Wednesday, December 4, 2024
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बांग्लादेश छोड़ने से पहले क्या बोली थी शेख हसीना ?

आज हम आपको बताएंगे कि बांग्लादेश छोड़ने से पहले शेख हसीना क्या बोली थी! शेख हसीना ने बांग्लादेश से भागने के बाद पहली बार सार्वजनिक रूप से बयान दिया है। हसीना का यह बयान उनके खिलाफ बांग्लादेश में हत्या का मामला दर्ज करने के बाद आया है। इस बयान में उन्होंने बांग्लादेश में हुई हिंसा की उचित जांच करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस हिंसा के दोषियों को पहचान कर उन्हें उचित सजा दी जाए। उनके बयान को बेटे सजीब वाजेद जॉय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर किया है। इस बयान में उन्होंने बांग्लादेश के निर्माता शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियों के अपमान और उनके निवास स्थान पर हुई आगजनी को लेकर भी अपना दुख जाहिर किया है। शेख हसीना ने अपने बयान की शुरुआत बंगबंधु शेख मुजीबुर्रहमान की हत्या से की। उन्होंने लिखा, “भाइयों और बहनों, 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की निर्मम हत्या कर दी गई थी। मेरे मन में उनके प्रति गहरा सम्मान है। उस समय मेरी मां बेगम फजीलतुन्नैसा, मेरे तीन भाई स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन शेख कमाल, स्वतंत्रता सेनानी लेफ्टिनेंट शेख जमाल, कमाल और जमाल की नवविवाहित पत्नी सुल्ताना कमाल, मेरा छोटा भाई जो उस समय केवल 10 वर्ष का थ, उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।” अपने पत्र में उन्होंने इस दौरान मारे गए अन्य दूसरे लोगों के नाम भी लिखे और उन्हें श्रद्धांजलि दी। अपने प्रियजनों के नुकसान की याद को अपने दिलों में बनाए रखना है। इसका शुभ फल भी आपको मिलना शुरू हो गया है। बांग्लादेश विश्व में विकासशील देश का दर्जा प्राप्त कर चुका है।”उन्होंने लिखा, “15 अगस्त को शहीद हुए सभी लोगों की आत्मा को शांति मिले और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।”

हसीना ने आगे लिखा, “पिछले जुलाई से अब तक आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा में कई लोगों की जान जा चुकी है। छात्र, शिक्षक, पुलिस यहां तक कि महिला पुलिस, पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, कामकाजी लोग, अवामी लीग के नेता और संबंद्ध संगठनों के कार्यकर्ता, पैदल यात्री और विभिन्न संस्थानों के कार्यकर्ता जो आतंकवादी हमले का शिकार होकर मारे गए हैं। इन सभी लोगों की मौत पर मैं शोक व्यक्त करती हूं और उनकी आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं।”बंगबंधु भवन पर पुष्प अर्पित कर और प्रार्थना कर सभी आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। अल्लाह सर्वशक्तिमान बांग्लादेश के लोगों को आशीर्वाद दे। जॉय बांग्ला जॉय बंगबंधु।” उन्होंने आगे लिखा, “मेरे जैसे उन लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं, जो किसी प्रियजन को खोने के दर्द के साथ जी रहे हैं। मैं मांग करता हूं कि इन हत्याओं और बर्बरता में शामिल लोगों की उचित जांच की जाए और दोषियों की पहचान कर उन्हें उचित सजा दी जाए।”

बांग्लादेश की इस अपदस्थ प्रधानमंत्री ने आगे लिखा, हम दो बहनों ने 15 अगस्त, 1975 को धनमंडी बंगबंधु भवन में हुई नृशंस हत्याओं की स्मृति रखने वाले उस घर को बंगाल के लोगों को समर्पित किया। एक स्मारक संग्रहालय बनाया गया था। देश के आम लोगों से लेकर देश-विदेश के गणमान्य लोग इस सदन में आ चुके हैं। यह संग्रहालय आजादी का स्मारक है। यह बहुत दुखद है कि जो स्मृति हमारे जीवित रहने का आधार थी, वह जलकर राख हो गयी है। हम आपकी सेवा कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य बांग्लादेश के पीड़ित लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाना है, अपने प्रियजनों के नुकसान की याद को अपने दिलों में बनाए रखना है। इसका शुभ फल भी आपको मिलना शुरू हो गया है। बांग्लादेश विश्व में विकासशील देश का दर्जा प्राप्त कर चुका है।”

हसीना ने यह भी कहा, “राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, जिनके नेतृत्व में हमें एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आत्मसम्मान मिला, अपनी पहचान मिली और एक स्वतंत्र देश मिला, उनका अपमान किया गया है।’ उन्होंने लाखों शहीदों के खून का अपमान किया। बता दें कि उस समय मेरी मां बेगम फजीलतुन्नैसा, मेरे तीन भाई स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन शेख कमाल, स्वतंत्रता सेनानी लेफ्टिनेंट शेख जमाल, कमाल और जमाल की नवविवाहित पत्नी सुल्ताना कमाल, मेरा छोटा भाई जो उस समय केवल 10 वर्ष का थ, उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई थी।” मैं देशवासियों से न्याय चाहती हूं। मैं आपसे 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस को उचित गरिमा और गंभीरता के साथ मनाने की अपील करती हूं। बंगबंधु भवन पर पुष्प अर्पित कर और प्रार्थना कर सभी आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें। अल्लाह सर्वशक्तिमान बांग्लादेश के लोगों को आशीर्वाद दे। जॉय बांग्ला जॉय बंगबंधु।”

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