अधिकार, किसी ना किसी बहाने से भारत को बुली करने से बाज नहीं आता है। अभी खालिस्तानी आतंकवदी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साजिश के मामले में भारत को असहज करने की कोशिशें करता दिखा है। उसने कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भी भारत पर दबाव बनाना चाहता है।