हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने वायु प्रदूषण के बारे में सरकार पर एक बयान दे दिया है! देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण अधिनियम में संशोधन करके सरकार ने इसे ‘दंतहीन’ बना दिया है। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में जलती पराली से होने वाले प्रदूषण के खिलाफ केंद्र कोई कठोर कार्रवाई नहीं कर रहा। सिर्फ मामूली जुर्माना ही वसूला जा रहा। केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि 10 दिनों के भीतर नियमों को अंतिम रूप दे दिया जाएगा और अधिनियम को पूरी तरह से लागू किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराएंगे, क्योंकि उसने कोई व्यवस्था नहीं बनाई है। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम कमजोर हो गया है। आपने धारा 15 में संशोधन करके सजा हटा दी है और उसकी जगह जुर्माना लगा दिया है। जुर्माना लगाने की प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा सकता है। अधिनियम की धारा 15 इसके प्रावधानों के उल्लंघन में सजा का उल्लेख करती है।
शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया कि उल्लंघन करने वालों पर लगाए जाने वाले पर्यावरण मुआवजा सेस को बढ़ाने के लिए कानून में संशोधन करे। एएसजी ने बताया कि पंजाब और हरियाणा दोनों के सचिव (पर्यावरण) और अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। एएसजी ने ये भी कहा कि 10 दिनों के भीतर, धारा 15 को पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सवाल खड़े हुए कहा कि अगर ये राज्य सरकारें और केंद्र वास्तव में पर्यावरण की रक्षा के लिए तैयार होते, तो धारा 15 में संशोधन से पहले ही सब कुछ हो गया होता। यह सब राजनीति है, और कुछ नहीं। बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई, कई इलाकों में तो यह ‘गंभीर’ श्रेणी में भी पहुंच गई। सर्दियों की शुरुआत में, हरियाणा और पंजाब में जलती पराली को दिल्ली में प्रदूषण के स्तर में वृद्धि के लिए एक बड़ा कारण माना जाता है।
पराली जलाने पर लगने वाले जुर्माने को लेकर कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा की खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के पंजाब और हरियाणा के प्रयासों को ‘सिर्फ दिखावा’ बताकर खारिज कर दिया। पिछली सुनवाई में, शीर्ष अदालत ने पराली जलाने पर प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए पंजाब और हरियाणा को फटकार लगाई थी।
शीर्ष अदालत ने गौर किया कि पंजाब सरकार ने पराली जलाने वालों पर एक भी मुकदमा दर्ज नहीं किया है। कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव को पंजाब के महाधिवक्ता को झूठा बयान देने के लिए भी फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि आपको जवाब देना होगा कि आपने पंजाब के महाधिवक्ता को झूठा बयान क्यों दिया कि किसानों के लिए ट्रैक्टर और डीजल के लिए केंद्र सरकार से पैसे का अनुरोध किया गया है। हम अवमानना का मामला चलाएंगे। हम आपको नहीं छोड़ेंगे।
इस पर, पंजाब की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे और सख्त कार्रवाई करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वाले किसानों से मात्र 2,500 रुपये का जुर्माना वसूलने के लिए भी पंजाब की आलोचना की। राज्य ने कहा कि यह राशि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) द्वारा तय की गई थी। अदालत ने कहा कि इतनी कम राशि देकर किसानों को उल्लंघन का अधिकार दे रहे हैं। बता दें कि केंद्र सरकार ‘सीएक्यूएम (इम्पोजिशन, कलेक्शन एंड यूटिलाइजेशन ऑफ एनवायरनमेंटल कंपनसेशन फॉर स्टबल बर्निंग) एमेंडमेंट रूल्स, 2024’ पर काम कर रही है। इसके तहत आयोग द्वारा अधिकृत अधिकारियों को बढ़ा हुआ जुर्माना लगाने का अधिकार होगा। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली सरकार इन नियमों को लागू करने के लिए बाध्य होंगी। यह अविश्वसनीय है। आप उल्लंघन करने वालों को यह संकेत दे रहे हैं कि उनके खिलाफ कुछ भी नहीं किया जाएगा। पिछले तीन सालों से यही हो रहा है। नए नियम पराली जलाने के मौसम और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने से कुछ दिन पहले ही लागू हो सकते हैं।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर रहा है। किसान पहले भी इस तरह के फैसलों का विरोध करते रहे हैं, इसलिए माना जा रहा है कि यह फैसला राजनीतिक रूप से भी सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।इस मामले पर दिवाली की छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।