परिणाम के बारे में क्या बोले प्रशांत किशोर?

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हाल ही में प्रशांत किशोर ने परिणाम के बारे में एक बयान दे दिया है! लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद पहली बार चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपनी गलती मानी है। एक इंटरव्यू में पीके ने कहा कि बीजेपी की सीटों के अनुमान को लेकर हम जैसे लोगों से गलती हो गई। लोकसभा चुनाव के परिणाम को हैरानी होने से जुड़े सवाल लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि उन्हें हैरानी हुई ये कहना सही नहीं होगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि भले ही बीजेपी के प्रदर्शन को लेकर हम लोग गलत साबित हुए हों लेकिन बीजेपी नेता और पीएम नरेन्द्र मोदी की भारतीय राजनीति में प्रमुख शक्ति बने हुए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि मेरे जैसे लोग बीजेपी की तरफ से जीती गई सीटों का अनुमान लगाने के मामले में गलत साबित हुए हैं। लेकिन अगर आप सुनें कि हम क्या कह रहे हैं तो यह है कि इस चुनाव में मोदी के पक्ष में कोई अखिल भारतीय अंडरकरंट नहीं है। उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता और ब्रांड मोदी के लिए समर्थन की तीव्रता में कमी आई है। किशोर ने कहा कि ग्रामीण संकट, बेरोजगारी और बढ़ती असमानता एक प्रमुख मुद्दा है जो बड़े पैमाने पर लोगों को चिंतित करता है।

बीजेपी के पिछले चुनाव की तुलना में कमजोर प्रदर्शन को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी का 400 पार का नारा आधा अधूरा था। उन्होंने कहा कि इससे बीजेपी को नुकसान हुआ। अबकी बार 400 पार नारा एक खुला नारा था। जैसे 400 पार तो किसके लिए। प्रशांत ने कहा कि साल 2013 में जो स्लोगन था उसमें उसका उद्देश्य साफ था, जैसे बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार। प्रशांत किशोर ने कहा कि लेकिन हमने यह भी कहा कि इन बातों के बावजूद मोदी के खिलाफ कोई व्यापक गुस्सा नहीं दिखा।प्रशांत किशोर ने कहा कि यह इस तथ्य के साथ है कि कोई संगठित विपक्ष नहीं है जैसा कि कोई देखना चाहेगा, कमोबेश यथास्थिति बनी रहेगी।विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन ने आधे से ज्यादा वोट पाकर 68 सीटें जीतीं, लेकिन इनमें से किसी में भी 70% से ज्यादा वोट नहीं मिले। 8 सीटों पर 60% से 70% के बीच वोट मिले, और बाकी 60 सीटों पर 50% से 60% के बीच। सबसे ज्यादा 50% से ज्यादा वोट पाने वाली सीटें तमिलनाडु से आईं, जहां द्रमुक ने 8 सीटें जीतीं। इसके बाद कांग्रेस ने 2 और सीपीआई एम ने 1 सीट जीती। पीके ने स्वीकार किया कि वह और अन्य सर्वेक्षणकर्ता अपने अनुमान में “बहुत गलत” थे, लेकिन उन्होंने बताया कि “राजस्थान के बाड़मेर में, बीजेपी का वोट 2019 के 59.52% से घटकर इस बार सिर्फ 17% रह गया, और इस सीट पर कांग्रेस जीत गई।

इस बार बीजेपी ने जिन 156 सीटों पर 50% से ज़्यादा वोट लेकर जीत हासिल की, उनमें से सिर्फ 10 सीटें ऐसी हैं, जो बीजेपी 2019 में नहीं जीत पाई थी, जबकि 5 सीटें ऐसी हैं, जिन्हें बीजेपी ने 2019 में 50% से कम वोट लेकर जीती थी। वोट शेयर के मामले में भाजपा को लगभग पिछली बार के बराबर ही वोट मिले हैं। जदयू ने अपनी 12 जीतों में से 3 में ये कारनामा किया। एनडीए के दूसरे सदस्यों में JD(S), शिवसेना और जनसेना पार्टी ने दो-दो सीटों पर 50% से ज़्यादा वोट हासिल किए। असम गण परिषद , हिंदुस्तान आवामी मोर्चा सेक्युलर, राकांप और राष्ट्रीय लोकदल ने एक-एक सीट पर ये उपलब्धि हासिल की।

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने सभी 25 सीटें 50% से ज्यादा वोट लेकर जीतीं, ये किसी एक राज्य से सबसे ज्यादा सीटें हैं, जहां बीजेपी को 50% से ज्यादा वोट मिले हैं।

ऐसा बीजेपी ने 2019 में भी किया था। गुजरात की 26 सीटों में से 23 और कर्नाटक की 28 सीटों में से 17 सीटें बीजेपी ने आधे से ज्यादा वोट लेकर जीतीं। चार अन्य राज्यों- दिल्ली, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा में जहां बीजेपी ने सभी सीटें जीतीं, वहां भी सभी जीत 50% से ज्यादा वोट लेकर हासिल हुईं। बता दें कि बीजेपी के अलावा एनडीए में शामिल अन्य दलों ने इस बार कुल 53 सीटें जीतीं, जिनमें से 30 सीटों पर उन्हें 50% से ज्यादा वोट मिले। तेलुगु देशम पार्टी की 16 जीतों में से 13 में वोट शेयर 50% से ज्यादा रहा। लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास ने बिहार में जीती गईं अपनी 5 में से 4 सीटों पर 50% से ज्यादा वोट हासिल किए। बीजेपी ने 2019 में भी इसी तरह से दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सभी सीटें जीती थीं।प्रशांत किशोर ने कहा कि हां, हमने वोट शेयर के साथ-साथ सीटों में भी यथास्थिति को महसूस करने में गलती की।