हाल ही में केंद्र सरकार के द्वारा नागरिकता के लिए रोहिंग्या मुसलमान के अधिकारों की बात कही गई है! सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि रोहिंग्या अवैध घुसपैठी हैं और उन्हें भारत में रहने का अधिकार नहीं है क्योंकि मौलिक अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिक के लिए है। केंद्र सरकार ने कहा कि उनका इस मामले में स्टैंड स्पष्ट है और रोहिंग्या अवैध घुसपैठी हैं और अवैध घुसपैठी सीधे तौर पर रिफ्यूजी नहीं माने जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया है कि रोहिंग्या रिफ्यूजी को हिरासत में लिया गया है और उन्हें रिहा किया जाए। उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है ऐसे में उन्हें उनके देश डिपोर्ट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर को इस मामले में दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था । याचिकाकर्ता ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अवैध तरीके से हिरासत में रखा जा रहा है।इस याचिका के जवाब में केंद्र ने उक्त जवाब दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत विकासशील देश है और यहां की जनसंख्या बहुत ज्यादा है।
देश के नागरिक का वेलफेयर प्राथमिकता के आधार होना चाहिए। ऐसे में विदेशी को सीधे तौर पर रिफ्यूजी के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है और वह भी तब जब ऐसे लोग बड़ी संख्या में देश में प्रवेश कर रहे हों। केंद्र ने कहा कि भारत विकासशील देश है और यहां जनसंख्या ज्यादा है और संसाधन सीमित है और वह देश के नागरिकों के लिए है और ऐसे में विदेशी को रिफ्यूजी के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
जो भी अवैध घुसपैठी हैं उन्हें रिफ्यूजी के तौर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता है।केंद्र सरकार के होम मिनिस्ट्री की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया है कि अवैध घुसपैठियों का मामला नीतिगत है। रोहिंग्या शरणार्थियों को अवैध तरीके से हिरासत में रखा जा रहा है।इस याचिका के जवाब में केंद्र ने उक्त जवाब दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत विकासशील देश है और यहां की जनसंख्या बहुत ज्यादा है।फॉरनर्स एक्ट के तहत सरकार का दायित्व है कि वह अवैध घुसपैठी को उनके देश डिपोर्ट करे।
केंद्र सरकार ने इस मामले में सर्बानंद सोनोवाल बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि बांग्लादेशी अवैध घुसपैठी भारत की सीमा में घुसे और असम व अन्य इलाकों में अवैध तरीके से रह रहे हैं और उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है भारत में रहने वाले सभी नागरिकों को जीवन और समानता का अधिकार मिला हुआ है जिसका उल्लंघन हो रहा है।याचिका में कहा गया है कि उनका इस मामले में स्टैंड स्पष्ट है और रोहिंग्या अवैध घुसपैठी हैं और अवैध घुसपैठी सीधे तौर पर रिफ्यूजी नहीं माने जा सकते हैं।ऐसे में उन्हें उनके देश डिपोर्ट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर को इस मामले में दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था । याचिकाकर्ता ने कहा है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अवैध तरीके से हिरासत में रखा जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें रिहा करने की गुहार लगाई गई है। याचिकाकर्ता ने कहा कि रोहिंग्या शरणार्थियों को अवैध तरीके से हिरासत में रखा जा रहा है और उन्हें लगातार हिरासत में रखना असंवैधानिक है और यह अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है। भारत में रहने वाले सभी नागरिकों को जीवन और समानता का अधिकार मिला हुआ है जिसका उल्लंघन हो रहा है।याचिका में कहा गया है कि उनका इस मामले में स्टैंड स्पष्ट है और रोहिंग्या अवैध घुसपैठी हैं और अवैध घुसपैठी सीधे तौर पर रिफ्यूजी नहीं माने जा सकते हैं। इस याचिका के जवाब में केंद्र ने उक्त जवाब दाखिल किया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भारत विकासशील देश है और यहां की जनसंख्या बहुत ज्यादा है।फॉरनर्स एक्ट के तहत सरकार का दायित्व है कि वह अवैध घुसपैठी को उनके देश डिपोर्ट करे।सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया है कि रोहिंग्या रिफ्यूजी को हिरासत में लिया गया है और उन्हें रिहा किया जाए। इस याचिका के जवाब में केंद्र ने उक्त जवाब दाखिल किया है।रोहिंग्या रिफ्यूजी को अवैध और मनमाने तरीके से हिरासत में लिया गया है और उन्हें डिटेंशन सेंटर और जेल में रखा गया है।