कनाडा के मामले में क्या बोले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?

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हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कनाडा के मामले में एक बड़ा बयान दे दिया है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय संबंधों में ‘हल्के में लेने’ में विश्वास नहीं करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया को एहसास हो रहा है कि भरोसा और विश्वसनीयता ही देश के साथ अच्छे संबंधों की नींव रखते हैं। पीएम मोदी की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की कूटनीति ने द्विपक्षीय संबंधों को कठिन मोड़ पर पहुंचा दिया है। वहीं, कुछ पश्चिमी देशों की तरफ से कनाडा के प्रति आत्मीयता के संकेत मिल रहे हैं। कनाडा की तरफ से खालिस्तान समर्थक आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया रहा है। भारत ने इसे पूरी तरह से आधारहीन बताते हुए आरोपों का खंडन किया है। इसके बाद से दोनों देशों के संबंधों में तल्खी आ गई है। निज्जर को कनाडा की नागरिकता हासिल थी। खास बात है कि कनाडा अपने दावों को सबूतों के साथ साबित करने में विफल रहा है।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि जब अधिकांश देश संकटों का सामना करने के बाद भविष्य को लेकर चिंतित हैं, तब भारत एक उम्मीद बनकर उभरा है। मोदी ने कहा कि भारत ने डिजिटल इनोवेशन के जरिये दिखाया है, लोकतांत्रिक मूल्य एक साथ रह सकते हैं। इसने दिखाया है कि टेक्नोलॉजी समावेशन एक साधन है, न कि नियंत्रण या विभाजन का। पीएम मोदी ने अपनी बात रखने के लिए यूपीआई, पीएम गति शक्ति और ओएनडीसी जैसे तकनीक-संचालित प्लेटफार्मों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दुनिया ने भारत के सफल चंद्रयान मिशन को ‘एक त्यौहार की तरह’ मनाया क्योंकि भारत की तरक्की ईर्ष्या का कारण नहीं बनती क्योंकि इसकी प्रगति से पूरी दुनिया को लाभ होता है। भारत के उत्थान से दुनिया खुश होती है।

इससे पहले एक कार्यक्रम में विदेश मंत्री ने भी कनाडा पर तंज कसा। जयशंकर ने भारत-कनाडा के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि कनाडा को भारतीय राजनयिकों के साथ एक समस्या है, वे भारत के संबंध में यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि वहां क्या हो रहा है। लेकिन, भारत में कनाडा के राजनयिक को हमारी सेना या पुलिस के बारे में जानकारी इकट्ठा करने में कोई समस्या नहीं होगी। विदेश मंत्री ने कनाडा पर तंज कसते हुए कहा कि जब हम उनसे कहते हैं कि कुछ लोग भारत के नेताओं और राजनयिकों को खुलेआम धमकी देते हैं तो उनका जवाब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होता है।

जस्टिन ट्रूडो जब 2015 में कनाडा के प्रधानमंत्री बने तब से ही भारत के साथ कनाडा के रिश्तों में खटास आने लगी। ट्रूडो से पहले के कनाडाई प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर ने भारत के साथ अच्छे संबंध बना रखे थे, लेकिन ट्रूडो ने भारत के प्रति उदासीनता दिखाई। फिर भारत और कनाडा के बीच संबंध धीरे-धीरे खराब होने लगे। ट्रूडो की खालिस्तानी समर्थकों के प्रति नरम नीति और जगमीत सिंह के साथ गठबंधन से यह तनाव और बढ़ा। 2018 में ट्रूडो की विवादित भारत यात्रा के बाद से संबंधों में खटास बढ़ने लगी। 2020 में किसान आंदोलन पर ट्रूडो की टिप्पणी ने भी तनाव को और बढ़ाया। 2023 में हरदीप निज्जर की हत्या और ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों ने दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को बुरी तरह से प्रभावित किया।

भारत के साथ संबंध सुधारने के उद्देश्य से ट्रूडो ने भारत की यात्रा की, लेकिन यात्रा विवादास्पद रही क्योंकि खालिस्तानी आतंकवादी जस्पाल अटवाल को कनाडा के एक राजनयिक कार्यक्रम में निमंत्रण दिया गया था। यह निमंत्रण रद्द कर दिया गया, लेकिन इस घटना ने भारत में नाराजगी पैदा की। भारत और कनाडा ने आतंकवाद विरोधी सहयोग पर एक समझौता किया, जिसमें पहली बार खालिस्तानी आतंकवाद का उल्लेख किया गया। लेकिन कनाडा की सरकार पर खालिस्तानी समूहों के दबाव के कारण अगले साल इस रिपोर्ट से खालिस्तानी चरमपंथ का जिक्र हटा दिया गया।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया कि हरदीप निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ है। यह एक चौंकाने वाला बयान था और इससे राजनयिक तनाव अपने चरम पर पहुंच गया। भारत ने इन आरोपों को सख्ती से नकार दिया और दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया। कनाडा अपने आरोपों को लेकर ठोस सबूत देने में असफल रहा तो यह तनाव और गहरा गया। भारत ने कनाडा पर खालिस्तानी अलगाववाद का समर्थन करने का आरोप लगाया।