Friday, October 18, 2024
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अवैध धार्मिक निर्माण के लिए क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अवैध धार्मिक निर्माण के लिए एक बयान दे दिया है! सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा सबसे जरूरी है। अगर कोई भी धार्मिक ढांचा, चाहे वो मंदिर हो, दरगाह हो या गुरुद्वारा, अगर सड़क, पानी या रेलवे लाइन पर कब्जा करता है तो उसे हटाया जाना चाहिए। सर्वोच्च कोर्ट ने जोर देकर कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। बुलडोजर एक्शन और अतिक्रमण विरोधी अभियान सभी नागरिकों पर लागू होंगे, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें क्राइम केस में आरोपी लोगों के खिलाफ बुलडोजर की कार्रवाई को चुनौती दी गई थी। इस कार्रवाई को ‘बुलडोजर जस्टिस’ नाम दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह संपत्तियों को ध्वस्त किए जाने के मुद्दे पर सभी नागरिकों के लिए दिशा निर्देश जारी करेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने उन याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया जिनमें आरोप लगाया गया है कि कई राज्यों में आरोपियों की संपत्ति ध्वस्त की जा रही हैं। कोर्ट ने कहा कि उसके दिशा निर्देश पूरे भारत में लागू होंगे। यह स्पष्ट कर रहा है कि किसी व्यक्ति का महज आरोपी या दोषी होना संपत्ति के ध्वस्तीकरण का आधार नहीं हो सकता।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हम जो कुछ भी तय कर रहे हैं। सभी नागरिकों, सभी संस्थानों के लिए इसे जारी कर रहे हैं न कि किसी खास समुदाय के लिए। किसी खास धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता है। वह सार्वजनिक सड़कों, सरकारी जमीनों या जंगलों में किसी भी अनधिकृत निर्माण को संरक्षण नहीं देगा। कोर्ट ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि हमारे आदेश से किसी भी सार्वजनिक स्थान पर अतिक्रमण करने वालों को मदद न मिले।

पीठ ने मामले पर सुनवाई के बाद कहा कि आदेश सुरक्षित रखा जाता है। कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में फाइनल डिसीजन लेने तक बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगा। इससे पहले, कोर्ट ने कहा था कि अगर अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। अदालत ने कहा कि वह यह स्पष्ट करेगी कि किसी अपराध में आरोपी होना संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता।

सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह केवल नागरिक नियमों के उल्लंघन के मामलों में ही किया जा सकता है। अदालत ने बिना अनुमति के किए गए विध्वंस पर अंतरिम रोक बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को ‘बुलडोजर न्याय’ पर अपनी स्थिति दोहराई और कहा कि केवल आरोप या जघन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया जाना संपत्ति को ध्वस्त करने का आधार नहीं हो सकता है। बता दें कि बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि लोगों की सुरक्षा सर्वोपरि है। ऐसे में सार्वजनिक जगहों पर अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन नहीं रुकेगा। सड़क के बीच धार्मिक निर्माण गलत है। अवैध मंदिर, दरगाह को हटाना होगा। लोगों की सुरक्षा सबसे जरूरी कदम है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोई भी शख्स आरोपी या दोषी है यह डेमोलेशन का आधार नहीं हो सकता है। देश भर के लिए इस मामले में गाइडलाइंस जारी होगा। कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुरक्षित रखा। फैसला सुनाए जाने तक बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी।

डेमोलेशन मामले में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सर्वोच्च कोर्ट ने इस दौरान कहा कि वह इस केस में दिशा-निर्देश जारी करेंगे। कोई भी शख्स आरोपी या दोषी है यह डेमोलेशन का आधार नहीं हो सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह अवैध निर्माण हटाने के खिलाफ नहीं हैं लेकिन वह इसके लिए गाइडलाइंस जारी करेंगे। हमारा देश धर्म निरपेक्ष है और सभी नागरिकों की रक्षा के लिए निर्देश जारी होगा।

देश के कई राज्यों में चल रहे बुलडोजर एक्शन पर जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा कि हम एक धर्मनिरपेक्ष देश हैं, हम सभी नागरिकों के लिए गाइडलाइन जारी करेंगे। अवैध निर्माण हिंदू, मुस्लिम कोई भी कर सकता है। हमारे निर्देश सभी के लिए होंगे, चाहे वे किसी भी धर्म या समुदाय के हों। सिर्फ सार्वजनिक स्थानों पर अतिक्रमण को हटाने की ही छूट होगी।

जस्टिस गवई ने कहा कि अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक स्ट्रक्चर है चाहे मंदिर हो या दरगाह या फिर गुरुद्वारा, यह सभी के लिए बाधा नहीं बन सकी। सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। अगर सड़क के बीच में कोई धार्मिक संरचना है, तो बुलडोजर एक्शन हो सकता है। हालांकि, तोड़-फोड़ के लिए समय देना होगा। यही नहीं कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। 17 सितंबर का अंतरिम आदेश जारी रहेगा।

 

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