संविधान की सुरक्षा और न्यायपालिका के लिए क्या बोले पीएम मोदी?

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हाल ही में पीएम मोदी ने न्यायपालिका और संविधान की सुरक्षा के लिए एक बयान दे दिया है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय को संविधान का संरक्षक माना जाता है और आपातकाल से लेकर अन्य मौकों पर न्यायपालिका ने इस जिम्मेदारी को बेहतरीन तरीके से निभाया है। महिलाओं की सुरक्षा के मामले को उठाते हुए पीएम ने कहा है कि महिलाओं के प्रति अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में जल्द न्याय मिलेगा तो इससे महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर भरोसा बढ़ेगा। पीएम मोदी ने दो दिनों तक चलने वाले जिला न्यायपालिका के राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए ये बातें कही। इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जस्टिस और जिला अदालतों के जज आदि मौजूद थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को संविधान का संरक्षक माना जाता है। वह इसका दायित्व बाखूबी निभाता रहा है और लोगों ने भी न्यायपालिका के प्रति विश्वास दिखाया है। आजादी के बाद न्यायपालिका ने न्याय की भावनाओं की रक्षा की है। आजादी के बाद आपातकाल का काला दौर भी आया और तब न्यायपालिका ने संविधान की रक्षा का काम किया था। जब भी मौलिक अधिकारों पर प्रहार हुआ तब न्यायपालिका ने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए अहम भूमिका निभाई। जब भी देश की सुरक्षा का सवाल खड़ा हुआ तब कोर्ट ने राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखकर राष्ट्र की एकता की रक्षा की है।

प्रधानमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचार और बच्चों की सुरक्षा का मामला उठाया और कहा कि समाज के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार के मामले में जितनी जल्दी उन्हें न्याय मिलेगा महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर उतना ही ज्यादा भरोसा पैदा होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों से निपटने के लिए कई कड़े कानून हैं और त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए आपराधिक न्याय प्रणाली में बेहतर समन्वय सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर इसके यादगार सफर के लिए उन्होंने बधाई दी और कहा कि पिछले 10 साल में न्यायपालिका के इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने के प्रयास किए गए हैं। कोर्ट को आधुनिक बनाने के लिए प्रयास किए गए हैं। न्याय आसानी से मिले, इसके लिए लगातार काम हो रहा है। 140 करोड़ देशवासियों का सपना है कि भारत आधुनिक बने और नया भारत बने और देश की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए यहां जो विमर्श हो रहा है वह काम करेगा। देश के विकास का सार्थक पैरामीटर यह होता है कि सामान्य लोगों का जीवन स्तर बेहतर हो और यही देखना होता है। इसके लिए सरल और सुगम न्याय मुख्य अवयव हैं। यह तभी संभव होगा जब जिला अदालत तकनीक से लैस होगा। अभी देश की जिला अदालतों में साढ़े चार करोड़ केस पेंडिंग है। एक दशक में न्यायालय के इन्फ्रास्ट्रक्चर को ठीक करने के लिए काफी काम हुआ है और आठ हजार करोड़ उस पर खर्च किए गए हैं। इस दौरान साढ़े आठ हजार कोर्ट रूम और 11 हजार रेजिडेंशियल होम बने हैं। तकनीक से काम लिया जा रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मदद करेगी। न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आई है और देश में अदालतें डिजिटल हो रही है। सुप्रीम कोर्ट की ई-कमिटी की इसमें अहम भूमिका है। इससे पेंडिंग केसों का आंकलन हो सकेगा।

पीएम ने कहा कि पहली बार देश में कानूनी ढांचे में बदलाव किया गया। क्रिमिनल लॉ नया बनाया गया है। नए क्रिमिनल लॉ ने शासक और गुलाम जैसे सोच से आजादी दिलाई है। नए कानून में राजद्रोह जैसे अपराध से संबंधित कानून खत्म कर दिए गए हैं। कानून में सिर्फ सजा का प्रावधान नहीं है बल्कि सुरक्षा देना भी अहम है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को रोकने के लिए सख्त कानून बने हैं। पहली बार मामूली अपराध के मामले में कम्युनिटी सर्विस को जोड़ा गया है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम के तहत इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और डिजिटल साक्ष्य को सबूत के तौर पर मान्यता मिली है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में इलेक्ट्रॉनिक मोड से समन भेजने की व्यवस्था की गई है। इन प्रयासों से पेंडेंसी पर काबू पाया जा सकेगा। पीएम ने कहा कि जो विमर्श हो रहा है इससे जस्टिस टू ऑल का रास्ता मजबूत हो सकेगा। इस दौरान पीएम मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75 साल पूरे होने के मौके पर डाक टिकट भी जारी किया। साथ ही इस पर सिक्का भी जारी किया गया।

पीएम मोदी विश्व के बेहतरीन पीएम हैं। रूस और यूक्रेन संकट में भी पीएम मोदी का सपोर्ट मांगा जा रहा है। पश्चिम बंगाल में डॉक्टर के साथ रेप की घटना को उन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेकर सेफगार्ड करने का प्रयास किया है। राज्य सरकार जहां फेल हुईं, वहीं सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया। उन्होंने संविधान खतरे में होने की बात करने वाले नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि चुनावी फायदे के लिए इस तरह की बयानबाजी हो रही है कि संविधान और रिजर्वेशन खतरे में है। जबकि ऐसे बयानबाजी से लोगों को बरगलाने का जो प्रयास है वह खतरे वाली बात है। संविधान और रिजर्वेशन को कोई खतरा नहीं है और यह पीएम और चीफ जस्टिस के हाथों में बिल्कुल सेफ है।