हाल ही में शहीद कैप्टन अंशुमन के माता-पिता ने एक बयान दिया है! शहीद कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता का कहना है कि बहू हमारा घर छोड़कर जा चुकी हैं। अपना एड्रेस भी चेंज करा लिया है। उन्होंने कहा कि कीर्ति चक्र की कोई निशानी मेरे पास नहीं है। यूपी के देवरिया में एक न्यूज चैनल से बात करते हुए उन्होंने कहा कि NOK का जो निर्धारित मापदंड है वह ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, दोनों लोगों को इस बात से अवगत करा चुका हूं। शहीद अंशुमान की मां ने कहा कि बहुएं भाग जाती हैं। शहीद कैप्टन अंशुमान के पिता ने कहा कि बेटे की पांच महीने की शादी थी, कोई बच्चा नहीं है। पीछे जो तस्वीर है बस वही है। आज हमारे पास क्या है। उन्होंने कहा कि इस बारे में सवाल पूछे जाने चाहिए। इसमें बदलाव होना चाहिए। जैसे कारगिल की लड़ाई के बाद 67, 33 % हुआ था। लेकिन इसकी व्याख्या ठीक से होनी चाहिए। एनओके की परिभाषा क्या होगी। शहीद की पत्नी परिवार में रहेगी तो क्या होगा, नहीं रहने पर क्या होगा, बच्चें रहेंगे तो क्या होगा, माता पिता का क्या होगा?
कितने लोग परिवार के लोग उस पर निर्भर थे और वह कितनी जिम्मेदारी छोड़कर गया है। उन चीजों पर संशोधन हो। कैप्टन अंशुमान के माता-पिता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि वह इस मामले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से बात करेंगे। अंशुमान की मां ने कहा कि बहुएं भाग जाती हैं। मेरे जैसा किसी को दुख न हो। ऐसे मामले कई आ रहे हैं। मां-बाप को छोड़कर बहुएं भाग जा रही हैं। NOK का मतलब होता है Next to kin निकटतम परिजन। अविवाहित के लिए यह माता-पिता होता और विवाहित के लिए जीवनसाथी। यह किसी व्यक्ति के सेवा में दर्ज की जाने वाली जानकारी होती है। ट्रेनिंग/ सेवा के दौरान कोई इमरजेंसी या मृत्यु होती है तो NOK को ही आधिकारिक जानकारी दी जाती है। बता दें कि 19 जुलाई, 2023 को सियाचिन में शहीद हुए कैप्टन अंशुमान सिंह को पिछले दिनों कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उनकी पत्नी स्मृति और मां मंजू सिंह ने यह सम्मान लिया। इस कार्यक्रम के बाद स्मृति ने बताया कि कैसे उनकी अंशुमान सिंह से मुलाकात हुई और शादी के मात्र पांच महीने बाद ही वह विधवा हो गईं। कीर्ति चक्र लेते समय स्मृति के चेहरे पर जो भाव थे, उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर लोगों ने भावुक कमेंट किए। हालांकि, अब शहीद का परिवार दूसरी खबरों से चर्चा में आ गया है। अंशुमान के माता और पिता ने बहू पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पिता ने केंद्र सरकार से मांग की है कि वह एनओके (नेक्स्ट टू किन) नियम की परिभाषा तय करे। अभी इसके लिए जो मानदंड हैं, वे ठीक नहीं हैं। आइए आपको बताते हैं कि एनओके आखिर है क्या?
जब कोई शख्स सेना में भर्ती होता है तो उसे माता-पिता का नाम निकटतम रिश्तेदारों के रूप में दर्ज किया जाता है। शादी के बाद माता-पिता की जगह पत्नी का नाम दर्ज हो जाता है। जवान के शहीद होने के बाद आर्थिक मदद से लेकर तमाम सैन्य सुविधाएं उसकी पत्नी को मिलती है। इसी को एनओके कहा जाता है। कैप्टन अंशुमान सिंह के माता और पिता ने इसी नियम में बदलाव की मांग की है।
देवरिया में अपने घर पर एक चैनल से बातचीत में कैप्टन अंशुमान सिंह के पिता रवि प्रताप सिंह ने कहा- ‘एनओके का जो निर्धारित मापदंड है वह ठीक नहीं है। इस बारे में मैं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अवगत करा चुका हूं। पांच महीने की शादी थी। कोई बच्चा नहीं है। बहू ने हमसे बगैर पूछे मेरे बेटे का परमानेंट पता भी बदलवा दिया है। अब हमारे पास क्या बचा है। इस नियम में चेंज होना चाहिए। अगर बहू परिवार में रहेगी तो क्या होगा। नहीं रहेगी तो क्या होगा। बच्चे होंगे तो क्या होगा। शहीद के ऊपर परिवार की कितनी जिम्मेदारी थी, ये सब भी देखना चाहिए। मेरे बेटे को कीर्ति चक्र मिला। मेरी पत्नी भी बहू के साथ सम्मान लेने गई पर वह कीर्ति चक्र को छू तक नहीं पाई। दो दिन पहले रायबरेली में राहुल गांधी से मुलाकात में मैंने यह मुद्दा उठाया था। राहुल जी ने मुझे आश्वासन दिया है कि वह राजनाथ सिंह से इस बारे में बात करेंगे और इसका कुछ हल निकाला जाएगा।’
इसी तरह, मां मंजू सिंह ने कहा- ‘राहुल गांधी जी से बातचीत में मैंने यही कहा कि मेरे साथ तो यह घटना हो गई। पर नियमों में परिवर्तन हो ताकि आगे किसी अंशमुन सिंह के मां बाप को ऐसी समस्या का सामना न करना पड़े। बहुए भाग जा रही हैं। ऐसी घटनाएं समाज में बढ़ती जा रही हैं।’ गौरतलब है कि अंशुमान सिंह की पत्नी स्मृति सिंह पंजाब के गुरदासपुर की रहने वाली हैं। अंशुमान के पिता का दावा है कि बेटे की तेरहवीं के अगले दिन ही वह अपने मायके चली गईं और दोबारा लौटकर नहीं आईं।