कोलकाता रेप मर्डर केस के बारे में सुप्रीम कोर्ट क्या बोला?

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हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता रेप मर्डर केस के बारे में एक बयान जारी किया है! कोलकाता के अस्पताल में डॉक्टर के साथ रेप और मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए देश भर के डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ की सेफ्टी को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि मुद्दा सिर्फ कोलकाता केस का नहीं है बल्कि देश भर के डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ के सेफ्टी से जुड़ा मसला है। हम फिर से नई घटना का इंतजार नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के डॉक्टरों की सेफ्टी सहित अन्य मामलों के परीक्षण का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है साथ ही सीबीआई से कहा है कि वह मामले की छानबीन संबंधित स्टेटस रिपोर्ट गुरुवार को पेश करे। सुप्रीम कोर्ट मामले में सिस्टमैटिक तौर पर कई मुद्दों को देखने का फैसला किया है और अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तारीख तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कोलकाता में आरजी कर अस्पताल की डॉक्टर से रेप और मर्डर के बाद मामले में संज्ञान लिया और मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि हमने मामले में संज्ञान लेने का फैसला इसलिए किया है क्योंकि यह मामला सिर्फ कोलकाता तक सीमित नहीं है। यह मामला सिस्टमैटिक मुद्दा है और देश भर के डॉक्टरों और मेडिकल पेशेवरों के सुरक्षा से जुड़ा हुआ है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हम देश भर के डॉक्टरों और खासकर महिला डॉक्टरों और स्टाफ के सेफ्टी को लेकर चिंतित हैं। यह सब नौकरी के नेचर और जेंडर के कारण ज्यादा खतरे की स्थिति है। ऐसे में हमारे पास एक नैशनल प्रोटोकॉल की जरूरत है ताकि सेफ कंडीशन बनाया जा सके। अगर महिलाओं को काम करने के लिए सेफ कंडीशन नहीं दिया जाता है और वह अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं तो यह उनके समानता के अधिकार और समान अवसर प्रदान करने के अधिकारों का उल्लंघन होगा।हमें सेफ्टी सुनिश्चित करने के लिए अभी कदम उठाने होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नेशनल टास्क फोर्स बनाएंगे और उसमें देश भर के डॉक्टर होंगे जो देश भर के मेडिकल पेशेवरों महिला डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए क्या तरीका अपनाया जाए इसको लेकर सिफारिश पेश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र, केरल, तेलंगाना आदि राज्यों ने डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा रोकने के लिए कानून बनाए हैं लेकिन यह कानून संस्थान में डॉक्टरों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी में कहा कि ज्यादा से ज्यादा महिलाएं काम पर जाएं तो ऐसी स्थिति में देश एक और रेप जैसी घटना का इंतजार नहीं कर सकती है कि ग्राउंड स्थिति में तब बदलाव होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिए नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स की अगुवाई वाइस एडमिरल आरती सरीन, डायरेक्टर जनरल मेडिकल सर्विस नेवी करेंगी। इसमें कुल 10 सदस्य बनाए गए हैं। नेशनल टास्क फोर्स मेडिकल प्रोफेशनल्स की सेफ्टी , वर्किंग कंडीशन और उनके बेहतरी के लिए सिफारिश पेश करेगा। तीन हफ्ते में एनटीएफ अंतरिम रिपोर्ट देगा और दो महीने में फाइनल रिपोर्ट पेश करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से अस्पताल के प्रिंसिपल के कंडक्ट को लेकर सवाल किया साथ ही केस दर्ज करने में देरी को लेकर सवाल किया और जिस तरह से अस्पताल में तोड़फोड़ मचाई कई और क्राइम सीन को प्रभावित किया गया उसको लेकर तमाम सवाल सुप्रीम कोर्ट ने उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात को लेकर भी गंभीर चिंता जाहिर की है कि विक्टिम के नाम, फोटोग्राफ और वीडियो क्लिप और डेड बॉडी को मीडिया में दिखाया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह बेहद गंभीर चिंता का मसला है। इस दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि पुलिस के मौके पर पहुंचने से पहले ही फोटोग्राफ लिए गए थे और उसे सर्कुलेट कर दिया गया।चीफ जस्टिस ने कहा कि जब अपराध के बारे में जानकारी सुबह के समय ही हो गई थी। अस्पताल के प्रिंसिपल ने इस घटना को आत्महत्या बताने की कोशिश की। यहां तक कि पेरेंट्स को विक्टिम की बॉडी तक देखने के लिए कुछ घंटे इंतजार करना पड़ा। सिब्बल ने तक कहा कि इस तरह की जानकारी गलत फैलाई गई है। राज्य सरकार रेकॉर्ड पर सही तथ्यों की जानकारी पेश करेगी।

चीफ जस्टिस ने इस पर सवाल किया कि प्रिंसिपल ने जब केजी कर अस्पताल से इस्तीफा दिया तो उन्हें किसी और अस्पताल में कैसे चार्ज दिया गया? बेंच ने केस दर्ज करने के टाइमिंग पर भी सवाल किया। सिब्बल ने कहा कि अप्राकृतिक मौत के बारे में तुरंत केस दर्ज कर लिया गया था। एफआईआर दर्ज करने में कोई देरी नहीं हुई। चीफ जस्टिस ने तब सवाल किया कि ऑटोप्सी उसी दिन एक बजे दोपहर से लेकर पौने पांच बजे तक चली। डेड बॉडी पेरेंट्स को रात 8.30 बजे दी गई और केस रात के पौने बारह बजे दर्ज किया गया। चीफ जस्टिस ने कहा कि रात पौने बारह बजे केस दर्ज किया गया? शिकायती कौन था? सिब्बल ने कहा कि पैरेंट्स की शिकायत पर केस दर्ज हुआ। चीफ जस्टिस ने कहा कि क्या अस्पताल में कोई नहीं था जो केस दर्ज करवाता। डॉक्टर अस्पताल में थी और अस्पताल अथॉरिटी की जिम्मेदारी बनती है।