Friday, November 22, 2024
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वक्फ संशोधन बिल 2024 के लिए क्या बोल जदयू?

हाल ही में वक्फ संशोधन बिल 2024 के लिए जदयू ने भी अपना बयान दे दिया है ! वक्फ बोर्ड में पारदर्शिता को लेकर केंद्र सरकार की ओर से नया बिल लाया गया है। गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल 2024 पेश कर दिया गया। कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने ये बिल लोकसभा में पेश किया। जैसे ही ये बिल सदन के पटल पर रखा गया कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सपा समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने विधेयक का विरोध किया। वहीं एनडीए में शामिल जेडीयू ने बिल का सपोर्ट कर दिया है। जेडीयू सांसद ललन सिंह ने कहा कि ये बिल कहां मुसलमान विरोधी है। मंदिर-संस्था में फर्क मालूम नहीं है। ललन सिंह ने कहा कि कई माननीय सदस्यों की मैंने बात सुनी। जेडीयू एक पार्टी है। हमें अपनी बात कहनी होगी। कई सदस्यों की बात सुनने से जैसे यह जो संशोधन लाया गया वो मुसलमान विरोधी है, कहां से मुसलमान विरोधी है। यहां अयोध्या मंदिर का उदाहरण दिया जा रहा है, मंदिर और संस्था में फर्क नहीं मालूम है। आपके मस्जिद को छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं किया जा रहा है, यह एक कानून से बना हुआ संस्था है।

ललन सिंह ने कहा कि उस संस्था को पारदर्शी बनाने के लिए कानून बनाया जा रहा है, कोई निरंकुश, कोई भी कानून से वक्फ बोर्ड किसी कानून से बना है, कानून से बना कोई भी संस्ता निरंकुश होगा, तो उसमें सरकार को हक है कानून बनाने का। इसका मंदिर से कहां मतलब है। कोई धर्म के नाम पर बंटवारा नहीं हो रहा है।मुंगेर से जेडीयू सांसद ललन सिंह ने कहा कि ये अल्पसंख्यक की बात कर रहे हैं, केसी वेणुगोपाल अल्पसंख्यक की बात करते हैं। इस देश में हजारों पंजाबी सिखों को किसने मारने का काम किया था। आपकी पार्टी ने किया था, हम उसके गवाह हैं। कौन सा सिख ड्राइवर था जिसने सिखों की हत्या की थी। इस बिल को आना चाहिए, पारदर्शिता आनी चाहिए, कोई भी संस्था पारदर्शी तरीके से काम करे यही आग्रह है।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वक्फ बोर्ड के अधिकारों को कम करने का प्लान बना रही। जल्द ही वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन का बिल संसद में पेश किया जाएगा। ऐसी उम्मीद है कि 5 अगस्त को ही सरकार इसे संसद में लाने जा रही है। इस नए बिल में किसी जमीन को अपनी संपत्ति यानी वक्फ की संपत्ति बताने वाली पावर पर रोक लगेगी। सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वक्फ कानून से जुड़े 40 संसोधन पर चर्चा के बाद इसे मंजूरी दे दी गई। प्रस्तावित बिल में मौजूदा कानून से जुड़े कई क्लॉज हटाए जा सकते हैं। आइये समझते हैं कि वक्फ बोर्ड क्या है, इसे कौन-कौन सी पावर मिली हुई है। वक्फ का मतलब होता है ‘अल्लाह के नाम’, यानी ऐसी जमीनें जो किसी व्यक्ति या संस्था के नाम नहीं है। वक्फ बोर्ड का एक सर्वेयर होता है। वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस निर्धारण के तीन आधार होते हैं- अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है या फिर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ। वक्फ बोर्ड मुस्लिम समाज की जमीनों पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था। जिससे इन जमीनों के बेजा इस्तेमाल को रोकने और गैरकानूनी तरीकों से बेचने पर रोक के लिए बनाया गया था।

वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेरेबंदी करवाता है, उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है। इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। चूंकि 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है। 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है? अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है। सारे कागज और सबूत उसे देने हैं जो अब तक दावेदार रहा है। कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है।

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