हाल ही में वायुसेना चीफ ने भारतीय वायुसेना की ताकत के बारे में बयान दिया है! ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर चीन के साथ चल रहे लंबे गतिरोध के बीच एयरफोर्स चीफ ने कहा कि हमारी एयरफोर्स ट्रेनिंग और एक्सपोजर के मामले में चीन से काफी बेहतर है। लेकिन तकनीक और रक्षा उपकरणों के उत्पादन की रफ्तार के मामले में हम चीन से पीछे हैं। एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा कि हम ह्यूमन रिसोर्स और ट्रेनिंग के मामले में चीन से बेहतर हैं। उन्होंने कहा कि हमारा अनावश्यक आक्रामक रुख अपनाने का कोई इरादा नहीं है। सिर्फ तब जब हम पर दबाव डाला जाएगा, हम कुछ करेंगे… हमारे प्लानिंग तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि हम प्रशिक्षण के मामले में उनसे (चीन से) कहीं बेहतर हैं। हमें अधिक अनुभव है। हमें पता चलता है कि वे कैसे ट्रेनिंग लेते हैं और कितने देशों की एयरफोर्स के साथ उनका संपर्क है और कितनों के साथ हमारा। एयरफोर्स चीफ ने कहा कि जहां तक तकनीक की बात है, हम फिलहाल इतने अच्छे नहीं हैं। हम पहले उनसे बेहतर थे, लेकिन अब हम पिछड़ गए हैं और हमें उस पर पकड़ बनानी होगी।
एलएसी के दूसरी तरफ चीन के लगातार बढ़ते इंफ्रास्ट्रक्चर और ईस्टर्न लद्दाख पर सिचुएशन को लेकर एयरफोर्स चीफ ने कहा कि ईस्टर्न लद्दाख में स्थिति टेक्टिकली वैसी ही है जैसे एक साल पहले थी। बस हम यह देख रहे हैं कि एलएसी के दूसरी तरफ तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है। हम कोशिश कर रहे हैं उसे मैच करने की। हमारे नए एयरफील्ड बन रहे हैं और उसमें तेजी से काम हो रहा है। हम अपने पहले से बने एयरफील्ड की कैपेसिटी बढ़ाने पर भी काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि यह भी योजना है कि सिविल इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया जाए। सेंट्रल सेक्टर में अडवांस लैंडिंग ग्राउंड हैं, हम राज्य सरकारों के टच में है कि या तो उन्हें टेकओवर कर सकें या कम से कम यह आश्वासन मिले कि वे हमारे ऑपरेशंस के लिए भी उपलब्ध रहेंगे। एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि 2047 तक पूरी इन्वेंटरी या तो भारत में उत्पादित हो या भारत में विकसित और उत्पादित हो। कम होती फाइटर स्क्वॉड्रन पर एयरफोर्स चीफ ने कहा कि हम इस पर भी ध्यान दे रहे हैं कि फाइटर स्क्वाड्रन 30 से कम न हो।
उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को अब हर साल 24 एयरक्राफ्ट बनाने के अपने वादे पर खरा उतरना चाहिए ताकि देरी की भरपाई हो सके। उन्होंने प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि हम एक ही एजेंसी पर निर्भर नहीं रह सकते। यहां तक कि HAL की भी सीमाएँ होंगी, खासकर जब इतनी बड़ी संख्या की आवश्यकता हो।बता दें कि एयरफोर्स चीफ एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने कहा कि हमारे पास जो एयर डिफेंस सिस्टम जो है और जो हम खरीद रहे हैं वे उसी तरह कॉम्बिनेशन में वही काम कर सकते हैं जो आयरन डोम करता है। हमारे पास जो भी नए एयर डिफेंस वेपन सिस्टम होंगे जो वह काफी सक्षम होंगे। लेकिन यह बात सही है कि हमें नंबर बहुत ज्यादा चाहिए होंगे, अगर हमें सब कुछ प्रोटेक्ट करना है।
उन्होंने कहा ‘अभी हमारे पास जो नंबर्स हैं उससे पूरा देश …अगर कहें कि कहीं भी कोई मिसाइल नहीं गिर पाएगी…ऐसा नहीं हो पाएगा। हमें अपनी प्राइयॉरिटी देखनी पड़ेगी कि कहां पर हमारे वाइटल एरिया हैं जो हमें पहले प्रोटेक्ट करने हैं। उन पर हमें ज्यादा कॉन्संट्रेट करना पड़ेगा’। एयरफोर्स चीफ ने कहा कि जहां तक टेक्नॉलजी का सवाल है तो जो सिस्टम आ चुके हैं और जो पाइप लाइन में हैं, जिनके कॉन्ट्रैक्ट साइन हुए हैं, हम इन चीजों को (मिसाइल) इंटरसेप्ट कर सकते हैं। हमारा बड़ा देश है इसलिए ज्यादा नंबर चाहिए। अभी जो नंबर हैं वे उतने नहीं है जहां सबकुछ कर सकें।
एयरफोर्स चीफ ने बताया कि एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की तीन यूनिट डिलीवर हो गई हैं और बाकी दो यूनिट अगले साल मिल जाएंगी। उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से इसमें देरी हुई। रूस से भारत ने एस-400 की पांच रेजिमेंट की डील की है। एस-400 के लिए भारत ने रूस के साथ साल 2018 में 35000 करोड़ रुपये में रक्षा सौदा किया। एस-400 की एक रेजीमेंट में 16 गाड़ियां होती हैं। यह सिस्टम 500 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के हमले को ट्रैक करता है और रेंज में आते ही दुश्मन की मिसाइल को तबाह कर देता है। यह 400 किलोमीटर के इलाके में दुश्मन के ड्रोन से लेकर बैलेस्टिक मिसाइल तक के हमले को रोक सकता है।