हाल ही में प्रियंक खरगे ने रजाकारों के मामले पर योगी आदित्यनाथ के लिए एक बयान दे दिया है ! राजनीति में व्यक्तिगत कष्टदायक कहानियों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए। लेकिन क्या ऐसा हो रहा है? हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बीच तीखी बयानबाजी ने इस सवाल को फिर से केंद्र में ला दिया है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र में एक चुनावी रैली के दौरान 1948 की एक घटना का जिक्र किया। इस घटना में रजाकारों ने खरगे के पैतृक गांव में आगजनी की थी, जिसमें उनकी मां और बहन की मौत हो गई थी। योगी ने आरोप लगाया कि खरगे मुस्लिम वोट बैंक के डर से इस घटना पर चुप्पी साधे हुए हैं। मल्लिकार्जुन के बेटे प्रियांक खरगे ने योगी के इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रियांक खरगे ने कहा कि यह सच है कि 1948 में रजाकारों ने उनके घर को जला दिया था जिसमें उनकी दादी और बुआ की मृत्यु हो गई थी। उन्होंने कहा, ‘हां, योगी आदित्यनाथ जी, 1948 में रजाकारों ने मल्लिकार्जुन खरगे जी के घर को जला दिया था, जिसमें उनकी मां और बहन की मौत हो गई थी। हालांकि वह बाल-बाल बच गए। उन्होंने नौ बार विधायक, दो बार लोकसभा और राज्यसभा सांसद, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और एक निर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए संघर्ष किया और सफलता प्राप्त की।’
प्रियांक ने आगे कहा कि इस त्रासदी के बावजूद, उनके पिता ने कभी भी इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया, न ही कभी पीड़ित होने का नाटक किया और न ही कभी नफरत को खुद पर हावी होने दिया। उन्होंने लिखा, ‘इस त्रासदी के बावजूद उन्होंने कभी भी इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया, कभी भी पीड़ित होने का नाटक नहीं किया और कभी भी नफरत को खुद को परिभाषित नहीं करने दिया। यह रजाकार थे जिन्होंने यह कृत्य किया था – पूरे मुस्लिम समुदाय ने नहीं। हर समुदाय में बुरे लोग और गलत काम करने वाले व्यक्ति होते हैं।’
प्रियांक ने योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उनकी विचारधारा खरगे जी को एक समान नहीं देखती है? क्या यह इंसानों के बीच भेदभाव करती है? क्या यह आप सभी को बुरा बनाता है या जो लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं? उन्होंने खरगे को ‘अछूत’ या दलित किसने कहा? उन्होंने लिखा, ‘तो, मुझे बताइए सीएम साहब, आपकी विचारधारा खरगे जी को एक समान देखने में विफल रहती है, यह मनुष्यों के बीच भेदभाव करती है, क्या यह आप सभी को बुरा बनाता है या जो लोग इसका अभ्यास कर रहे हैं? उन्हें ‘अछूत’ या दलित किसने कहा? एक भेदभावपूर्ण विचारधारा का अस्तित्व समुदाय के भीतर सभी को गलत नहीं बनाता है। है न?’
प्रियांक ने आगे कहा कि 82 साल की उम्र में भी उनके पिता बुद्ध-बसवन्ना-आंबेडकर के मूल्यों को बरकरार रखने और संविधान को अत्याचार और नफरत से बचाने के लिए अथक संघर्ष कर रहे हैं और अडिग विश्वास के साथ इस लड़ाई को जारी रखेंगे। उन्होंने लिखा, ’82 साल की उम्र में खरगे जी बुद्ध-बसवन्ना-आंबेडकर के मूल्यों को बरकरार रखने और संविधान को उस अत्याचार और नफरत से बचाने के लिए अथक संघर्ष कर रहे हैं जिसे आप स्थापित करना चाहते हैं और वह अडिग विश्वास के साथ इस लड़ाई को जारी रखेंगे।’
अंत में प्रियांक ने योगी आदित्यनाथ को नसीहत देते हुए कहा कि वह अपनी नफरत कहीं और ले जाएं। उन्होंने योगी से कहा कि वो मल्लिकार्जुन के सिद्धांतों या उनकी विचारधारा को दबा नहीं कर सकते। राजनीतिक लाभ के लिए समाज में नफरत के बीज बोने की कोशिश करने के बजाय पीएम नरेंद्र मोदी जी की उपलब्धियों पर चुनाव जीतने की कोशिश करें। उन्होंने लिखा, ‘तो योगी जी, अपनी नफरत कहीं और ले जाएं। बता दें कि हालांकि वह बाल-बाल बच गए। उन्होंने नौ बार विधायक, दो बार लोकसभा और राज्यसभा सांसद, केंद्रीय मंत्री, लोकसभा नेता, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और एक निर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए संघर्ष किया और सफलता प्राप्त की।’ आप उनके सिद्धांतों या उनकी विचारधारा को बुलडोज नहीं कर सकते। राजनीतिक लाभ के लिए समाज में नफरत के बीज बोने की कोशिश करने के बजाय पीएम नरेंद्र मोदी जी की उपलब्धियों पर चुनाव जीतने की कोशिश करें।’