हाल ही में हुई घटनाओं पर क्या बोले सुप्रीम कोर्ट के वकील?

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हाल ही में हुई घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट के वकील ने एक बयान दिया है! जब नेताओं से सवाल पूछा जाता है तो वे जवाब देने से यह कहकर बच जाते हैं कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, हम इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते। जब यही बात सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे के सामने रखी गई तो उन्होंने कहा कि हमारी कानून व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि ये सब लोग उसका फायदा लेकर सत्ता में बने रहते हैं, जो देश के लिए अच्छी बात नहीं है।  ये दुख की बात है कि आज लोग अपने विचार व्यक्त नहीं कर पाते हैं। आपने देखा कि बहुत सारे लोगों को एक ट्वीट पर जेल में डाल दिया जाता है, ये सब होना नहीं चाहिए लेकिन हो रहा है और जूडिशरी देख रही है इसको खुली आंख से। दवे से जब कहा गया कि जूडिशरी पर तो कोई कॉमेंट ही नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील ने जवाब दिया, ‘आलोचना करना हमारे यहां एक फंडामेंटल राइट है तो जजों के फैसलों को आप जरूर क्रिटिसाइज कर सकते हैं, हां जज की निजी तौर पर आलोचना नहीं कर सकते हैं।’

दवे से जब पूछा गया कि रविवार को मन की बात सुनते हैं या नहीं रेडियो पर? दवे ने जवाब दिया, ‘हर संडे को मन की बात का क्या मतलब है, भक्ति की भी लिमिट है।दवे से जब पूछा गया कि रविवार को मन की बात सुनते हैं या नहीं रेडियो पर? दवे ने जवाब दिया, ‘हर संडे को मन की बात का क्या मतलब है, भक्ति की भी लिमिट है। भक्ति गलत बात नहीं है। प्रधानमंत्री सही रास्ते पर देश को नहीं ले जा रहे हैं और जो पीएम की शक्तियां हैं इस देश को आगे ले जाने के लिए, उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है।’ भक्ति गलत बात नहीं है। प्रधानमंत्री सही रास्ते पर देश को नहीं ले जा रहे हैं और जो पीएम की शक्तियां हैं इस देश को आगे ले जाने के लिए, उसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा है।’

दुष्यंत दवे ने आगे कहा कि जो भी भाजपा या कांग्रेस की विचारधारा को मानता है उसको शक्ति होनी चाहिए कि वह कांग्रेस या बीजेपी के लीडर्स से सवाल पूछ सके। जब तक वो न हो तब तक भक्ति का क्या फायदा है। उन्होंने कहा, ‘आज अल्पसंख्यकों पर अटैक हो रहे हैं, कितने सारे केस क्रिश्चियन समुदाय के ऊपर हैं, मैं जानता हूं। आप मुसलमानों के खिलाफ हैं। 800 साल मुसलमान रहा सत्ता में, हिंदुस्तान इस्लामिक तो नहीं बना। हिंदुस्तान में शरिया लॉ तो नहीं आया!’

जब फीस की बात की गई तो दवे ने कहा कि हर साल करीब 100 गरीबों के फ्री में केस लड़ता हूं और जो अफॉर्ड कर सकता है उससे कोई रहम नहीं दिखाता हूं। काम करने के तरीके के बारे में पूछने पर दवे ने कहा कि हम वकील लोग बिना कारण केस में 100, 200-500 पेज ऐसे ही डाल देते हैं। वजह पूछने पर बोले, ‘हो सकता है क्लाइंट को खुश करने के लिए, हो सकता है अपनी फीस को जस्टिफाई करने के लिए’।

यहि नहीं हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को दो नए जज शपथ लेंगे। सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में शपथ लेने वालों में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और एडवोकेट केवी विश्वनाथन शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से 16 मई को सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त करने के लिए केंद्र से सिफारिश की थी। केंद्र सरकार की तरफ से 48 घंटे में ही सुप्रीम कोर्ट जजों के लिए इन नामों पर मुहर लगा दी गई। इसके बाद राष्ट्रपति की तरफ से इन दोनों की नियुक्ति को लेकर लेटर जारी कर दिया है। ऐसे में आपके मन में यह सवाल तो उठता होगा कि क्या सुप्रीम कोर्ट जज के लिए कोई परीक्षा होती है। आखिर बिना परीक्षा के कोई वकील कैसे सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त हो जाता है।

सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति के लिए देश के चीफ जस्टिस की राय सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर मोस्ट जज के कॉलेजियम के सलाह से होनी चाहिए। यदि देश के अगले सीजेआई चार सीनियर मोस्ट उप-जज में से एक नहीं हैं, तो उन्हें कॉलेजियम का हिस्सा बनाया जाएगा क्योंकि जजो के सेलेक्शन में उनका भी हाथ होना चाहिए जो देश के सीजेआई के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कार्य करेंगे।भारत के चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के उस सीनियर मोस्ट जज की राय जानेंगे जो, उस हाईकोर्ट से आते हैं जहां से अनुशंसित व्यक्ति आता है। यदि उस जज को उस व्यक्ति की योग्यता और अवगुणों का कोई ज्ञान नहीं है, तो अगले सीनियर मोस्ट सुप्रीम कोर्ट जज से सलाह लेनी होती है।